Delhi में आतंकियों ने बिछा दी थी 92 लाशें: बस और कूड़ेदानों में रखे थे Cooker Bombs, पढ़िए 2005 और 2008 Delhi Bomb Blast की कहानी

दिल्ली में लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट में 11 लोगों की मौत हो गई है। ब्लास्ट की वजह अभी साफ नहीं है। पिछले दिनों कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश पुलिस के जॉइंट ऑपरेशन में श्रीनगर, अनंतनाग, गांदरबल, फरीदाबाद और सहारनपुर में तकरीबन 2900 किलो विस्फोटक जब्त हुआ है। पुलिस को चाइनीज स्टार पिस्टल, बरेटा पिस्टल, AK-56 राइफल और इलेक्ट्रॉनिक सर्किट्स, बैटरी, टाइमर्स, रिमोट कंट्रोल और दूसरी चीजें बरामद हुई हैं। फिलहाल सुरक्षा एजेंसियां जांच में जुटी हैं कि ये हादसा है या कोई साजिश।


इससे पहले 2005 और 2008 में भी दिल्ली बम ब्लास्ट से दहल चुकी है। तब 92 लोग मारे गए थे। आखिर कैसे रची गई थी दिल्ली दहलाने की साजिश, चलिए जानते हैं…
29 अक्टूबर 2005, उस रोज धनतेरस था और दो दिनों बाद दिवाली। दिल्ली के बाजारों में भीड़ इतनी कि पैर रखने तक की जगह नहीं थी। शाम 5.38 से 6.05 यानी 27 मिनट के भीतर दिल्ली में तीन सीरियल ब्लास्ट हुए। सड़कों पर लाशें बिछ गईं। किसी का धड़ अलग, तो किसी के हाथ-पैर अलग। दर्जनों गाड़ियां जल कर खाक हो गईं, दुकानें ध्वस्त हो गईं। 67 लोग मारे गए और 200 से ज्यादा जख्मी हुए।

3 साल बाद 13 सितंबर 2008, शनिवार का दिन। शाम 6.27 पर दिल्ली पुलिस को एक ईमेल मिला। लिखा था- ‘ठीक 5 मिनट बाद आप तेज, सटीक और लगातार हमले देखेंगे। 9 सिलसिलेवार बम विस्फोट।’ दिल्ली पुलिस इस मैसेज को डिकोड करती, उससे पहले ही दिल्ली धमाकों से दहल उठी।
एक के बाद एक 5 अलग-अलग जगहों पर सीरियल बम ब्लास्ट हुए। 25 लोग मारे गए और 100 से ज्यादा लोग जख्मी हुए। इन दोनों बम ब्लास्ट के पीछे पाकिस्तानी आतंकी संगठनों का हाथ था। 2005 बम ब्लास्ट की जिम्मेदारी लश्करे-तैयबा ने ली और 2008 बम ब्लास्ट की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिदीन ने।

29 अक्टूबर 2005, दिल्ली के सरोजनी मार्केट में ब्लास्ट के बाद का सीन।
दिल्ली के पहाड़गंज का नेहरू मार्केट, एक जगह है छह टूटी चौक। 29 अक्टूबर 2005 को लोग धनतेरस की खरीदारी में जुटे थे। बाजार खचाखच भरा था।
शाम 5.38 बजे एक ज्वेलरी शॉप के पास बम ब्लास्ट हुआ। दिल्ली पुलिस के मुताबिक धमाका इतना जबरदस्त था कि आस-पास खड़े लोगों के चीथड़े उड़ गए। दुकानें भरभरा गईं। दीवारें टूट गईं। कई लोग तो हवा में उड़ गए, जमीन पर टुकड़ों में बंटा उनका शरीर मिला। 17 लोग मारे गए।
जब पहाड़गंज बाजार जल रहा था, तभी दिल्ली परिवहन निगम की एक बस कालकाजी मंदिर के पास पहुंची। एक शख्स बस में ही अपना बैग छोड़कर उतर गया। बगल में बैठा पैसेंजर जोर से चिल्लाया- ‘देखो एक आदमी, अपना बैग छोड़कर भाग गया।’
बस में सवार लोगों को पहाड़गंज धमाके की खबर मिल चुकी थी। ड्राइवर कुलदीप सिंह और कंडक्टर बुद्ध प्रकाश भांप गए कि बैग में कुछ गड़बड़ चीज हो सकती है। वे फौरन बस को गोविंदपुरी में एक कम भीड़ वाली जगह पर ले गए। जल्दी-जल्दी बस से 70 पैसेंजर्स को उतारा गया।
इसके बाद ड्राइवर ने बैग खोला तो उसमें तार जैसा कुछ दिखाई दिया। उसने बैग को बाहर की ओर फेंक दिया। बैग हवा में ही ब्लास्ट हो गया। आस-पास खड़े करीब आधा दर्जन लोग जख्मी हो गए। कुलदीप बाल-बाल बच गए, लेकिन हमेशा के लिए अपनी आंखें गंवा बैठे।

दिल्ली के एक अस्पताल में बम ब्लास्ट में मारे गए लोगों के शव।
आग बुझी, तो चारों ओर लाशें ही लाशें बिखरी मिलीं
शाम 6 बजे, जगह दिल्ली का सरोजनी मार्केट। सबसे भीड़-भाड़ वाली जगह। यहां एक जूस की दुकान है श्याम जूस कॉर्नर। वहां एक आदमी अपना बैग छोड़कर चला गया। दुकान पर काम करने वाले छोटू यादव को वो बैग मिला। छोटू दिल्ली में हो रहे धमाकों से बेखबर थे।
उन्होंने अपने मालिक लाल चंद सलूजा से कहा- ‘भाई साहब ये बैग कोई छोड़ गया है। मैं कब से पूछ रहा हूं कोई बता नहीं रहा कि किसका है।’ लाल चंद सलूजा ने कहा- खोल लो बैग, देखो उसमें क्या है। छोटू ने कहा- ‘मैं किसी का बैग नहीं खोलूंगा, कोई मुझ पर चोरी का इल्जाम लगा देगा।’
छोटू ने हाथ से बैग दबाया तो उसे लगा कि कुकर जैसा कुछ अंदर है। उसने यह बात लाल चंद को बताई। लाल चंद ने उससे बैग लिया और पुलिस को देने जाने लगे।
वे जैसे ही बैग लेकर आगे बढ़े, ब्लास्ट हो गया। इस बार का धमाका पहाड़गंज और गोविंदपुरी इलाके में हुए धमाकों से ज्यादा भयावह था। दुकान के पास रखे दो सिलेंडर भी ब्लास्ट कर गए। चारों तरफ अफरातफरी मच गई। दुकानें धू-धू कर जलने लगीं। लोग चीखते-पुकारते भागने लगे।
कुछ देर बाद जब धमाके का धुआं ठंडा पड़ा और आग बुझी, तो चारों ओर लाशें ही लाशें बिखरी मिलीं। जूस दुकान के मालिक लाल चंद सलूजा भी काल के गाल में समा गए। धमाका इतना जोरदार था कि लाशें देखकर यह पहचानना भी मुश्किल था कि कौन पुरुष है और कौन महिला।
सरोजनी नगर मार्केट में एक दीवार पर मरने वाले लोगों के नाम एक शिलापट पर दर्ज हैं। इनमें 50 लोगों के नाम लिखे हैं। इनमें महिलाएं, पुरुष और बच्चों के नाम शामिल हैं। एक बच्चा तो सिर्फ 9 महीने का था। माता-पिता ने उसका नाम भी नहीं रखा था।

2005 में धनतेरस के दिन इसी दुकान में बम ब्लास्ट हुआ था। सोर्स : इंडिया टुडे
इन तीनों हमलों में कुल 67 लोग मारे गए। 200 से ज्यादा लोग जख्मी हुए। कई लोग तो इस तरह जख्मी हुए कि आज तक नहीं उबर पाए हैं। किसी ने दोनों पैर गंवाए, तो किसी ने हाथ। इनमें ज्यादातर लोग वे थे जो धनतेरस की शॉपिंग करने गए थे। सरोजनी नगर के रहने वाले भगवान दास के बेटे, बहू और पोता तीनों शॉपिंग करने गए थे। बम धमाकों ने तीनों को निगल लिया।
इन धमाकों पर गृह मंत्रालय का कहना था कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच को विस्फोट से पहले खुफिया जानकारी मुहैया कराई गई थी, लेकिन वह उस पर कार्रवाई नहीं कर सकी। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में विस्फोटों से 15 दिन पहले अमेरिका ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी कर हैदराबाद, दिल्ली, कोलकाता और मुंबई नहीं जाने की सलाह दी थी।
पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्करे-तैयबा ने एक वेबसाइट पर ‘इस्लामिक इंकलाब महाज’ नाम से इन धमाकों की जिम्मेदारी ली। दिल्ली पुलिस ने बम धमाकों में शामिल संदिग्ध हमलावरों में से एक के तीन स्केच जारी किए। कुल तीन आरोपी बनाए गए। तारिक अहमद डार, मोहम्मद हुसैन फाजिली और मोहम्मद रफीक शाह। तीनों श्रीनगर के रहने वाले थे।
11 नवंबर 2005 को तारिक अहमद डार को कश्मीर से गिरफ्तार किया गया। दिल्ली पुलिस का दावा था कि डार अक्टूबर में दिल्ली में था और कई जगहों पर जाकर रेकी की थी। डार को पुलिस ने मास्टरमाइंड बताया। करीब 12 साल मुकदमा चला।
2017 में दिल्ली के एक ट्रायल कोर्ट ने डार को राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने, साजिश रचने, हथियार इकट्ठा करने, हत्या और हत्या के प्रयास के आरोपों में दोषी ठहराया और 10 साल की सजा सुनाई। जबकि बाकी दो आरोपियों को बरी कर दिया। चूंकि डार 11 साल से जेल में बंद था, लिहाजा उसे भी कोर्ट ने रिहा कर दिया।

29 अक्टूबर 2005, सरोजनी नगर मार्केट में आग बुझाती हुई दिल्ली पुलिस।
दिल्ली ब्लास्ट 2008 : एक के बाद एक 5 सीरियल ब्लास्ट, 30 लोग मारे गए। पूर्व IPS और बाटला हाउस एनकाउंटर को लीड करने वाले कर्नल सिंह अपनी किताब ‘बाटला हाउस का सच’ में लिखते हैं- ‘13 सितंबर को शनिवार था। मैं घर पर ही था और साइंस फिक्शन की एक किताब पढ़ रहा था। पत्नी रेणू ने पूछा- चाय चाहिए?
मैंने हम्म के साथ जवाब दिया और वो रसोई में चली गईं। कुछ देर बाद वह चाय लेकर लौटीं। बेटा अपनी नोटबुक लेकर दौड़ता हुआ आया। बोला- पापा प्लीज ये मैथ्स के क्वेश्चन सॉल्व करने में मेरी हेल्प करो।
आमतौर पर मुझे परिवार के साथ समय बिताने का मौका नहीं मिल पाता था। मैं वीकेंड को परिवार के साथ भरपूर एंजॉय करना चाहता था। इसी बीच मेरे फोन की घंटी बजी। शनिवार की शाम किसका फोन हो सकता है। यह सोचते हुए मैंने फोन उठाया, तो स्क्रीन पर एक पत्रकार का नाम दिखाई दिया।
उन्होंने कहा- सर क्या करोल बाग में कोई विस्फोट हुआ है?
तभी मेरे घर के फोन की घंटी बजने लगी। मेरे दूसरे फोन पर पुलिस कंट्रोल रूम से कॉल आ रही थी।
मैंने पत्रकार से कहा कि दोबारा फोन करता हूं आपको, मेरे पास एक और कॉल आ रही है।
PCR की कॉल उठाया तो पता चला कि कुछ ही मिनट पहले करोल बाग में विस्फोट हुआ है। मैंने टीम से कहा कि तुरंत पहुंच रहा हूं।
अभी मैं रास्ते में ही था कि मुझे PCR से एक और कॉल आई। बताया गया कि 6.30 बजे कनॉट प्लेस में धमाका हुआ है। वहां कूड़ेदान में बम रखा गया था। 5 मिनट बाद मुझे वायरलेस पर तीन और धमाकों की खबर मिली। ग्रेटर कैलाश एम ब्लॉक मार्केट में दो धमाके और एक धमाका बाराखंबा रोड में। इन जगहों पर भी कूड़ेदानों में ही विस्फोट हुए थे।
करोल बाग में शाम 5.55 मिनट पर बम ब्लास्ट हुआ था। जब मैं वहां पहुंचा, तो देखा कि उस इलाके में सन्नाटा पसरा हुआ था। मुझे बताया गया कि धमाका इतना तेज था कि एक ऑटो रिक्शा जमीन से कई फीट ऊपर तक उड़ गया था। उस ऑटो के परखच्चे उड़ गए थे। पूरी सड़क पर खून बिखरा हुआ था।’

धमाका इतना जबरदस्त था कि पास खड़ा ऑटो कई फीट ऊंचा उड़ गया था।
दिल्ली सीरियल ब्लास्ट में कुल 25 लोगों की मौत हुई। 100 से ज्यादा लोग जख्मी हुए। बाद में पता चला कि आतंकियों ने बम प्लांट करने के बाद दिल्ली पुलिस को ईमेल भेजा था। ईमेल में लिखा था- ‘ठीक 5 मिनट बाद आप तेज, सटीक और लगातार हमले देखेंगे। 9 सबसे शक्तिशाली सिलसिलेवार बम विस्फोट।’
पुलिस इसे डिकोड करने की कोशिश कर ही रही थी कि धमाकों का सिलसिला शुरू हो गया। ये ईमेल आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन की तरफ से भेजा गया था।
गुब्बारे बेचने वाले की मदद से पुलिस ने तैयार किया आतंकियों का स्केच
पूर्व IPS कर्नल सिंह लिखते हैं- ‘धमाके के एक दिन बाद 14 सितंबर की रात करीब 3 बजे मेरे फोन की घंटी बजी। 1994 बैच के IPS अधिकारी DCP आनंद मोहन का फोन था। उन्होंने कहा- ‘हमें एक चश्मदीद गवाह मिला है। बाराखंबा रोड पर गुब्बारे बेचने वाले राहुल नाम के 11 साल के लड़के ने दो लोगों को ऑटो रिक्शा से उतरते हुए देखा था।
राहुल के मुताबिक उनमें से एक ने पास के कूड़ेदान में प्लास्टिक का थैला फेंका था। एक की लंबी दाढ़ी थी और वह काले रंग का कुर्ता पायजामा पहना था। दूसरे ने कमीज और पतलून पहन रखी थी। राहुल को फिलहाल कनॉट पुलिस थाने में रखा गया है।’
राहुल की मदद से पुलिस ने आतंकियों के तीन स्केच बनवाए। इनमें से एक की पहचान राहुल ने की थी।
पुलिस ने धमाके की धमकी वाले ईमेल का IP एड्रेस खंगाला, तो पता चला कि पूर्वी दिल्ली के एक साइबर कैफे से मेल भेजा गया था। हालांकि कैफे के मालिक ने उनका पहचान पत्र वगैरह नहीं रखा था। पुलिस ने कैफे से 11 कंप्यूटर जब्त कर लिए।
जांच में पता चला कि ईमेल भेजने वाला कंप्यूटर का जानकार था। मेल भेजने के पहले कंप्यूटर में तारीख और टाइम बदल दिया था। फ्रेश ईमेल ID बनाई थी। पुलिस की जांच में यह भी पता चला कि हमला करने वालों ने जिस फोन का इस्तेमाल किया था, उसका लोकेशन जामिया नगर के बाटला हाउस इलाके में था।

गुब्बारा बेचने वाला राहुल, जिसकी मदद से पुलिस ने आतंकियों के स्केच बनवाए। सरकार ने राहुल को सम्मानित भी किया था।
सिम कार्ड कंपनी का सेल्समैन बनकर आतंकियों के पास पहुंचा पुलिस अधिकारी
19 सितंबर 2013, सुबह दिल्ली पुलिस को पता चला कि बाटला हाउस के एल-18 बिल्डिंग के फ्लैट नंबर 108 में कुछ संदिग्ध हैं। पुलिस को ये भी पता चला कि इन लोगों ने हाल ही में प्रीपेड से पोस्टपेड में कनेक्शन करवाया है। जिसका वेरिफिकेशन करना अभी बाकी था। पुलिस ने तय किया कि उनका एक आदमी सेल्समैन बनकर इनके पास वेरिफिकेशन के बहाने जाएगा।
बाटला हाउस, जामिया मिलिया इस्लामिया मेट्रो स्टेशन से पैदल 10 मिनट की दूरी पर है। बटला हाउस चौक उतरने पर पास में ही खलीलुल्लाह मस्जिद है। इसके पीछे करीब 50 कदम चलने पर वो गली है, जिसमें एल-18 बिल्डिंग है। चार मंजिला एल-18 बिल्डिंग के दोनों तरफ भी इतनी ही ऊंची बिल्डिंग बनी हुई हैं।
पुलिस ने दो टीमें बनाईं। पहली टीम को इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा लीड कर रहे थे। उनके साथ 18 पुलिसकर्मी थे। दूसरी बैकअप टीम थी, जिसे DSP संजीव यादव लीड कर रहे थे।
19 सितंबर की सुबह 11 बजे दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई शुरू की। इंस्पेक्टर मोहन शर्मा की टीम के SI धर्मेंद्र सेल्समैन बनकर ऊपर गए। उस कमरे का दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था। चार-पांच लड़के फ्लैट के अंदर थे। जो लड़का गेट पर आया, उसने धर्मेंद्र से बदतमीजी की। धर्मेंद्र ने आकर DCP संजीव यादव को बताया कि चौथे फ्लोर पर फ्लैट का दरवाजा एल शेप में है और अंदर 4-5 लोग हैं।
इसके बाद पुलिस फिर से उस फ्लैट में पहुंची। सामने वाला दरवाजा बंद था। टीम ने आवाज दी, लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला। इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा ने लेफ्ट साइड वाले दरवाजे को धक्का दिया। धक्का देते ही दरवाजा खुल गया। जैसे ही पुलिस अंदर घुसी, उधर से फायरिंग होने लगी।

बाटला हाउस इलाके में इसी घर के चौथे फ्लोर पर एनकाउंटर हुआ था।
इंस्पेक्टर शर्मा और हेड कॉन्स्टेबल बलवंत को गोली लग गई। फौरन बैकअप टीम उन्हें अस्पताल ले गई। इसके बाद बैकअप टीम के संजीव यादव और उनके साथियों ने मोर्चा संभाल लिया। पुलिस की फायरिंग में दो लड़के मारे गए, जबकि दो लड़के भाग निकले। एक लड़के ने खुद को वॉशरूम में बंद कर रखा था। वो बाद में जिंदा पकड़ा गया।
उसी दिन शाम को इंस्पेक्टर मोहन शर्मा की मौत हो गई। मारे गए आरोपी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद थे। जिंदा पकड़े गए लड़के का नाम मोहम्मद सैफ था। उसकी मदद से पुलिस ने उन दो लड़कों को भी गिरफ्तार कर लिया, जो भागे थे। उनके नाम आरिफ खान और शहजाद अहमद था।
मानवाधिकार संगठनों ने बाटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी बताया। कोर्ट में न्यायिक जांच की मांग हुई, लेकिन कोर्ट ने ऐसी जांच कराने से इनकार कर दिया। 2021 में दिल्ली के साकेत कोर्ट ने आरिफ को सजाए मौत और शहजाद को उम्रकैद की सजा सुनाई।

बाटला हाउस एनकाउंटर में घायल इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा को अस्पताल ले जाया गया। बाद में उनकी मौत हो गई थी।
सलमान खुर्शीद ने कहा- ‘बाटला हाउस एनकाउंटर की तस्वीरें देख रो पड़ीं थीं सोनिया गांधी’
9 फरवरी 2012, जगह UP का आजमगढ़। विधानसभा चुनावों की घोषणा हो चुकी थी। पहले चरण की वोटिंग भी हो चुकी थी। कांग्रेस नेता और केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खान खुर्शीद ने कहा- ‘मैंने सोनिया गांधी को बाटला हाउस एनकाउंटर की तस्वीरें दिखाईं तो वो रो पड़ीं। उन्होंने हाथ जोड़कर कहा कि ये तस्वीर मुझे मत दिखाओ। जाओ प्रधानमंत्री से बात करो।
हमने प्रधानमंत्री से बात की। मामला आगे बढ़ा। यह भी तय हो गया कि कौन सा रिटायर्ड जस्टिस इसकी जांच करेगा, लेकिन उस समय देश में चुनाव थे। हमने मानवाधिकार आयोग जाने का फैसला किया। हम सुप्रीम कोर्ट तक गए। हमें उम्मीद थी कि राहत मिल जाएगी, लेकिन राहत नहीं मिली।’
तब कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी बाटला हाउस एनकाउंटर पर सवाल उठाए थे। हालांकि गृह मंत्री पी चिदंबरम ने उस एनकाउंटर को सही ठहराया। उन्होंने कहा- ‘दिग्विजय सिंह लंबे समय से ऐसा कहते आ रहे हैं। मैं उनकी भावनाओं का सम्मान करता हूं, लेकिन बतौर गृह मंत्री मैं यह कहना चाहता हूं कि वो एनकाउंटर जेन्विन था।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई चुनावी सभाओं में बाटला हाउस एनकाउंटर का जिक्र करते हुए सोनिया गांधी को घेर चुके हैं। 2019 में मध्यप्रदेश में चुनावी सभा के दौरान PM ने कहा- ‘बाटला हाउस एनकाउंटर में जब आतंकी मारे गए, तो एक राजदरबारी ने दुनिया को बताया था कि रिमोट कंट्रोल से सरकार चलाने वालों के आंसू थम नहीं रहे थे।’
PM ने सोनिया गांधी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा सोनिया की तरफ ही था। मोदी कई बार बाटला हाउस का जिक्र कर कांग्रेस को घेर चुके हैं।

दिल्ली बम ब्लास्ट 2005 में घायल हुए लोगों को देखने सफदरजंग अस्पताल पहुंचीं सोनिया गांधी।
कांग्रेस नेताओं ने बाटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी बताया, BJP ने उठाया फायदा
2005 और 2008 दोनों बम धमाकों के दौरान दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। केंद्र में भी कांग्रेस की सरकार थी। चुनावों में ये दोनों घटनाएं मुद्दा भी बनीं, लेकिन उसके बाद हुए चुनाव में कांग्रेस ने वापसी की। हालांकि 2012 में जब सलमान खुर्शीद ने बाटला हाउस एनकाउंटर और सोनिया गांधी का जिक्र किया, तो कई कांग्रेसी नेताओं ने इसे फर्जी बताया।
उसके बाद नरेंद्र मोदी और BJP ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया। 2012 के बाद दिल्ली विधानसभा और लोकसभा दोनों ही चुनावों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। 2012 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 28 सीटें जीतकर BJP सबसे बड़ी पार्टी बनी। 2014 के लोकसभा में BJP ने दिल्ली की सभी सात संसदीय सीटें जीत लीं।

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