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पुष्पराजगढ़ में BEO का करप्शन गेम ! घटिया खाना, सोने को बिस्तर नहीं, शौचालय नहीं, छात्रावासों का हाल बेहाल, 20 साल से जड़ जमाए बैठी अधीक्षिका, कमीशन के खेल से विभाग मेहरबान ?

पूरन चंदेल, पुष्पराजगढ़। अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ में कई साल से छात्रावासों का हाल बेहाल है. राजेंद्रग्राम में स्थित चाहे कन्या छात्रावास हो या ब्यॉज हॉस्टल हो, इनमें अधीक्षक और अधीक्षिका जड़ जमाकर बैठे हैं. ऐसा इसलिए कि पुष्पराजगढ़ के BEO भोग सिंह के रिश्तेदार हैं. इन रिश्तेदारों को खुली छूट मिल गई है. इन पर न कभी कार्रवाई होती है और न ही शिकायत को सुना जाता है. जांच के नाम पर सांठगांठ कर के भीतरखाने में चढ़ावा ले लिया जाता है, जिससे सभी जिम्मेदारों के हौंसले बुंलद हो गए हैं.

दरअसल, आदिवासी अंचल पुष्पराजगढ़ कन्या शिक्षा परिसर पुष्पराजगढ़ जो अनूपपुर जिले में इस क्षेत्र में मिशाल रूपी पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय दलवीर सिंह के प्रयास से आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र को एक सौगात स्वरूप मिला था, ताकि इस क्षेत्र के आदिवासी बेटियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके, जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं उन्हें सुविधाएं मिल सके, लेकिन यहां कुछ और ही नजारा देखने को मिलता है. बताया तो ये भी जा रहा है कि आदिवासियों छात्राओं का शोषण 20 साल से जारी है. आज 15 से 20 साल से एक ही जगह बैठ कर मलाई छान रहे हैं.

100 सीटर छत्रावास में 436 छात्राएं कैसे करती होंगी गुजारा ?

कुछ दिन पूर्व सहायक आयुक्त विजय डहेरिया को शासकीय कन्या शिक्षा परिसर पुष्पराजगढ़ की हालात की सूचना दी गई थी. उक्त हालात की जांच में क्या हुआ, अभी खुलासा नहीं हुआ है. यहां घटिया खाना मिलता है. सोने को बिस्तर नहीं है. शौचालय नहीं है, जिससे छात्राओं को बाहर जाना पड़ता है. ब्लॉक शिक्षा अधिकारी भोग सिंह की लापरवाही के कारण जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं होती.

मूल पद शिक्षक पर अध्यापन से परहेज क्यों ?

अधीक्षिका सुनैना परस्ते की नियुक्ति शिक्षक के पद पर हुई है. नियुक्ति के शुरुआती दौर से ही स्कूल से नाता तोड़कर छात्रावास में 1986 अधीक्षिका के पद पर संलग्न होकर कार्य कर रही हैं. वे अपने शिक्षकीय गुण को भूल कर विभाग को मैनेज कर रही हैं.

2011 से एक ही स्थान में पदस्थ है सुनैना परस्ते

मध्य प्रदेश शासन के नियमों को ठेंगा दिखाते हुए शासकीय कन्या शिक्षा परिसर पुष्पराजगढ़ की अधिक्षिका सुनैना परस्ते आखिर 20 वर्षों से किसके रहमों करमों में टिकी हुई हैं, जबकि कई बार शिकायत कलेक्टर और सहायक आयुक्त अनूपपुर से इनके पदस्थ के दौरान परिसर में किए गए लापरवाही की हो चुकी है.

बताया जा रहा है कि छात्रावास की बच्चियों को दिए जाने वाले मीनू के अनुसार नास्ता और अच्छा भोजन तक नहीं मिलता. बताया तो ये भी जा रहा है कि पूर्व में छात्राओं के खातों में सामग्री खरीदी के लिए पैसे आते थे, लेकिन स्वयं खरीदी कर ली हैं. इसमें कंबल, चादर, रजाई और जूते समेत कई सामानों की खुद खरीदी करती हैं और करप्शन को बढ़ावा देती हैं.

करप्शन पर भी मेहरबनी कैसे ?

बताया जा रहा है कि स्वयं खरीदी करके छात्राओं के खाते से राशि आहरण करा लिया गया था. बाहर के ठेकेदार से खरीदी करवा कर छात्राओं के खातों को भी कमीशन के लिए नहीं बक्सा गया. इतना ही नहीं सुनैना परस्ते के कई भ्रष्टाचार को उजागर भी किया गया, लेकिन इनके आगे आयुक्त जन जातीय कार्य विभाग मध्य प्रदेश बौना साबित रहा.

क्या कहता है आदेश ?

बता दें कि मध्यप्रदेश जन जातीय कार्य विभाग द्वारा पत्र क्रमांक/छत्रावास/ 164/2017/ 23255 भोपाल दिनांक 13/9/2017 में साफ शब्दों में उल्लेख किया गया था कि अनुसूचित जाति- जन जातीय छात्रावासों और आश्रमों में पूर्ण कालिक अधिक्षकों और संविदा आधीक्षकों के पद पर अन्य शिक्षकों की पदस्थापना किए जाएं. आपने ये भी कहा कि विभाग के अधिकारियों द्वारा निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है.

आदेश में ये भी कहा गया कि जारी निर्देश पत्रों का कड़ाई से पालन करना सुनिश्चित कर लें. पत्र में उल्लेख है कि अनुसूचित जाति/ जन जाति छात्रावास आश्रमों में पदस्थ अधिक्षकों /संविदा शिक्षकों जो अधीक्षकों के पद पर पदस्थ है. उनको अधिकतम 3 वर्ष तक के लिए ही पदस्थ किया जाएगा. पदस्थापना उपरांत अधिक्षिक अपने शालाओं में वापस पदस्थ होंगे. इसके बाद 3 वर्ष बाद ही छात्रावासों की जिम्मेदारी दी जा सकती है.

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