जुर्मट्रेंडिंगनई दिल्लीस्लाइडर

1 पोस्टर से हुआ डॉक्टर्स के Terrorist Module का खुलासा: 1 महीने में 7 ठिकानों से आतंकी पकड़े गए, फिर Delhi में कैसे हुई चूक ?

Delhi Red Fort Blast Security Lapse; Doctors | Pakistan: पिछले 30 दिनों में भारत की एजेंसियों ने आतंकी मॉड्यूल पर 7 बड़े वार किए। कोई इंजीनियर था, कोई मौलवी, तो कोई डॉक्टर। जम्मू-कश्मीर के एक पोस्टर से शुरू हुई यह कहानी फरीदाबाद के क्लिनिक तक पहुंची। करीब 2900 किलो विस्फोटक भी जब्त किया गया, लेकिन आखिरी अहम कड़ी तक पहुंचते, उससे पहले ही दिल्ली के लालकिले के करीब ब्लास्ट हो गया। पढ़िए इससे जुड़े 5 जरूरी सवालों के जवाब…

सवाल-1: जांच एजेंसियों ने 1 महीने में कैसे रोके 7 बड़े आतंकी हमले?

जवाब: बीते ठीक 1 महीने के अंदर सुरक्षा एजेंसियों ने देश भर में अलग-अलग 7 ठिकानों से संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया। इनके पास से भारी मात्रा में विस्फोटक और हथियार बरामद हुए…

1. 15 सितंबर: सहारनपुर से आतंकी गिरफ्तार

  • यूपी ATS ने सहारनपुर से बिलाल खान को गिरफ्तार किया, जिसने 4 हजार से ज्यादा फोन नंबरों से पाकिस्तान में अल कायदा के हैंडलर से संपर्क किया था। पाकिस्तानी हैंडलर उसे आतंकी हमले की योजना को लेकर लगातार निर्देश भेज रहे थे।
सहारनपुर में पकड़ाया बिलाल खान सोशल मीडिया पर जिहादी तकरीरें फैला रहा था।

सहारनपुर में पकड़ाया बिलाल खान सोशल मीडिया पर जिहादी तकरीरें फैला रहा था।

2. 9 अक्टूबर: पंजाब से दो आतंकी पकड़े गए

  • 9 अक्टूबर को पंजाब पुलिस ने जालंधर से दो आतंकी गुरजिंदर सिंह और दीवान सिंह को पकड़ा। ये आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल से जुड़े थे। 2.5 किलो RDX वाला IED बम और एक रिमोट कंट्रोल मिला।
  • डीजीपी गौरव यादव ने बताया कि बीकेआई सरगना हरविंदर सिंह उर्फ ​​रिंदा के निर्देश पर ब्रिटेन स्थित हैंडलर निशान जौरियां और आदेश जमराई ये मॉड्यूल चला रहे थे। IED का इस्तेमाल आतंकी हमले में किया जाना था।

3. 17 अक्टूबर: जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े दो संदिग्ध गिरफ्तार

  • आंध्र प्रदेश पुलिस ने उत्तर प्रदेश से सज्जाद हुसैन और महाराष्ट्र से तौफीक आलम शेख को गिरफ्तार किया। पुलिस को दोनों की जानकारी आंध्रप्रदेश में पकड़े गए संदिग्ध आतंकी नूर मोहम्मद से मिली।
  • दोनों के पास से कुछ इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और जिहादी प्रचार का मटेरियल मिला। ये दोनों जैश-ए-मोहम्मद के चीफ मसूद अजहर के रिश्तेदार तल्हा भाई के संपर्क में थे।
  • सज्जाद और तौफीक जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम कर रहे थे और युवाओं को टेरर नेटवर्क में शामिल करने की कोशिश कर रहे थे।
आंध्र प्रदेश पुलिस ने दोनों आतंकियों को गिरफ्तार करने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें बताया कि दोनों जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम करते हैं।

आंध्र प्रदेश पुलिस ने दोनों आतंकियों को गिरफ्तार करने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें बताया कि दोनों जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम करते हैं।

4. 24 अक्टूबर: दिल्ली से ISIS के 2 आतंकी पकड़े गए

  • दिल्ली पुलिस ने दो संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया। एक संदिग्ध मोहम्मद अदनान को दिल्ली से, जबकि दूसरे अदनान खान को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से पकड़ा गया।
  • ये दोनों दिवाली पर दिल्ली में एक बड़े आतंकी हमले की योजना बना रहे थे। दोनों ने दिल्ली के एक बड़े मॉल की रेकी की थी।
  • ये दोनों IED बम बनाने के आखिरी फेज में थे और ऑनलाइन सोर्सेज से फिदायीन हमलों की ट्रेनिंग ले रहे थे।
मोहम्मद अदनान और अदनान खान के पास से इलेक्ट्रॉनिक सामान, लैपटॉप, फोन और गोला-बारूद बरामद हुए।

मोहम्मद अदनान और अदनान खान के पास से इलेक्ट्रॉनिक सामान, लैपटॉप, फोन और गोला-बारूद बरामद हुए।

5. 28 अक्टूबर: अल-कायदा से जुड़ा इंजीनियर

  • महाराष्ट्र ATS ने पुणे से 35 साल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर जुबैर हंगरगेकर को गिरफ्तार किया। ATS करीब एक महीने से हंगरगेकर की निगरानी कर रही थी। जुबैर पुणे की एक कंपनी में सॉफ्टवेयर डेवलपर और डेटाबेस डेवलपमेंट का काम करता था।
  • जुबैर के पास 19 लैपटॉप थे, जिनमें अल-कायदा से जुड़ा साहित्य और कट्टरपंथ फैलाने वाली चीजें थीं। उसने ये डेटा डिलीट करने की भी कोशिश की। जुबैर के फोन में 5 इंटरनेशनल कॉन्टैक्ट नंबर सेव पाए गए।

6. 7 नवंबर: टीटीपी से संबंध में एक मौलवी गिरफ्तार

  • राजस्थान एटीएस ने 7 नवंबर को जालोर जिले से एक मौलवी को आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार किया।
  • आरोपी ओसामा उमर पिछले 4 साल से TTP के शीर्ष कमांडरों के संपर्क में था। मौलवी ने कट्टरपंथी विचारधारा से 4 लोगों का ब्रेनवॉश कर उन्हें TTP में भर्ती किया।
  • ओसामा देश छोड़कर दुबई के रास्ते अफगानिस्तान भागने की फिराक में था।

7. 9 नवंबर: अहमदाबाद से ISIS के 3 आतंकी गिरफ्तार

  • गुजरात ATS ने 9 नवंबर को ISIS से जुड़े तीन आतंकवादियों को अहमदाबाद से गिरफ्तार किया। तीनों पिछले 1 साल से ATS के रडार पर थे।
  • इनमें से एक हैदराबाद के 35 साल के डॉक्टर हमद मोहिउद्दीन सैयद और 2 लड़के सुलेमान शेख (20) और मोहम्मद सुहैल मोहम्मद सलीम खान (23) उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे। तीनों देश में कई जगह हमलों को अंजाम देने की फिराक में थे।
  • ISIS से जुड़े सैयद के पास से दो ग्लॉक पिस्टल, एक बेरेटा पिस्टल, 30 जिंदा कारतूस, 4 किलो कास्टर बीन्स का गूदा (जिससे रिसिन नाम का जहर तैयार किया जाता है) मिला।
तीनों आतंकियों के पास मिले हथियारों को पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए लाया गया था।

तीनों आतंकियों के पास मिले हथियारों को पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए लाया गया था।

इनके अलावा जम्मू-कश्मीर में एक पोस्टर से सुरक्षा एजेंसियों को क्लू मिला, जिसके बाद उत्तर प्रदेश के लखनऊ तक तीन प्रमुख आतंकी पकड़े गए, जो पेशे से डॉक्टर्स थे। डॉक्टर्स का ये आतंकी मॉड्यूल पूरे देश में अमोनियम नाइट्रेट के बम से हमले को अंजाम देने की फिराक में था।

सवाल-2: एक पोस्टर से कैसे पकड़ा गया डॉक्टर्स का आतंकी मॉड्यूल?

जवाब: 10 नवंबर को दिल्ली में धमाके से पहले हरियाणा के फरीदाबाद में 360 किलो विस्फोटक मिलने से पहले जम्मू-कश्मीर के नौगांव में एक पोस्टर दिखाई दिया था, जिससे पूरी साजिश का खुलासा हुआ…

  • इस पोस्टर में स्थानीय दुकानदारों को चेतावनी दी गई थी कि वह सेना या किसी सेंट्रल एजेंसी से कोई वास्ता न रखें, न ही कोई डील करें। इस पर सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हुए।
  • सीसीटीवी फुटेज और बाकी खोजबीन से पता चला कि उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में रह रहे कश्मीर के अनंतनाग के रहने वाले डॉक्टर आदिल अहमद ने ये पोस्टर लगाए थे।
  • आदिल अनंतनाग के सरकारी मेडिकल कॉलेज (GMC) में प्रैक्टिस करता था। उसने 2024 में वहां से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद वह सहारनपुर में प्रैक्टिस करने लगा।
  • आदिल पकड़ में आया, तो जम्मू-कश्मीर पुलिस की पूछताछ में उसने 3 और डॉक्टर्स के नाम लिए। आदिल की निशानदेही पर पुलिस फरीदाबाद में डॉ. मुजम्मिल शकील तक पहुंची, जिसके क्लिनिक से एक AK 56 राइफल, 350 किलो अमोनियम नाइट्रेट, कुछ दूसरे केमिकल और IED यानी इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस बम बनाने का मटेरियल बरामद हुआ।
  • मुजम्मिल के घर से 4 किमी दूर फतेहपुर तगा गांव से एक मौलाना के घर से 2,563 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया गया।
  • मुजम्मिल शकील से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने लखनऊ से उसकी गर्लफ्रेंड महिला डॉक्टर शाहीन शाहिद को गिरफ्तार किया। पुलवामा के कोइल का रहने वाला डॉक्टर मुजम्मिल फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाता था। मुजम्मिल, डॉक्टर शाहीन की कार इस्तेमाल करता था। उसने फरीदाबाद के धौज गांव में 3 महीने पहले किराए पर कमरा लिया था। वह यहां रहता नहीं था, केवल सामान रखने के लिए कमरा लिया था।

जांच के मुताबिक ये मॉड्यूल 2021-22 में बनना शुरू हुआ था। शुरुआत में एक हाशिम नाम का व्यक्ति लोगों को इकट्‌ठा कर रहा था। उसके बाद कश्मीर घाटी में डॉ. उमर ने मॉड्यूल को लीड किया। इस मॉड्यूल का मकसद IED बनाना और देश भर में आतंकी हमले करना था। ये लोग लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और अंसर गजवात-उल-हिंद (AGuH) जैसे आतंकी संगठनों से जुड़कर अपनी खुद की एक तंजीम यानी आतंकी संगठन भी बनाना चाह रहे थे।

आदिल की गिरफ्तारी के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हरियाणा के फरीदाबाद से उत्तर प्रदेश के लखनऊ तक 15 दिन अभियान चलाकर 2900 किलो विस्फोटक (संदिग्ध अमोनियम नाइट्रेट) जब्त किया।

सूत्रों के अनुसार, पुलवामा निवासी डॉक्टर उमर मोहम्मद i20 कार चला रहा था, जिसका इस्तेमाल लाल किला मेट्रो स्टेशन के पार्किंग एरिया के पास धमाके में किया गया था।

सूत्रों के अनुसार, पुलवामा निवासी डॉक्टर उमर मोहम्मद i20 कार चला रहा था, जिसका इस्तेमाल लाल किला मेट्रो स्टेशन के पार्किंग एरिया के पास धमाके में किया गया था।

सवाल-3: अगर 2900 किलो विस्फोटक फटता तो कितनी तबाही होती?

जवाब: 2900 किलो अमोनियम नाइट्रेट का बम 2.3 टन के TNT बम के बराबर धमाका करेगा। अगर आतंकी इतने बारूद को एक साथ किसी जगह पर ब्लास्ट कर देते, तो 50 मीटर का इलाका पूरी तरह नष्ट हो जाता। अगर भीड़-भाड़ वाले इलाके में धमाका होता, तो सैकड़ों लोगों की जान जा सकती थी। इतने दायरे में 14,400 किमी/घंटा की स्पीड वाली तरंगें लोगों के फेफड़े फाड़ देतीं।

इतने विस्फोटक से 150 मीटर तक के दायरे में इमारतों की दीवारें ढह सकती हैं। करीब 400 मीटर इमारतों में लगे कांच टूट सकते हैं और करीब 800 मीटर तक तेज कंपन महसूस हो सकता है। 1995 में अमेरिका के ओक्लाहोमा सिटी में करीब 1800 किलो अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया था। इसमें 168 लोगों की जान गई थी और 600 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। अगर आतंकियों के इकट्‌ठा किए हुए 2900 किलो अमोनियम नाइट्रेट में एक साथ विस्फोट होता, तो ओक्लाहोमा बॉम्बिंग से दोगुना बड़ा हादसा होता।

सवाल-4: दिल्ली ब्लास्ट रोकने में चूक कैसे हो गई?

जवाब: अभी तक इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन विपक्षी नेता और जानकार कई लेवल की चूक बता रहे हैं…

1. कई बार बिकी ब्लास्ट वाली कार, चालान भी कटा

लाल किले के पास जिस कार में ब्लास्ट हुआ, वह हरियाणा नंबर की i20 थी। कार हरियाणा के गुरुग्राम में सलमान के नाम पर रजिस्टर्ड थी। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक ये कार बार-बार बेची गई। इसकी RC पर नाम मोहम्मद सलमान और तारीख 18 मार्च 2014 लिखी है।

इससे पहले ये कार साउथ कश्मीर के पुलवामा के समबोरा गांव में रहने वाले तारिक को बेची गई थी। एक फोटो सामने आई है, जिसमें कार के साथ एक शख्स दिखाई दे रहा है। इसके तारिक होने का दावा किया जा रहा है।

फरीदाबाद के तिकोना पार्क में 20 सितंबर, 2025 को गलत जगह पार्किंग करने पर इस कार का 1500 रुपए का चालान कटा था। ये जगह डॉ. मुजम्मिल शकील के घर से सिर्फ 25 किमी दूर है। इस बीच कार सवार पकड़े जाने से बचते रहे और विस्फोटक दिल्ली तक पहुंच गया।

2. भारी मात्रा में विस्फोटक इकट्ठा होता रहा

हरियाणा में मौलवी के घर से 2500 किलो विस्फोटक बरामद हुआ। कुल विस्फोटक कितना था और किन रास्तों से इकट्‌ठा किया गया, इसकी पूरी छानबीन नहीं हो पाई है। अमोनियम नाइट्रेट जैसे खतरनाक केमिकल को बिना लाइसेंस नहीं खरीदा जा सकता। इसके बावजूद आतंकी भारी मात्रा में इसे इकट्‌ठा करते रहे।

हाई अलर्ट के बावजूद विस्फोटक की पूरी खेप पकड़ी नहीं जा सकी और दिल्ली तक विस्फोटक पहुंच गया। हालांकि अभी साफ नहीं है कि दिल्ली जैसे हाई-सिक्योरिटी वाले इलाके में जो विस्फोटक पहुंचा, उसका सोर्स फरीदाबाद मॉड्यूल से है या नहीं, जहां से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट जब्त किया गया था।

3. तीन घंटे कार पार्किंग में रही, कार चला रहा उमर नहीं पकड़ा गया

पुलिस के मुताबिक कार में बैठे शख्स का नाम डॉ. मोहम्मद उमर नबी है। वह पुलवामा का रहने वाला है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक उमर ने विस्फोटकों के साथ खुद को उड़ा लिया। सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक, कार लाल किले के पास सुनहरी मस्जिद पार्किंग में तीन घंटे रुकी। कई फुटेज खंगाले गए, लेकिन अभी तक चेकिंग से जुड़ा कोई सुराग नहीं मिला है। कहा जा रहा है कि उमर ही धमाके के समय मास्क पहने कार में सवार था। जिसे समय रहते पकड़ा नहीं जा सका।

हुंडाई i20 कार दोपहर बाद 03:19 बजे पार्किंग में दाखिल हुई थी।

हुंडाई i20 कार दोपहर बाद 03:19 बजे पार्किंग में दाखिल हुई थी।

सवाल-5: अभी किन सवालों के जवाब मिलने बाकी हैं?

जवाब: दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े 6 सवालों के जवाब मिलने अभी बाकी हैं…

1. कौन सा और कितना विस्फोटक इस्तेमाल हुआ:

शुरुआती फोरेंसिक जांच से पता चला है कि अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल ऑयल (ANFO) के विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ, इसका फरीदाबाद में पकड़े गए विस्फोटक से कनेक्शन बताया जा रहा है, लेकिन अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

2. क्या कार में डॉ. उमर के साथ कोई और भी था:

माना जा रहा है कि फरीदाबाद मॉड्यूल खुलासे के बाद उमर ने पकड़े जाने के डर से घबरा कर विस्फोट कर दिया। हालांकि अभी डीएनए टेस्ट से इसकी पुष्टि होनी बाकी है। उसके परिवार के 6 सदस्यों को पुलवामा से हिरासत में लिया गया है।

3. हाई-सिक्योरिटी जोन में कार कैसे पहुंची:

कार बदरपुर बॉर्डर से फरीदाबाद होते हुए दिल्ली में घुसी, लाल किले तक दो-तीन घंटे रुक-रुक कर चली, लेकिन बिना किसी चेकिंग के कार हाई-सिक्योरिटी चेकपॉइंट्स को पार करते हुए पार्किंग तक पहुंच गई।

4. पार्किंग में तीन घंटे गाड़ी क्यों खड़ी रही:

सीसीटीवी फुटेज के आधार पर कहा जा रहा है कि धमाके से पहले डॉ. उमर पार्किंग में कार के अंदर ही बैठा रहा। संदिग्ध या तो किसी का इंतजार कर रहा था या किसी के ऑर्डर का इंतजार कर रहा था।

5. धमाके के पीछे की वजह क्या:

लाल किला सोमवार को बंद रहता है, इसलिए भीड़ कम होने पर अंदर घुसना मुश्किल था, लेकिन नेहरू सुभाष मार्ग की रेड लाइट के पास का इलाका चुनने से आतंकियों का मकसद साफ है कि वह ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाना चाहते थे। हालांकि अभी ये पुष्टि नहीं हुई है कि लाल किले जैसी ऐतिहासिक जगह को निशाना बनाने का मकसद कोई विदेशी साजिश है या दिल्ली में दहशत फैलाकर कोई राजनीतिक संदेश देने की कोशिश है।

6. क्या यह आतंकी हमला था:

अभी तक किसी आतंकी संगठन ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है। हमले के पीछे जैश-ए-मोहम्मद का हाथ माना जा रहा है। हालांकि जैश का लिंक संदिग्ध है, क्योंकि जैश पुलवामा जैसे IED हमलों का पैटर्न फॉलो करता है, जिनमें ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने के लिए विस्फोटक में छर्रे और कीलें मिलाई जाती हैं। जबकि दिल्ली के पुलिस कमिश्नर सतीश गोलचा के मुताबिक, घायलों के शरीर पर पैलेट या छेद के निशान नहीं मिले हैं। ये बम धमाकों में असामान्य है। सभी एंगल से जांच की जा रही है।

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