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डिंडौरी में CM बोले- फाल्गुन के महीने में फग्गन को मिला मौका: मोहन यादव ने कहा- वीरांगना अवंती बाई ने अंग्रजों के 3 बार छक्के छुड़ाए, इतिहास पढ़ना चाहिए

गणेश मरावी,डिंडौरी। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव का बुधवार को डिंडौरी दौरा था। साथ में प्रहलाद पटेल, सम्पतिया बाई उईके भी पहुंचे थे। दरअसल सीएम मोहन यादव डिंडौरी के बालपुर में वीरांगना रानी अवन्ति बाई के बलिदान दिवस कार्यक्रम में सम्मिलित होने पहुंचे थे। इस दौरान सीएम ने वीरांगना रानी अवन्ति बाई के प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित किया। साथ ही आयोजित आमसभा को सम्बोधित किया है।

ये तीन बार के मंत्री है, ये है भोला भण्डारी

सीएम मोहन यादव ने कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सभी प्रकार के योजनाओं का सफल क्रियान्वयन किया जा रहा है। आज हर लोंगो को योजनाओं का लाभ मिल रहा है। फाल्गुन के महीने में फग्गन को दोबारा मौका दिया गया है। फग्गन सिंह तीन बार के मंत्री है, ये तो भोला भण्डारी है।

वीरांगना रानी अवन्ति बाई के जीवन गाथा पर डाला प्रकाश

सीएम ने कहा कि वीरांगना अवंतीबाई लोधी जी का साहस, शौर्य एवं पराक्रम अनंतकाल तक युवाओं को देशभक्ति की प्रेरणा प्रदान करता रहेगा। वीरांगना अवंतीबाई लोधी जी के बलिदान दिवस पर ​डिंडोरी जिले के बालपुर में उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और सभा को संबोधित किया।

उन्होंने कहा कि रानी अवन्ति बाई, दुर्गा वती,रानी लक्ष्मी बाई इनके पुरानी परंपरा है,इन्होंने अपने देश के आजादी के लिए खूब लड़ाई लड़ी है। इन्होंने देश के लिए बलिदान देकर देश को गौरवान्वित किया है। इन्होंने अंग्रजों के 3 – 3 बार छक्के छुड़ाए है।

इतिहास पढ़ोगे तो लगेगा कि हमारे रानी अवंती बाई कितनी बहादुर

सीएम ने कहा कि भुआ बिछिया के थाने में आक्रमण करके अंग्रेजों को कपाल दिए, उनके जीवन का इतिहास पढ़ोगे तो लगेगा कि हमारे रानी अवंती बाई कितनी बहादुर और मां स्वरूपा थी, हम बहुत सौभाग्यशाली हैं जिनके कारण हमारा देश स्वतंत्र हुआ,ऐसे अवन्ति बाई को आज वंदन अभी अभिनंदन करते है।

सीएम ने कहा कि जैसे ही हमारी सरकार बनी, वैसे ही पहली कैबिनेट में हमने जबलपुर रानी अवंती बाई दुर्गावती के नाम से सम्मान किया। लॉर्ड मैकाले के शिक्षा नीति से हमें अपना शिक्षा नीति के माध्यम से हमारे अपने विरासत की गौरवशाली पलों को भुला दिया गया था, जिनके भरोसे पूरा देश संस्कृति को नमन करता था। सारे पाठ हटा दिए थे।

इतिहास को 1947 तक जड़ों तक काट दिया

हमारे अपनी राष्ट्रभाषा सनातन संस्कृति को तिलांजलि देने के लिए अंग्रेजी भाषा को याद करके अंग्रेजी पाठ्यक्रम के आधार पर केवल कागज की डिग्रियां के आधार पर नौकरी देने वाले शिक्षा नीति उन्होंने लागू की थी। जिनने हमको अपने देश के जड़ों से काटने का प्रयास किया। उन्हीं के कारण से आज हमारे छत्रपति शिवाजी महाराणा प्रताप, अवंती बाई से लेकर बाकी के इतिहास को 1947 तक जड़ों तक काट दिया गया था।

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