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दाव पर लगी दिग्गजों की साख: जिला पंचायत चुनाव में रोचक मुकाबला, जमीनी पकड़ कराएगी एहसास, जानिए पुष्पराजगढ़ के नेताओं का हाल ?

रमेश तिवारी, पुष्पराजगढ़। मध्यप्रदेश त्रिस्तरी पंचायत चुनाव का इंतजार तारीखों के ऐलान के साथ ही खत्म हो गया. प्रत्याशी अपनी किस्मत का दांव लगाने के लिए इस चुनावी महासंग्राम में कूद चुके है. नाम निर्देशन पत्र और चुनाव चिन्ह के वितरण के बाद अब प्रत्याशी पूरी तरह से दम खम के साथ मैदान में उतर चुके हैं या यूं कहें कि सह और मात का खेल शुरु हो गया है. प्रत्याशी अपने-अपने चुनाव चिन्हों के साथ मतदाता के पास पहुच कर अपनी जीत की अपील कर रहे हैं.

अनुपपुर ज़िले का जिला पंचायत चुनाव इस बार बेहद खास है या ये कहें कि प्रत्यासियों की शाख दाव पर लगी हुई है. ज़िला पंचायत अनूपपुर में ज़िले के कुल 11 वार्डों में 80 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमाने के लिए चुनावी मैदान में उतर चुके हैं. ज़िले के 11 वार्डो में से चार वार्ड क्रमांक 8 से वार्ड क्रमांक 11 पुष्पराजगढ़ के हिस्से में आते हैं. ज़िले में तीन चरणों मे चुनाव सम्पन्न होने हैं. पहले चरण का चुनाव पुष्पराजगढ़ में होना है. इस लिहाज से चुनावी सरगर्मी अपने चरम पर है.

पुष्पराजगढ़ के चार वार्डों में सबसे अहम वार्ड जो माना जा रहा है वो है वार्ड क्रमांक आठ. बाकी सभी वार्डों की अपेक्षा इस वार्ड में दिग्गजों की साख दाव पर लगी हुई है. ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि ज़िले के 11 वार्डों में सबसे अहम और बेहद खास है.

वार्ड क्रमांक 8 क्योंकि वार्ड क्रमांक 8 से इस बार राजनीतिक दिग्गज आमने सामने होंगे. वार्ड क्रमांक 8 से कुल 9 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिसमें मुख्य लड़ाई चार के बीच मानी जा रही है. भाजपा समर्थित इंदाणी सिंह सिग्राम, नर्मदा सिंह और राम सिंह अर्मो और गोगपा से समर्थित प्रत्याशी महेश सिंह नेटी इंद्राणी सिंह हैं, जो सुदामा सिंह की पत्नी है.

भाजपा से दो बार के विधायक और जिला पंचायत सदस्य रह चुके सुदामा सिंह का पार्टी और संगठन में और जनता के बीच सक्रिय रूप से पकड़ है. इंद्राणी सिंह राजनीति में लंबे समय से सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं. इंद्राणी सिंह पूर्व जनपद अध्यक्ष पुष्पराजगढ़ रह चुकी हैं.

वहीं दूसरे दिग्गज प्रत्याशी के रूप में राम सिंह आर्मो है. राम सिंह आर्मो वर्तमान में जिला पंचायत उपाध्यक्ष रह चुके हैं. पिछली बार राम सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के रुप मे चुनाव लड़ा था. जीत हासिल की थी. बाद में राम सिंह को कांग्रेस का समर्थन मिला और कांग्रेस की तरफ से ज़िला पंचायत उपाध्यक्ष बनाया गया, लेकिन बार बार ज़िला पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के द्वारा उपेक्षा किये जाने से नाराज़ राम सिंह को मंत्री बिसाहू लाल सिंह ने भाजपा की सदस्यता दिला पार्टी में शामिल कर लिया.

इस बार भी राम सिंह उपाध्यक्ष की दावेदारी कर रहे हैं, लेकिन पार्टी ने उन्हें अपना समर्थित प्रत्याशी नहीं बनाया है. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि क्या राम सिंह अपनी शाख बचा पाएंगे, लेकिन इस बार उपाध्याय की राह आसान नहीं होगी. क्योंकि रामसिह के सामने नर्मदा सिह भी खड़े हैं.

नर्मदा सिंह वार्ड क्रमांक आठ से चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. राम सिंह से नर्मदा सिंह बीस ही रहेंगे. ऐसा माना जा रहा है कि चुनाव जीत कर उपाध्यक्ष बनने का सपना देख रहे दोनों ही नेताओं के बीच कड़ा मुकाबला है. एक तरफ राम सिंह अपनी कुर्सी को बचाये रखने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ नर्मदा सिंह अपनी दूसरी जीत पाने के लिए दशकों से जनता के बीच संघर्ष कर रहे हैं.

नर्मदा सिंह हमेशा से जीत के करीब पहुंच के भी चुनाव नहीं जीत सके. बिरासत में मिली राजनीति का लाभ एक बार अमरकंटक नगर पंचायत अध्यक्ष के रूप में मिला था, लेकिन उसके बाद से उन्हे दूसरी राजनीतिक जीत नहीं मिल पाई है. अपनी दूसरी राजनीतिक जीत हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

वहीं गोगपा समर्थित महेश सिंह नेटी भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिन्हें पार्टी का लाभ मिल सकता है. अब देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनावी दंगल में किसके सिर सजेगा जीत का सेहरा और किसको को मिलेगी मात. ये तो आने वाली 25 तारीख को मतपेटी में कैद हो जाएगा.

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