छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन विधेयक पर बवाल जारी है। सड़क से लेकर विधानसभा तक हंगामा हो रहा है। जुबानी तीर भी चल रहे हैं। कांग्रेस के निशाने पर भाजपा और राज्यपाल हैं। एक बार फिर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने निशाना साधा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक कविता पोस्ट की है। इसमें लिखा है कि ‘अगर ये तुम्हारी चुनौती है, तो मुझे स्वीकार है, लेकिन तुम्हारे लड़ने के तरीके पर धिक्कार है’। एक दिन पहले कांग्रेस प्रतिनिधि मंडल ने राज्यपाल से मुलाकात भी की थी।
कांग्रेस-राजभवन में बढ़ रहा टकराव
दरअसल, छत्तीसगढ़ में संशोधित आरक्षण विधेयक को लेकर विवाद गरमाता जा रहा है। इसके चलते कांग्रेस सरकार और राजभवन के बीच भी टकराव की स्थिति बन गई है। कांग्रेस नेता और विधायकों का प्रतिनिधि मंडल भी राज्यपाल से मिल चुका है। हालांकि विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं हो सके हैं। इसके चलते सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। अब यह राजभवन बनाम कांग्रेस हो गया है। सीएम बघेल तो यहां तक कह चुके हैं कि राज्यपाल आरक्षण को टालने का बहाना ढूंढ रही हैं।
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‘राज्यपाल पद की गरिमा मत तार-तार करो’
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने ट्वीटर हैंडल पर बुधवार को एक कविता पोस्ट की है। इसकी शुरू की दो लाइनों में जहां उन्होंने बिना नाम लिए भाजपा पर निशाना साधा है। वहीं अंतिम दो लाइनों में निवेदन भी किया है। यह निवेदन राज्यपाल को संबोधित है। इसमें लिखा है कि, ‘कायरों की तरह न तुम छिपकर वार करो, राज्यपाल पद की गरिमा मत तार-तार करो’। पढ़िए मुख्यमंत्री ने पूरी कविता क्या लिख है–
‘अगर ये तुम्हारी चुनौती है, तो मुझे स्वीकार है
लेकिन तुम्हारे लड़ने के तरीके पर धिक्कार है
सनद रहे! भले ‘संस्थान’ तुम्हारा हथियार हैं
लड़कर जीतेंगे! वो भीख नहीं आधिकार है
फिर भी एक निवेदन स्वीकार करो-
कायरों की तरह न तुम छिपकर वार करो
राज्यपाल पद की गरिमा मत तार-तार करो’
कल राज्यपाल से मिला था कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल
राज्यपाल अनुसुईया उइके से मंगलवार को राजभवन में कोंडागांव विधायक मोहन मरकाम के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की थी। इस दौरान सदस्यों औ राज्यपाल ने एक-दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं दीं। सदस्यों ने ज्ञापन के माध्यम से छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक, 2022 और छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्था प्रवेश में आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 पर हस्ताक्षर करने का अनुरोध किया।
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राज्यपाल बोलीं- विधि विशेषज्ञों से परामर्श के बाद निर्णय
इस पर राज्यपाल की ओर से प्रतिनिधि मंडल को बताया गया कि आरक्षण और विधानसभा से पारित विधेयक के संबंध में प्रदेश के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग व सामान्य वर्ग के करीब 42 विभिन्न संगठनों ने ज्ञापन व आवेदन दिए हैं। राज्यपाल ने इन आवेदनों सहित क्वांटिफिएबल डाटा आयोग के रिपोर्ट से संबंधित बिन्दुओं पर विचार कर विधि सम्मत निर्णय लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि पारित आरक्षण विधेयक को लेकर विधि विशेषज्ञों के परामर्श के बाद निर्णय लेंगी।
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