

छापेमारी मे बरामद कैश
– फोटो : अमर उजाला
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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कोयला कारोबारी, और आईएएस अफसरों के यहाँ जांच में वसूली रैकेट का खुलासा किया है। ईडी ने कहा पीएमएल 2002 के तहत तलाशी अभियान चलाया और गिरफ्तारियां कीं, जिसमें राज्य में परिवहन किए गए प्रत्येक टन कोयले से 25 रुपये प्रति टन की अवैध वसूली की जा रही है। इस घोटाले के मुख्य सरगना सूर्यकांत तिवारी और उनके सहयोगियों ने कोयले पर अवैध लेवी की जबरन वसूली की एक समानांतर प्रणाली चलाने के लिए एक आपराधिक साजिश में प्रवेश किया अवैध और बेहिसाब नकदी की आवाजाही कर रहे थे।
अपराध की आय का इस्तेमाल बेनामी संपत्तियों में निवेश करने, वरिष्ठ अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए अधिकारियों को रिश्वत देने और राज्य के राजनीतिक अधिकारियों द्वारा या उनकी ओर से इस्तेमाल किया जा रहा था। ईडी ने इस अवैध उगाही और सबूतों को नष्ट करने के लिए इस साजिश के खिलाफ आयकर विभाग द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की।
ईडी मुख्य सरगना सहित इस साजिश के पूरे पहलू की जांच कर रही है।ईडी ने छत्तीसगढ़ में कई स्थानों पर एक साथ तलाशी ली और विभिन्न संदिग्धों से आपत्तिजनक सबूत और बेहिसाब नकदी और आभूषण जब्त किए। सूर्यकांत तिवारी फरार हो गया है। रानू साहू IAS (कलेक्टर रायगढ़) भी अपने सरकारी आवास से गायब पाई गईं। ईडी ने करीब 4.5 करोड़ रुपये की बेहिसाबी नकदी, सोने के आभूषण, सराफा और करीब दो करोड़ रुपये मूल्य के अन्य कीमती सामान जब्त किए हैं। ईडी की जांच से पता चला है कि अवैध कोयला लेवी की जबरन वसूली तब तेज हो गई जब निदेशक, भूविज्ञान और खनन विभाग ने 15 .जुलाई 2020 को एक अधिसूचना जारी की। जिसमें खदानों से उपयोगकर्ताओं तक कोयले के परिवहन के लिए ई-परमिट की पूर्व ऑनलाइन प्रक्रिया को मैनुअल एनओसी जारी करने के लिए संशोधित किया गया था। इस संबंध में कोई एसओपी या प्रक्रिया परिचालित नहीं की गई थी।