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Bilaspur: पथ संचलन में राष्ट्रीय स्वयं सेवकों की जुटी भीड़, राम माधव ने कार्यक्रम को किया संबोधित

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बिलासपुर में पथ संचलन के साथ बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत कार्यक्रम में आरएसएस के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य राम माधव विशेष रूप से शामिल रहे। दरअसल बिलासपुर के रेलवे इंस्टिट्यूट ग्राउंड में आयोजित आरएसएस के कार्यक्रम में राम माधव ने उद्बोधन देते हुए उन्होंने हिंदुत्व और मतांतरण पर भी खुलकर अपनी बात रखी।

राम माधव ने कहा कि आज हिंदुत्व के विचार का प्रभाव इतना ज्यादा है कहीं राम जी के जन्म स्थान पर राम जी के मंदिर का भव्य पुनिर्माण होता हुआ दिखाई दे रहा है तो कही राम वन गमन पथ पर भी मंदिरों का निर्माण होता दिखता है। फिर चाहे दोनों को करने वाले भले ही अलग-अलग पार्टियों के लोग हों। 

आगे उन्होंने कहा कि, एक ऐसा समय था, जब हिंदू विचार कहना सेकुलरिज्म का विरोध माना जाता था। इसको सांप्रदायिकता का परिचायक माना जाता था। लेकिन आज जो दृश्य है, सबसे बड़ा हिंदू मैं हूं यह कहने की होड़ लगी हुई है। एक राम जन्मभूमि में राम मंदिर बनाएंगे कहता है तो एक कहता है राम पथ गमन में मंदिर बनेगा। कोई और दल का नेता कहेगा हम गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाएंगे तो यहां का नेता कहेगा हम भी गौ रक्षा के लिए बहुत कुछ करेंगे। 

राम माधव ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम लिए बिना ही उन पर इशारों- इशारों पर हमला बोला। उन्होने कहा कि पब्लिक मीटिंग में कोई अपना जनेऊ दिखा रहा है तो कोई गोत्र का परिचय दे रहा है। यहां तक की भारत जोड़ने के प्रयास में आंदोलन शुरू होता है तो उसकी शुरुआत वहां से होती है जो स्वामी विवेकानंद का पावन स्थान है। वही विवेकानंद जिन्होंने गर्व से कहा था कि इस भूमि पर पैदा होने वाला हर एक हिंदू है। ऐसे विवेकानंद के चरणों पर सभी दलों के नेताओं को जाना पड़ता है। यह जो परिवर्तन 75वें वर्षगांठ पर देखने को मिल रहा है यह देश के लिए अच्छा परिवर्तन है। आगे उन्होंने कहा कि संघ की दृष्टि में इसमें कोई राजनीति नहीं है। राजनीति करने वालों को इसमें भी राजनीति दिख सकती है।
 
कांग्रेस पर हमला बोलते हुए राम माधव ने कहा कि हम आजादी के आंदोलन का अमृत महोत्सव मना रहे हैं आजादी के आंदोलन में जो महापुरुष शामिल रहे सब का सम्मान होना चाहिए। लेकिन एक तरफ कह रहे हैं देश को जोड़ना है दूसरी तरफ यही वीर सावरकर पर आरोप लगाते हैं। यह देश जोड़ने वाला विचार नहीं है। जबकि, आजादी के आंदोलन में जिन- जिन महापुरुषों ने योगदान दिया था उनमें अग्रणी पंक्ति में सावरकर भी थे। 

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बिलासपुर में पथ संचलन के साथ बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत कार्यक्रम में आरएसएस के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य राम माधव विशेष रूप से शामिल रहे। दरअसल बिलासपुर के रेलवे इंस्टिट्यूट ग्राउंड में आयोजित आरएसएस के कार्यक्रम में राम माधव ने उद्बोधन देते हुए उन्होंने हिंदुत्व और मतांतरण पर भी खुलकर अपनी बात रखी।

राम माधव ने कहा कि आज हिंदुत्व के विचार का प्रभाव इतना ज्यादा है कहीं राम जी के जन्म स्थान पर राम जी के मंदिर का भव्य पुनिर्माण होता हुआ दिखाई दे रहा है तो कही राम वन गमन पथ पर भी मंदिरों का निर्माण होता दिखता है। फिर चाहे दोनों को करने वाले भले ही अलग-अलग पार्टियों के लोग हों। 

आगे उन्होंने कहा कि, एक ऐसा समय था, जब हिंदू विचार कहना सेकुलरिज्म का विरोध माना जाता था। इसको सांप्रदायिकता का परिचायक माना जाता था। लेकिन आज जो दृश्य है, सबसे बड़ा हिंदू मैं हूं यह कहने की होड़ लगी हुई है। एक राम जन्मभूमि में राम मंदिर बनाएंगे कहता है तो एक कहता है राम पथ गमन में मंदिर बनेगा। कोई और दल का नेता कहेगा हम गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाएंगे तो यहां का नेता कहेगा हम भी गौ रक्षा के लिए बहुत कुछ करेंगे। 

राम माधव ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम लिए बिना ही उन पर इशारों- इशारों पर हमला बोला। उन्होने कहा कि पब्लिक मीटिंग में कोई अपना जनेऊ दिखा रहा है तो कोई गोत्र का परिचय दे रहा है। यहां तक की भारत जोड़ने के प्रयास में आंदोलन शुरू होता है तो उसकी शुरुआत वहां से होती है जो स्वामी विवेकानंद का पावन स्थान है। वही विवेकानंद जिन्होंने गर्व से कहा था कि इस भूमि पर पैदा होने वाला हर एक हिंदू है। ऐसे विवेकानंद के चरणों पर सभी दलों के नेताओं को जाना पड़ता है। यह जो परिवर्तन 75वें वर्षगांठ पर देखने को मिल रहा है यह देश के लिए अच्छा परिवर्तन है। आगे उन्होंने कहा कि संघ की दृष्टि में इसमें कोई राजनीति नहीं है। राजनीति करने वालों को इसमें भी राजनीति दिख सकती है।

 

कांग्रेस पर हमला बोलते हुए राम माधव ने कहा कि हम आजादी के आंदोलन का अमृत महोत्सव मना रहे हैं आजादी के आंदोलन में जो महापुरुष शामिल रहे सब का सम्मान होना चाहिए। लेकिन एक तरफ कह रहे हैं देश को जोड़ना है दूसरी तरफ यही वीर सावरकर पर आरोप लगाते हैं। यह देश जोड़ने वाला विचार नहीं है। जबकि, आजादी के आंदोलन में जिन- जिन महापुरुषों ने योगदान दिया था उनमें अग्रणी पंक्ति में सावरकर भी थे। 

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