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रायपुर में धर्म सभा: अवधेशानंद गिरी बोले- हिंदुस्तान में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू; छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया

रायपुर में हो रही धर्मसभा में मौजूद जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी।

रायपुर में हो रही धर्मसभा में मौजूद जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी।
– फोटो : संवाद

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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हो रही धर्मसभा में जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी महाराज ने कहा कि, जिस तरह से जापान में रहने वाले जापानी हैं, यूरोप में रहने वाले यूरोपियन, फ्रांस में रहने वाले फ्रेंच हैं, वैसे ही हिंदुस्तान में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू है। उन्होंने कहा कि, हम सब के पूर्वज एक ही थे। हम गंगा जी में एक साथ डुबकी लगाते हैं, तो फिर हिंदू राष्ट्र में क्या दिक्कत है? अवधेशानंद गिरी ने कहा कि, हिंदू वह है जो भोर में भी सर्वे सुखिनः भवन्तु  की बात करता है। 

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इस देश में हम सब बराबर हैं

रावणभाटा मैदान में हो रही धर्मसभा के पहले दिन अवधेशानंद गिरी महाराज ने धर्मांतरण का भी मुद्दा उठाया। कहा कि, जो लोग गए उन्हें हम वापस लाएंगे। धर्मांतरण रोकेंगे। छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण हो रहा है। इस देश में हम सब बराबर हैं। हम आदिवासियों के बहुत बड़े उपकारी हैं कि वहां शबरी ने राम को बेर खिलाया था। वनवासियों के उपकार को कभी भुलाया नहीं जा सकता। छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया। भारत में संत हैं, तीर्थ है, यहां का भविष्य कोई नहीं बिगाड़ सकता। संत द्वार पर आया तो भगवान आया। संतों का दर्शन बड़े भाग्य से होता है। 

हिंदू सबका कल्याण करता है

अवधेशानंद गिरी ने कहा कि, आज हिंदुओं की भावनाएं संकुचित हो रही हैं। जबकि सारे हिंदू एक हैं। उन्हें जातियों में मत बांटिए। जब सब एक आएंगे, तभी हिंदू एक होंगे। जब तक संत है, भारतीय संस्कृति जागृत रहेगी। उन्होंने कहा कि, रोज मंदिर जरूर जाएं। जिस दिन हिंदू कट्टर हो गया, पूरे विश्व का कल्याण होगा। अपराध नहीं होगा, क्योंकि हिंदू सबका कल्याण करता है। उन्होंने कहा कि, हिंदू की दृष्टि में पूरा विश्व परिवार है। आज विश्व गुरु के रूप में सबका मार्गदर्शन कर रहा है। विश्व में अपराध को केवल भारत रोक रहा है। लाखों-लाखों साल पहले हम हिंदू थे। हिंदू हैं और हिंदू रहेंगे।

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कुछ अराजक तत्व छत्तीसगढ़ का माहौल खराब कर रहे

काशी के वासुदेवाचार्य ने छत्तीसगढ़ को लेकर बिना नाम लिए निशाना साधा। कहा कि, संतो को गिरफ्तार कर जेल में रखवाते हैं। चर्च पर कार्रवाई क्यों नहीं होती है। कहा कि, कुछ अराजक तत्व छत्तीसगढ़ में माहौल खराब कर रहा हैं। सरकार बदलने पर ऐसे लोगों पर कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि, जब मुसलमानो को हक-अधिकार मिल सकते हैं तो हिंदुओं को क्यों नहीं? राजीव लोचन महाराज ने कहा कि, हम राम को जानते हैं, नेताओं को नहीं। हिंदू राष्ट्र की महतारी है। राम नाम सच्चा, राम हमारे भांचा। राम ही हिंदू हैं, राम ही राष्ट्र हैं। 

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हनुमान चालीसा पढ़ो, शस्त्र लेकर चलो

राजीव लोचन महाराज ने कहा कि, अब नेता हमे सिखाएंगे किया क्या करना है? कहा कि, बात ही बात में हम हिंदू राष्ट्र बना देंगे। हिंदू कौन है? जिसके तन-मन में शास्त्र हो वही हिंदू है। कहा कि, हर मंगलवार हनुमान चालीसा पढ़ो। हमेशा शस्त्र लेकर चलो, कम से कम एक डंडा लेकर ही चलो।जब भगवान शस्त्र नहीं छोड़ते तो फिर हम क्यों छोड़ें? अब हर जिले में हिंदू राष्ट के लिए सभा करेंगे। इस दौरान उन्होंने गाया कि, हम  हिंदू राष्ट बनायेंगे…हम भारत भव्य बनाएंगे। इसके बाद हर हर महादेव के जयकरे लगे। 

ये संत सभा में शामिल

धर्म सभा में करीब 300 संत पहुंचें हैं। इनमें जूना अखाड़ा पीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरी, काशी से जितेंद्रानंद सरस्वती, युधिष्ठिरलाल शदाणी दरबार रायपुर, देहरादून से साध्वी डॉ. प्राची आर्य, उज्जैन से बालयोगी योगेश्वर उमेशनाथ, पुष्पेंद्र पुरी, राजीवलोचन दास चित्रकूट धाम, यूपी के गोरखपुर से स्वामी परमात्मानंद, दंतेवाड़ा से स्वामी प्रेम स्वरूपानंद, महामंडलेश्वर स्वामी सर्वेश्वर दास कोटमी सुनार, राधेश्याम दास सेत गंगा बिलासपुर, आचार्य राजेश दास तुरंगा रायगढ़, रामानंद सरस्वती बाटीडांड बलरामपुर, सीताराम दास बिलासपुर, श्यामदास जांजगीर, रामरूप दास त्यागी मद्कूदीप समेत कई संत शामिल हैं। 

एक माह चली पदयात्रा का समापन

दरअसल, यह धर्म सभा 18 फरवरी को छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जगहों से शुरू हुई संतों की पदयात्रा का समापन है। संतों ने 30 दिनों की इस पदयात्रा में दो लाख हनुमान चालीसा, दो लाख हनुमान लॉकेट, एक लाख रामचरित मानस और भागवत गीता प्रसाद के रूप में बांटी। कई जगह धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस दौरान ढाई लाख लोगों ने भाग लेकर साप्ताहिक हनुमान चालीसा, हिंदू राष्ट्र की मांग, मेरा गांव धर्मांतरण मुक्त का संकल्प लिया। इसी के तहत 18 मार्च को रायपुर की 134 बस्तियों से संतों ने पदयात्रा निकाली। जो धर्मसभा तक गई। 

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