
“हर महीने दो बार 10-10 करोड़ दिए जाते थे… वो भी नकद, हवाला से। पार्टी फंड में 1500 करोड़ कैसे पहुंचे, किसी डायरी में नाम नहीं। लेकिन नेटवर्क पूरे छत्तीसगढ़ से दिल्ली-मुंबई तक फैला था।”
2161 crore Chattisgarh Liquor Scam: छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग में 2161 करोड़ रुपए का शराब घोटाला सिर्फ घोटाला नहीं, एक संगठित भ्रष्टाचार का जाल था, जहां नेता, अफसर, कारोबारी, बिचौलिए और फर्जी कंपनियां – सब एक ही सिंडीकेट का हिस्सा थे। EOW और ED की जांच में जो सामने आया है, वो चौंकाने वाला है, शर्मनाक है।
घोटाले का मास्टर प्लान: शराब से करोड़ों कैसे बनाए?
- फरवरी 2019 से शराब घोटाले की शुरुआत हुई।
- डिस्टलरी से हर महीने 200 ट्रक → फिर 400 ट्रक → अब ओवरबिलिंग के साथ डुप्लीकेट होलोग्राम।
- एक पेटी ₹2840 की थी, बाद में ₹3880 में बेची जाने लगी – ये सब ‘कमीशन सिंडीकेट’ के लिए।
- कुल 60 लाख पेटियां 3 साल में अवैध रूप से बेची गईं।
नेताओं की डायरी में ‘नकद’ की कहानी
2161 crore Chattisgarh Liquor Scam: जांच में सामने आया कि एक दिग्गज कांग्रेसी नेता को हर महीने दो बार ₹10-10 करोड़ नकद हवाला के ज़रिए दिए जाते थे।
- पैसा दिल्ली, मुंबई और कोलकाता के ठिकानों पर भेजा गया।
- हवाला रूट: बस, टैक्सी, मालवाहक
- नाम? डायरी में नहीं, पर जुबानें खुलने लगी हैं।
पार्टी फंड या सफेदपोश हवाला?
2161 crore Chattisgarh Liquor Scam: जांच एजेंसियों का दावा है कि घोटाले से मिले 1500 करोड़ रुपए पार्टी फंड के नाम पर दिए गए, लेकिन:
- किसी डायरी या दस्तावेज़ में पार्टी का नाम नहीं
- ईडी (ED) और ईओडब्ल्यू (EOW) अभी जांच में जुटी है
कैसे चली फ़र्ज़ी कंपनियों की चेन?
पत्नी-बेटियों के नाम पर कंपनियां बनाकर कारोबार:
- अरविंद सिंह – बीएसपी कर्मी → शराब कारोबारी
- पत्नी पिंकी सिंह के नाम पर: अदीप एम्पायर, माउंटेन व्यू इंटरप्राइजेज
- संचालन: भतीजा अमित सिंह
- आईएएस अरुणपति त्रिपाठी
- पत्नी मंजूलता त्रिपाठी के नाम पर: रतनप्रिया मीडिया
- डुप्लीकेट होलोग्राम बेचने वाली कंपनी को 50 लाख में बेचा सॉफ्टवेयर
15 जिलों में शराब की अवैध फैक्ट्री
राज्य को 8 जोन में बांटकर 15 जिलों को “टारगेट एरिया” बनाया गया:
- यहां की दुकानों पर पहले से ही डुप्लीकेट होलोग्राम लगी शराब पहुंचती थी
- सिद्धार्थ सिंघानिया की कंपनी सुमित फैसिलिटीज के कर्मचारी होलोग्राम लगाते
- कमीशन: प्रति होलोग्राम 8 पैसे
कलेक्शन के लिए बनी सिंडीकेट टीम
नाम | भूमिका |
---|---|
विकास अग्रवाल उर्फ सुब्बू | पैसा वसूलने की जिम्मेदारी |
सिद्धार्थ सिंघानिया | शराब की बॉटल और होलोग्राम सप्लाई |
अमित सिंह | सप्लाई और होलोग्राम ऑपरेशन |
बाद में प्लेसमेंट कंपनी के जरिए पैसा वसूली का नया सिस्टम बनाया गया।
हवाला से दिल्ली-मुंबई की डिलीवरी
- सुमित मालू और रवि बजाज ने कबूला कि पैसा दिल्ली, मुंबई, कोलकाता भेजा
- ईडी को पता चला कि यह पैसा चुनावी फंडिंग, जमीन सौदों और शेयर निवेश में लगा
विजय भाटिया और भिलाई कनेक्शन
- शराब कंपनी में 52% शेयर
- घोटाले से सीधे 14 करोड़ मिले
- भिलाई और दुर्ग की बड़ी हिस्सेदारी इस नेटवर्क में उजागर हुई
फरार हैं मुख्य आरोपी: रामगोपाल अग्रवाल
कांग्रेस कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल की तलाश जारी है।
- रकम लेने के लिए नेताओं की रजामंदी थी
- डायरी में “RG”, “AK”, “VS” जैसे कोड ने जांच को और उलझाया है
किसने-कहां-कैसे कमाया?
नाम | भूमिका | कमाई अनुमान |
---|---|---|
अरविंद सिंह | सप्लायर, कंपनी ऑपरेटर | ₹80+ करोड़ |
अमित सिंह | ऑपरेशनल हेड | ₹20+ करोड़ |
अरुणपति त्रिपाठी | आबकारी सचिव | ₹50 लाख (सॉफ्टवेयर डील) |
विजय भाटिया | शराब कंपनी शेयर होल्डर | ₹14 करोड़ |
Q1. छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की कुल रकम कितनी है?
2161 करोड़ रुपए से अधिक, जिसमें 1500 करोड़ हवाला से पार्टी फंड में गए।
Q2. इस घोटाले में कौन-कौन नेता शामिल हैं?
पूर्व मंत्री कवासी लखमा, कांग्रेस कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, और एक बड़े कांग्रेसी नेता का नाम जांच में है।
Q3. शराब की अवैध सप्लाई कैसे की गई?
डुप्लीकेट होलोग्राम, नकली बिलिंग और ओवर सप्लाई के जरिए 60 लाख पेटियां बेची गईं।
Q4. पैसा कैसे इकट्ठा और ट्रांसफर किया गया?
एक सिंडीकेट टीम बनाकर, बाद में प्लेसमेंट कंपनी से कलेक्शन और हवाला से डिलीवरी।
Q5. क्या ईडी और ईओडब्ल्यू के पास सबूत हैं?
हां, दस्तावेज, बयान, डायरी एंट्री, डिजिटल ट्रेल और हवाला कनेक्शन मौजूद हैं।
Q6. घोटाले का सबसे बड़ा फायदा किसे मिला?
शराब कारोबारी, फर्जी कंपनियों के मालिक, और कथित राजनीतिक फंडिंग नेटवर्क।
Q7. महिलाएं और परिवार क्यों शामिल किए गए?
पत्नी के नाम पर कंपनियां रजिस्टर कराकर लेन-देन और काली कमाई को वैध दिखाया गया।
Q8. डुप्लीकेट होलोग्राम किसने लगाए?
सिद्धार्थ सिंघानिया की कंपनी के कर्मचारी – 8 पैसे/होलोग्राम कमीशन पर।
Q9. क्या ये घोटाला पूरे भारत से जुड़ा है?
हां, पैसे की सप्लाई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता तक गई – राष्ट्रीय हवाला नेटवर्क में।
Q10. आगे क्या?
ईडी और EOW अब मनी लॉन्ड्रिंग, चुनावी फंडिंग और राजनीतिक लिंक की जांच कर रहे हैं। FIR की अगली किस्त में बड़े खुलासे संभव।
2161 करोड़ का छत्तीसगढ़ शराब घोटाला इस बात का प्रमाण है कि कैसे एक सरकारी विभाग भ्रष्टाचार की प्रयोगशाला बन सकता है। हर बोतल पर जनता को लूटा गया, हर पेटी पर ‘कमीशन सिंडिकेट’ ने जाम छलकाया। अब देखना है कि ये जांच सजा तक पहुंचती है या फिर कोई नया ‘डायरी गुम’ कांड बनकर रह जाएगी।

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