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Bhopal News: भोपाल में है कर्फ्यू वाली माता का मंदिर, एक महीने तक बवाल के बाद हुई थी मूर्ति स्थापना

भोपाल: दुर्गा मंदिरों की कमी नहीं है। इनमें सबसे खास है कर्फ्यू वाली माता का मंदिर। इस मंदिर का नाम जितना दिलचस्प है, उतना ही इसका इतिहास भी दिलचस्प है।

इस मंदिर में नवरात्रि के दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करते हैं। नारियल में अर्जी लिखकर लगाते हैं। मनोकामना भी पूरी होती है। भोपाल ही नहीं बल्कि आसपास के शहरों से भी लोग माता के दर्शन करने पहुंचते हैं।

इस मंदिर का इतिहास बेहद दिलचस्प है। वर्ष 1981 में सोमवारा चौराहे के पास चबूतरे पर अश्विन माह की नवरात्र पर जयपुर से माता की मूर्ति स्थापित की गई थी। छठवीं तिथि के दिन क्षेत्र में मंदिर पर बवाल हो गया।

इसके चलते कर्फ्यू लगाना पड़ा। एक माह बाद सरकार झुकी और मंदिर स्थापना की अनुमति मिल गई। इस वजह से इसका नाम कर्फ्यू वाली माता का मंदिर पड़ा।

यहां मंदिर निर्माण की भूमिका बाबूलाल माली (सैनी) एवं पुजारी पंडित श्रवण अवस्थी ने बनाई थी। मंदिर अब भव्य स्वरूप ले चुका है।

दो अखंड ज्योत जलती रहती है

मंदिर में घी एवं तेल की दो अखंड ज्योत जलती हैं। छह माह में 45 लीटर तेल एवं 45 लीटर घी लगता है। नवरात्र में विशाल भंडारा होता है। सुबह पांच बजे मंदिर खुल जाता है। माता की पहली आरती सुबह साढ़े छह बजे होती है।

सुबह नौ बजे दूसरी आरती होती है। दोपहर 12:30 बजे मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं, जो शाम साढ़े चार बजे पुन: खोले जाते हैं। नवरात्र के अवसर पर रात 12 बजे तक लोग दर्शन करने के लिए आते रहते हैं।

यहां मन्नत मांगने वाले माता के चरणों में अर्जी लगा जाते हैं। सुरक्षा के लिए सीसीटीवी लगे हैं। यहां 50 रुपये से अधिक की राशि का दान सिर्फ चेक के माध्यम से ही स्वीकार किया जाता है।Source link

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