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दिल्ली में 27 साल बाद भाजपा को स्पष्ट बहुमत: AAP ने 40 सीटें गंवाईं, कांग्रेस का नहीं खुला खाता, जानिए हार की 6 बड़ी वजहें…

delhi election results 2025: दिल्ली में 27 साल बाद बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिला है। दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों में से बीजेपी ने 48 और आम आदमी पार्टी (आप) ने 22 सीटें जीती हैं। कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली है।

1993 में बीजेपी ने 49 सीटें यानी दो तिहाई बहुमत हासिल किया था। 5 साल की सरकार में मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज सीएम बने थे। 1998 के बाद कांग्रेस ने 15 साल तक राज किया। इसके बाद 2013 से आम आदमी पार्टी सत्ता में है।

इस बार बीजेपी ने 71% के स्ट्राइक रेट के साथ अपनी सीटों में 40 का इजाफा किया। पार्टी ने 68 सीटों पर चुनाव लड़ा और 48 सीटें जीतीं। वहीं, आप को 40 सीटों का नुकसान हुआ। आप का स्ट्राइक रेट 31% रहा।

बीजेपी ने पिछले चुनाव (2020) के मुकाबले अपने वोट शेयर में 9% से ज्यादा का इजाफा किया। वहीं, आप को करीब 10% का नुकसान हुआ है। कांग्रेस भले ही एक भी सीट न जीत पाई हो, लेकिन वह अपने वोट शेयर में 2% का इजाफा करने में सफल रही।

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दिल्ली के नतीजों के रोचक तथ्य

2020 में भाजपा ने सिर्फ 8 सीटें जीती थीं। 2025 में उसने 6 गुना ज्यादा यानी 48 से ज्यादा सीटें जीतीं।

केजरीवाल की नई दिल्ली सीट पर 20 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। उन्हें मिले वोट तीन अंकों तक भी नहीं पहुंच पाए।

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों के मुताबिक, कांग्रेस के 70 में से 68 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है।

केजरीवाल को प्रवेश वर्मा ने 4089 वोटों से हराया, जबकि संदीप दीक्षित को सिर्फ 4568 वोट मिले।

भाजपा के दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे चुनाव जीत गए हैं। नई दिल्ली से प्रवेश वर्मा और मोती नगर से हरीश खुराना। प्रवेश पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं। खुराना पूर्व सीएम मदन लाल खुराना के बेटे हैं।

2020 के दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन मुस्तफाबाद सीट से तीसरे नंबर पर रहे। उन्होंने ओवैसी की पार्टी AIMIM से चुनाव लड़ा था। यहां से बीजेपी के मोहन सिंह बिष्ट जीते। AAP दूसरे नंबर पर रही।

कांग्रेस फिर जीरो, लेकिन 14 सीटों पर AAP को हराया

दिल्ली में कांग्रेस जीरो थी, जीरो ही रही। लेकिन आम आदमी पार्टी को जरूर हराया। 14 सीटों पर आम आदमी पार्टी की हार का अंतर कांग्रेस को मिले वोटों से भी कम है। यानी अगर AAP और कांग्रेस के बीच गठबंधन होता तो दिल्ली में गठबंधन की सीटें 37 हो जातीं और बीजेपी 34 सीटों पर सिमट सकती थी। बहुमत के लिए 36 सीटें चाहिए।

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हार की 6 बड़ी वजहें; केजरीवाल के खिलाफ खुद मोदी बने चेहरा

भ्रष्टाचार के आरोप लगे, 177 दिन जेल में रहे केजरीवाल: शराब नीति मामले में केजरीवाल कुल 177 दिन जेल में रहे। बीजेपी ने इसे अपने चुनाव प्रचार में मुद्दा बनाया। केजरीवाल खुद को ‘कट्टर ईमानदार’ कहते थे। भाजपा ने उन्हें बार-बार ‘कट्टर बेईमान’ कहा।

सरकारी बंगले ‘शीशमहल’ पर 45 करोड़ खर्च: भाजपा ने केजरीवाल के सरकारी बंगले के जीर्णोद्धार पर 45 करोड़ खर्च करने को मुद्दा बनाया। चुनाव से पहले इसे ‘शीशमहल’ के नाम से प्रचारित किया गया।

केजरीवाल के खिलाफ मोदी खुद चेहरा बने: भाजपा ने इस चुनाव को पीएम मोदी बनाम केजरीवाल बना दिया। प्रधानमंत्री ने अपने नाम पर ही वोट मांगे।

केंद्र ने वोटिंग से 3 दिन पहले 12 लाख तक इनकम टैक्स फ्री किया: दिल्ली में 67% आबादी मध्यम वर्ग की है। पिछले चुनाव में मध्यम वर्ग ने एकमत होकर आप को वोट दिया था। इस फैसले का असर हुआ।

महिलाओं और बुजुर्गों को आर्थिक मदद का ऐलान: मोदी ने हर रैली में कहा कि हम मौजूदा सरकार की किसी भी कल्याणकारी योजना को बंद नहीं करेंगे। साथ ही उन्होंने 60-70 साल की महिलाओं और बुजुर्गों को हर महीने 2500 रुपये देने का ऐलान किया।

67 फीसदी उम्मीदवार बदले: भाजपा ने इस बार कुल 68 उम्मीदवार उतारे। इसमें पिछले चुनाव के 46 उम्मीदवार बदले गए। यानी भाजपा ने अपने 67 प्रतिशत उम्मीदवार बदले।

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