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Chhattisgarh: चुनावी साल में RSS-VHP निकालेंगे संत पदयात्रा, 500 संत एक माह में करेंगे 700 किमी का सफर

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसी बीच विश्व हिंदू परिषद् और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन मिलकर पूरे प्रदेश में एक यात्रा निकालने जा रहे हैं। 18 फरवरी से शुरु हो रही यह यात्रा को हिंदू स्वाभिमान जागरण संत पदयात्रा (Hindu Swabhiman Jagran Sant Padyatra) नाम दिया है। इसमें देशभर से 500 से ज्यादा संत जुटेंगे, जो राज्य के अलग अलग हिस्सों से यात्राएं निकालेंगे। यात्रा के दौरान संत पैदल चलते हुए आम लोगों से मिलेंगे। इस दौरान वे धर्म-हिंदुत्व, धर्मांतरण, जनसंख्या का बढ़ता असंतुलन, लव जिहाद, जैसे मसलों पर चर्चा करेंगे। 19 मार्च को रायपुर में एक बड़ी धर्म सभा का आयोजन किया जाएगा। इस धर्म सभा के मौके पर संत भारत को संवैधानिक रूप से हिंदू राष्ट्र घोषित करने की अपील करेंगे। पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती पहले ही भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की यात्रा शुरू कर चुके हैं। इस धर्म सभा के साथ भारत को हिंदू राष्ट्र का दर्जा देने की मांग और प्रबल होगी।

सभी शंकराचार्य से कार्यक्रम में शामिल होने का अनुरोध

चुनावी वर्ष में पूरे प्रदेश में निकाली जाने वाली इस यात्रा में वीएचपी देश के कई बड़े संतों को जुटाने की कोशिश कर रहा है। वीएचपी सभी शंकराचार्य से इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अनुरोध कर रहा है। जल्द ही उनकी तारीखें इस कार्यक्रम के लिए मिल जाएगी, इसमें हरिद्वार के ज्ञानेश्वरानंद महाराज, मुंबई से स्वामी चिन्मयानंद, राजीव लोचन दास महाराज, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी अखिलेश्वरानंद, जितेंद्रानंद, अविचल दास और रायपुर के संत युधिष्ठिर लाल जैसे संतों के अलावा अन्य प्रमुख संत इस यात्रा में प्रमुख रूप से शामिल होंगे।

अमर उजाला से चर्चा में विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री एवं धर्माचार्य संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में हिंदू स्वाभिमान जागरण संत पदयात्रा 18 फरवरी को चार अलग-अलग इलाकों से शुरू होगी। पहली यात्रा मां महामाया यात्रा रामानुजगंज से शुरू होगी, इसके बाद मां चंद्रहासिनी यात्रा सगोरा आश्रम जशपुर से शुरू होगी, मां दंतेश्वरी यात्रा दंतेवाड़ा से और मां बम्लेश्वरी यात्रा मोहला से शुरू होगी। इन जगहों से होकर सभी संभागों के 34 प्रमुख जिलों से होती हुई रायपुर आएगी। संत 700 किलोमीटर का सफर 1 महीने में पूरा करेंगे।

इन मुद्दों पर चर्चा करेंगे संत

हिंदू स्वाभिमान जागरण संत पदयात्रा से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि इस यात्रा में संत ऐसे स्थानों पर भी जाएंगे, जहां आमतौर पर संत नहीं जाते। इनमें आदिवासी इलाकों की झुग्गी बस्तियां, समाज के गरीब और पिछड़े लोगों के घरों पर पहुंचकर संत आम लोगों से मुलाकात करेंगे। उनके साथ भोजन करेंगे, सत्संग करेंगे और धर्म से जुड़े उनके सवालों के जवाब भी देंगे। हिंदू स्वाभिमान जागरण यात्रा के जरिए संत समाज के अलग-अलग वर्गों में एक ही संदेश देने का प्रयास करेंगे कि आपस का भेदभाव जाति-पाती, भाषा, पंथ, क्षेत्र और राजनीतिक अलगाव खत्म हो। इसी संदेश के साथ संत लोगों को जागरूक करेंगे। 19 मार्च को रायपुर में होने वाली पदयात्रा धर्म सभा में संत समाज में मौजूद कई मुद्दों पर भी खुलकर बात करेंगे। जैसे धर्मांतरण, जनसंख्या का बढ़ता असंतुलन, तस्करी, लव जिहाद, भूमि जिहाद जैसे मामलों पर बात होगी हर घर में सनातन मूल्य पहुंचाने पर भी चर्चा होगी।

कांग्रेस विरोध में, वीएचपी ने दिया सभी दलों को न्योता

इधर, कांग्रेस ने इस यात्रा का विरोध शुरू कर दिया है। कांग्रेस नेताओं ने इसे चुनावी यात्रा करार दिया है। उनका कहना है कि जो संत होगा वह आरएसएस की यात्रा में शामिल नहीं होगा। आरएसएस ने आज तक हिंदुओं की भलाई के लिए कोई काम नहीं किया। एक तरफ हिंदू राष्ट्र की बात करते हैं, तो दूसरी तरफ ईसाई और मुस्लिम समाज के लिए भोज और कार्यक्रम का आयोजन भी करते हैं। यह पूरा कार्यक्रम वोट बटोरने की सियासी कोशिश है। जबकि छत्तीसगढ़ विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों का कहना है कि कांग्रेस के नेता अपनी दृष्टि से इस पूरी यात्रा को देख सकते हैं। मगर हम इसे हिंदू दृष्टि से देखते हैं। हम कांग्रेस, भाजपा, सपा समेत सभी दलों के नेताओं को एक हिंदू के रूप में इस यात्रा में शामिल होने का आमंत्रण भी देते हैं। यह यात्रा राष्ट्र को समर्पित है, हिंदू हैं तो यह राष्ट्र है।

संतों की रचनाओं का सभी भाषाओं में अनुवाद किया जाना चाहिए: भागवत

इस बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि संत ज्ञानेश्वर जैसे भक्त-कवि की रचनाओं का सभी भाषाओं में अनुवाद किया जाना चाहिए। कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मधुसूदन पेन्ना के अभिनंदन कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि हमारे संतों के विचारों का सभी भाषाओं में अनुवाद किया जाना चाहिए क्योंकि यह देश की एकता के लिए उपयोगी हैं।

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