Chhattisgarh Surguja Family walked 6KM with pregnant woman on Kanwar VIDEO: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में सुविधाओं की कमी का एक वीडियो फिर सामने आया है। खामखूंट गांव में पहाड़ी कोरवा (विशेष संरक्षित जनजाति) की एक गर्भवती महिला को उसके परिवार के लोग कांवड़ पर लादकर 6 किलोमीटर पैदल चले। लाठी के सहारे जंगल के रास्ते पहाड़ चढ़े, तब जाकर उन्हें एंबुलेंस मिली। किसी तरह प्रसव तो हो गया, लेकिन बच्चे की हालत गंभीर बताई जा रही है। ग्रामीणों ने खुद इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।
मामला उदयपुर ब्लॉक के वन क्षेत्र का है। खामखूंट गांव में सड़क, बिजली और पानी की समस्या है, गांव में तीन महीने से बिजली नहीं है। ग्रामीणों ने कई बार इसकी शिकायत भी की, लेकिन अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर पल्ला झाड़ लेते हैं।
2 घंटे में चले 6 किलोमीटर
गांव की मितानिन नैहरो ने उन्हें अस्पताल में ही प्रसव कराने के लिए प्रेरित किया। तब अर्जुन और उनकी पत्नी सुंदरी राजी हुए। शनिवार को गर्भवती महिला को प्रसव के लिए अस्पताल ले जाना था, लेकिन खामखूंट से बटपरगा तक पहाड़ी इलाका होने के कारण सड़क नहीं है। इसके चलते गर्भवती महिला के भाई कुंडू और उसके ससुर पनिक राम ने झलगी (कांवड़) बनाई। इससे खामखूंट से बटपरगा तक 6 किमी का सफर 2 घंटे में पूरा किया।
नर्स ने कराया प्रसव
इसके बाद बटपरगा से एंबुलेंस में बच्चे को 16 किमी दूर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केदमा लाया गया। यहां नर्स ने शाम 4 बजे प्रसव कराया, लेकिन बच्चे की हालत गंभीर थी। इसके बाद बच्चे को रविवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उदयपुर में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है।
सोलर भी तीन महीने से खराब
गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। सोलर पैनल लगाया गया है, जो पिछले तीन महीने से काम नहीं कर रहा है। इस कारण गांव में अंधेरा छाया रहता है। यहां के लोगों का कहना है कि, इसे सुधारने के लिए कई बार जिम्मेदारों से गुहार लगाई गई है।
गांव के लोग कुएं का पानी पीने को मजबूर
गांव के ग्रामीणों ने बताया कि वे पीने, खाने और नहाने के लिए कुएं और जलाशय पर निर्भर हैं। यहां बारिश के मौसम में पानी मटमैला हो जाता है। यहां तक कि जब लोग बीमार पड़ते हैं, तो जंगल से जड़ी-बूटी लाकर इलाज कराते हैं। सड़क नहीं होने के कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाती है।
कई बार अधिकारियों से की गई शिकायत
उपसरपंच कृपाल यादव ने बताया कि गांव के दो-तीन मोहल्लों में कोरवा जनजाति के लोग रहते हैं। खामखूंट में रहने वाले लोग कई बार सरकारी दफ्तर जाकर अपनी समस्या बता चुके हैं। पीएम जन मन में सर्वे कराकर भेजा जा चुका है, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है।
वन विभाग का क्षेत्र, इसलिए सड़क बनाने में दिक्कत
जनपद सीईओ वेद प्रकाश गुप्ता ने बताया कि यह वन विभाग का क्षेत्र है। पीएम जन मन में इसका प्रस्ताव बनाकर भेजा जा चुका है। यहां आवागमन को लेकर भी मुश्किल स्थिति है। इस कारण पीएम आवास समेत अन्य सरकारी काम भी यहां नहीं हो पा रहे हैं।
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