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CG में कौन सुनेगा B.Ed शिक्षकों की गुहार ? शिक्षकों ने निकाली NCTE की शवयात्रा, कहा- इनके नियमों से हुई थी भर्ती, अब निकाल दिया गया

Dismissed B.Ed Teachers Took Out A Funeral Procession Of NCTE: छत्तीसगढ़ में बर्खास्त बीएड सहायक शिक्षकों ने अपने आंदोलन के 24वें दिन शुक्रवार को नवा रायपुर में एनसीटीई यानी राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की शवयात्रा निकाली।

Dismissed B.Ed Teachers Took Out A Funeral Procession Of NCTE: बर्खास्त बीएड सहायक शिक्षक सेवा सुरक्षा और समायोजन की मांग को लेकर 14 दिसंबर को अंबिकापुर से अनुनय यात्रा निकालकर रायपुर पहुंचे थे।

Dismissed B.Ed Teachers Took Out A Funeral Procession Of NCTE: वे 19 दिसंबर से नवा रायपुर स्थित टूटा धरना स्थल पर धरना दे रहे हैं। यहां से शिक्षक एनसीटीई की अर्थी लेकर टूटा श्मशान घाट पहुंचे और समायोजन की मांग को लेकर नारे लगाए।

एनसीटीई के गलत नियमों के कारण बर्खास्त

Dismissed B.Ed Teachers Took Out A Funeral Procession Of NCTE: प्रदर्शनकारी सहायक शिक्षकों ने कहा कि अगर एनसीटीई ने गलत नियम नहीं बनाए होते तो हमें यह दिन नहीं देखना पड़ता। क्योंकि एनसीटीई ही वह इकाई है जो देशभर में शिक्षकों की भर्ती के लिए पात्रता निर्धारित करती है।

Dismissed B.Ed Teachers Took Out A Funeral Procession Of NCTE: सहायक शिक्षकों ने कहा कि वर्ष 2018 में एनसीटीई ने नियम बनाकर बीएड डिग्री वालों को प्राथमिक शिक्षक बनने के योग्य बना दिया था। इसी आधार पर देशभर में भर्ती नियम बनाए गए। और इसी नियम के आधार पर हमारी भर्ती भी हुई।

Dismissed B.Ed Teachers Took Out A Funeral Procession Of NCTE: प्रदर्शनकारियों ने कहा कि भर्ती के डेढ़ साल बाद सरकार ने हमें नौकरी से निकाल दिया। हमारा पूरा परिवार सड़क पर आ गया है।

Dismissed B.Ed Teachers Took Out A Funeral Procession Of NCTE:  इस भर्ती में 70 फीसदी अनुसूचित जनजाति के लोग हैं। जो बस्तर जैसे इलाकों में काम कर रहे थे। लेकिन गलत नियमों की वजह से उनकी नौकरी चली गई।

सबसे पहले निकाली गई शव यात्रा

बीएड सहायक शिक्षकों ने 14 दिसंबर को अंबिकापुर से रायपुर तक पैदल शव यात्रा शुरू की थी। रायपुर पहुंचने के बाद 19 दिसंबर से यात्रा धरने में तब्दील हो गई। इस दौरान शिक्षकों ने सरकार और जनप्रतिनिधियों को पत्र भेजकर अपना दर्द भी बताया।

धरना स्थल पर लगाया रक्तदान शिविर

प्रदर्शन शुरू होने के बाद शिक्षकों ने 22 दिसंबर को धरना स्थल पर रक्तदान शिविर लगाया। इस शिविर में शिक्षकों ने रक्तदान कर सरकार को संदेश दिया कि वे समाज और देश के कल्याण के लिए समर्पित हैं और शांतिपूर्ण तरीके से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

शिक्षकों ने कराया सामूहिक मुंडन

26 दिसंबर- आंदोलन में बैठे सहायक शिक्षकों ने अपनी मांगों की तरफ सरकार का ध्यान खींचने के लिए सामूहिक मुंडन कराया। पुरुषों के साथ महिला टीचर्स ने भी अपने बाल कटवाए। कहा, ये केवल बालों का त्याग नहीं बल्कि उनके भविष्य की पीड़ा और न्याय की आवाज है।

28 दिसंबर- आंदोलन पर बैठे शिक्षकों ने मुंडन के बाद यज्ञ और हवन करके प्रदर्शन किया। कहा कि,यदि हमारी मांगे नहीं मानी गईं, तो आगे सांकेतिक सामूहिक जल समाधि लेने को मजबूर होंगे।

29 दिसंबर- आदिवासी महिला शिक्षिकाओं ने वित्त मंत्री ओपी चौधरी से मुलाकात की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। 2 घंटे तक बंगले के सामने मुलाकात के लिए डटे रहे।

30 दिसंबर –पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर लेकर जल सत्याग्रह किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे अपनी मांगों को लेकर अटल हैं। सरकार तक ये संदेश देना चाहते हैं कि सुशासन में हमारी नौकरी भी बचा ली जाए और समायोजन किया जाए।

1 जनवरी – सभी प्रदर्शनकारियों ने मिलकर माना स्थित बीजेपी कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर का घेराव कर दिया। यहां की प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

2 जनवरी – पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहुंचकर आंदोलन को समर्थन दिया।

3 जनवरी – सरकार ने एक उच्च स्तरीय प्रशासनिक कमेटी बना दी है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी इस कमेटी में 5 अधिकारी शामिल हैं।

3 जनवरी – मांगे पूरी नहीं होने से नाराज सहायक शिक्षकों ने सामूहिक अनशन शुरू किया।

6 जनवरी – राज्य निर्वाचन आयोग जाकर मतदान बहिष्कार के लिए आयुक्त के नाम ज्ञापन सौंपा गया।

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