गिरीश जगत, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में धान के अवैध परिवहन को रोकने के लिए ओडिशा सीमा पर बनाए गए अधिकांश चेक पोस्टों में बिजली और बैठने की व्यवस्था नहीं है। कर्मचारी मोबाइल फोन के सहारे ड्यूटी करते नजर आए। सुविधाओं के अभाव में कई स्थानों पर रात में पोस्ट खुले छोड़ दिए जाते हैं। जवानों का कहना है कि नई जगहों पर अंधेरे में जानवरों का खतरा हमेशा बना रहता है।
दरअसल, जिला प्रशासन ने देवभोग से ओडिशा जाने वाले 16 मार्गों पर चेक पोस्ट बनाए थे। स्थानीय कर्मचारी ड्यूटी पर थे। रात में इनके न होने की जानकारी जब कलेक्टर को मिली तो उन्होंने प्रत्येक चेक पोस्ट पर एक होमगार्ड तैनात कर दिया। चेक पोस्ट तैयार करने और जरूरी संसाधन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी एसडीएम को दी गई।
एसडीएम भी कई चेक पोस्ट को रहने लायक बनाने में विफल रहे या फिर उनके अधीनस्थों ने नियमों का ठीक से पालन नहीं किया होगा। चेक पोस्ट का हाल जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम रात में निकली, जहां कई चौंकाने वाले नजारे देखने को मिले।
रात में मोबाइल फोन की रोशनी में ड्यूटी कर रहे होमगार्ड
शुक्रवार रात 10 बजे से 10.30 बजे के बीच जब हम खोखसरा, थिरलीगुड़ा और झिरीपानी चेक पोस्ट पर पहुंचे तो यहां सिर्फ एक होमगार्ड जवान ड्यूटी करते नजर आया। तीनों पोस्ट पर एक-एक छोटी कच्ची झोपड़ी है। जहां बिजली नहीं है।
जवान मोबाइल फोन की रोशनी में ड्यूटी करते नजर आए। पूछने पर उन्होंने बताया कि जब संबंधित पंचायत के प्रतिनिधि सचिव से संपर्क किया गया तो वह सिर्फ बात को टाल रहे थे। बिजली नहीं है, इसलिए सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं।
सुविधाएं नहीं होने से कर्मचारी यहां नदारद रहते हैं
ड्यूटी रोस्टर के अनुसार सभी चेक पोस्ट पर होमगार्ड के अलावा स्थानीय कोटवार, सचिव, रोजगार सहायक समेत 6 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है, जो बारी-बारी से 8-8 घंटे ड्यूटी करेंगे। लेकिन खम्हारगुड़ा, केंदूबन की अंधेरी झोपड़ियों में रात में कोई नहीं मिला।
इसी तरह उसरीपानी, धूपकोट, पीठापारा, नागलदेही आमद जैसे अपर्याप्त संसाधनों वाले चेकपोस्टों में रात होते ही कर्मचारी गायब हो जाते हैं। अमलीपदर तहसील के झलियापाड़ा चेकपोस्ट में भी कर्मचारी हमेशा नदारद रहते हैं। इस अव्यवस्था का पूरा फायदा बिचौलिए उठा रहे हैं, रात में अवैध परिवहन बढ़ गया है।
अकेले ड्यूटी पर मिले जवानों की जुबानी
खोखसरा में ड्यूटी पर तैनात संतोष यदु ने बताया कि उनके लिए यह जगह नई है। रात में कोटवार रहते हैं, लेकिन अंधेरे के कारण जानवरों का डर बना रहता है। झिरीपानी पोस्ट में अकेले ड्यूटी पर मिले राजेंद्र मेश्राम ने एक कच्ची झोपड़ी दिखाते हुए बताया कि इस झोपड़ी में दिनभर होटल चलता है, रात गुजारने के लिए जगह मिल जाती है।
दिन में ग्रामीण मोबाइल चार्ज करते हैं, रात में इसी मोबाइल के सहारे ड्यूटी करनी पड़ती है। अन्य कर्मचारियों के सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि वे दिन में आते हैं, रात में नहीं रुकते। सिर्फ दो-तीन जगहों पर बिजली नहीं है, बाकी जगहों पर व्यवस्थाएं दुरुस्त हैं-एसडीएम
एसडीएम तुलसी दास मरकाम ने कहा कि जहां बिजली के खंभे दूर हैं, वहां एक-दो जगहों को छोड़कर बाकी सभी जगहों पर पर्याप्त व्यवस्था है। मैं खुद देखने गया हूं। सभी जगहों पर व्यवस्थाएं दुरुस्त हैं।
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