

सरकारी दुकान पर राशन लेने के लिए पहुंचे ग्रामीण।
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छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में अब भी महिला प्रतिनिधि की जगह उनके पति का फरमान चल रहा है। वह कभी तुगलकी आदेश जारी कर देते हैं और ग्रामीणों को माननी होती है। नया मामला कोरबा की एक ग्राम पंचायत का है। यहां की सरपंच के पति ने तो सिस्टम को खुली चुनौती दे दी है। कहा है कि जो गांव वाले नवरात्रि का चंदा नहीं देंगे, उन्हें सरकारी राशन नहीं मिलेगा। चंदा भी ग्रामीण अपनी मर्जी से नहीं दे सकते। उसके लिए भी रेट तय कर दिया गया है। इसके बाद ग्रामीणों में आक्रोश है।
दरअसल, उरगा क्षेत्र में ग्राम पंचायत है गिधौरी। यहां की सरपंच विज्ञानी कंवर हैं। हालांकि पंचायत में उनके पति गोविंदा कंवर की चलती है। अब उनके पति ने नया फरमान जारी किया है। यह फरमान न केवल तुगलकी है, बल्कि सिस्टम को चुनौती देने वाला है। इस नवरात्रि पर ग्रामीणों से चंदा मांगा गया है। पहले चंदा घर-घर जाकर लिया जाता था और ग्रामीण स्वेच्छा से देते हैं। इस बार सरपंच पति गोविंदा ने कहा है कि पहले चंदा दो, उसके बाद ही सरकारी कोटे का राशन मिलेगा। जो नहीं देगा, उसे नहीं मिलेगा।
पंचायत की राशन दुकान में सामान लेने पहुंचे ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच पति ने चंदे की राशि भी तय की है। इसके तहत 101 रुपये और एक किलो चावल देने को कहा गया है। ग्रामीणों ने बताया कि सरकारी राशन मुफ्त है। उनसे चंदा के नाम पर रुपये मांगे जा रहे हैं, नहीं देने पर राशन भी नहीं दिया गया है। ग्रामीण कार्तिक दास ने बताया कि गांव में पहले पंच, सरपंच घर-घर जा जाकर पूजा-पाठ का चंदा लेते थे। इस बार यह नया नियम निकाला गया है जो सरासर गलत है। रोज कमाने वाले गरीबों के लिए बहुत दिक्कत है।