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छत्तीसगढ़ में गूंजेगी MP के बाघों की दहाड़: CM भूपेश बघेल ने दी मंजूरी, ATR और बारनवापारा सेंचुरी में छोड़ेंगे

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अगर सबकुछ ठीक रहा तो छत्तीसगढ़ में जल्द ही मध्य प्रदेश के बाघों की दहाड़ सुनाई देगी। इसे लेकर राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी है। इन बाघों को अचानकार टाइगर रिजर्व (ATR) और बारनवापारा वन्य जीव अभ्यारण्य में छोड़ने पर विचार किया जा रहा जा रहा है। इस संबंध में मंगलवार को राज्य जनसंपर्क अधिकारी की ओर से जानकारी दी गई है। 

जीटीएफ ने रखा था प्रस्ताव
मुख्यमंत्री भूपेश की अध्यक्षता में सोमवार को राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक हुई थी। बैठक में बाघों को लेकर आए प्रस्ताव को मुख्यमंत्री ने मंजूरी दे दी। यह प्रस्ताव ग्लोबल टाइगर फोरम (जीटीएफ) की ओर से प्रस्तुत किया गया था। जीटीएफ एक अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय निकाय है, जो विशेष रूप से बाघों के संरक्षण के लिए काम कर रहा है।

बाघों के लिए अनुकूल है ATR
बाघ वृद्धि योजना का उद्देश्य मध्य प्रदेश से उनको लाकर मुंगेली जिले के ATR में छोड़ना है। ATR की सीमा पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व के साथ साझा करती है। यह इलाका शाकाहारी जानवरों की आबादी बढ़ाने के लिए विकसित किया गया है। इन  अभयारण्यों में बाघ अपने शिकार के आधार के रूप में काम में लाते हैं। 

लगातार घट रही है बाघों की संख्या
वन अधिकारियों के अनुसार, अचानकमार को 2009 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। इससे पहले वहां 27 बाघ थे। फिर 2010 की गणना के अनुसार, यह संख्या घटकर 18 रह गई और 2011 में यह 12 ही बचे। अफसरों ने बताय कि वर्तमान में ATR में  इनका सटीक रिकॉर्ड नहीं है, लेकिन ट्रैकिंग कैमरों में पांच से छह बाघ देखे गए हैं।

बारनवापारा में आखिरी बार 2010 में दिखा था बाघ
बैठक में बलौदाबाजार जिले के बारनवापारा अभयारण्य में बाघों को फिर से लाने के प्रस्ताव पर भी सैद्धांतिक सहमति दी गई है। यहां पर आखिरी बार 2010 में बाघ देखा गया था। बारनवापारा में बाघों के रिइंट्रोडक्शन और कंजरवेशन योजना के तहत रिपोर्ट तैयार की जाएगी। फिर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) से अनुमोदन के बाद योजना शुरू करेंगे। 

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अगर सबकुछ ठीक रहा तो छत्तीसगढ़ में जल्द ही मध्य प्रदेश के बाघों की दहाड़ सुनाई देगी। इसे लेकर राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी है। इन बाघों को अचानकार टाइगर रिजर्व (ATR) और बारनवापारा वन्य जीव अभ्यारण्य में छोड़ने पर विचार किया जा रहा जा रहा है। इस संबंध में मंगलवार को राज्य जनसंपर्क अधिकारी की ओर से जानकारी दी गई है। 

जीटीएफ ने रखा था प्रस्ताव

मुख्यमंत्री भूपेश की अध्यक्षता में सोमवार को राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक हुई थी। बैठक में बाघों को लेकर आए प्रस्ताव को मुख्यमंत्री ने मंजूरी दे दी। यह प्रस्ताव ग्लोबल टाइगर फोरम (जीटीएफ) की ओर से प्रस्तुत किया गया था। जीटीएफ एक अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय निकाय है, जो विशेष रूप से बाघों के संरक्षण के लिए काम कर रहा है।

बाघों के लिए अनुकूल है ATR

बाघ वृद्धि योजना का उद्देश्य मध्य प्रदेश से उनको लाकर मुंगेली जिले के ATR में छोड़ना है। ATR की सीमा पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व के साथ साझा करती है। यह इलाका शाकाहारी जानवरों की आबादी बढ़ाने के लिए विकसित किया गया है। इन  अभयारण्यों में बाघ अपने शिकार के आधार के रूप में काम में लाते हैं। 

लगातार घट रही है बाघों की संख्या

वन अधिकारियों के अनुसार, अचानकमार को 2009 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। इससे पहले वहां 27 बाघ थे। फिर 2010 की गणना के अनुसार, यह संख्या घटकर 18 रह गई और 2011 में यह 12 ही बचे। अफसरों ने बताय कि वर्तमान में ATR में  इनका सटीक रिकॉर्ड नहीं है, लेकिन ट्रैकिंग कैमरों में पांच से छह बाघ देखे गए हैं।

बारनवापारा में आखिरी बार 2010 में दिखा था बाघ

बैठक में बलौदाबाजार जिले के बारनवापारा अभयारण्य में बाघों को फिर से लाने के प्रस्ताव पर भी सैद्धांतिक सहमति दी गई है। यहां पर आखिरी बार 2010 में बाघ देखा गया था। बारनवापारा में बाघों के रिइंट्रोडक्शन और कंजरवेशन योजना के तहत रिपोर्ट तैयार की जाएगी। फिर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) से अनुमोदन के बाद योजना शुरू करेंगे। 

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