
Chhattisgarh Mungeli Kusum plant accident: छत्तीसगढ़ के मुंगेली में स्टील प्लांट हादसे में इंजीनियर समेत 4 लोगों की मौत हो गई है। 40 घंटे बाद शुक्रवार रात 11 बजे साइलो (भारी लोहे का भंडारण टैंक) हटा दिया गया। साइलो हटाए जाने के 3-4 घंटे बाद शनिवार तड़के मलबे से इंजीनियर समेत 3 लोगों के शव भी निकाले गए।
इससे पहले इलाज के दौरान एक मजदूर की मौत हो गई थी। पोस्टमॉर्टम के बाद परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया है। दोनों मृतकों के परिजन 50 लाख रुपए मुआवजे की मांग पर अड़े हैं। जबकि इंजीनियर जयंत साहू के परिजनों ने 1 करोड़ रुपए मुआवजे और सरकारी नौकरी की मांग की है।
परिजन धरने पर बैठे
मृतक के परिजन सिम्स में धरने पर बैठ गए। कंपनी और प्रशासन पर दबाव बनाने का आरोप लगाया है। एहतियात के तौर पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात है। पथरिया एसडीएम भरोसा राम ठाकुर ने बताया कि सरकार और कंपनी की ओर से जो आर्थिक मदद दी जा सकती है, उसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। 15 लाख रुपए मुआवजा देने के आश्वासन के बाद परिजन नाराज हो गए हैं।
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समझौता करने का दबाव बनाया जा रहा है
जयंत साहू के परिजनों की ओर से अजीत साहू ने कहा कि हमारी ज्यादा मांग नहीं है। मृतक के वेतन के हिसाब से मुआवजा मांगा गया है। उसके छोटे-छोटे बच्चे हैं, जिनका भरण-पोषण जरूरी है। कंपनी से कोई लोग नहीं आ रहे हैं। पुलिस प्रशासन और राजस्व अधिकारी बात कर रहे हैं। समझौता करने का दबाव बनाया जा रहा है। शव को ले जाने के लिए पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाया जा रहा है।
प्लांट के मैनेजर और एडमिनिस्ट्रेटर के खिलाफ एफआईआर
जिस प्लांट में हादसा हुआ उसका नाम कुसुम स्मेल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड है। इसकी शुरुआत 11 अगस्त 2020 को हुई थी। इसके निदेशक संदीप अग्रवाल, आदित्य अग्रवाल, विशाल अग्रवाल और यश पोद्दार हैं। इस प्लांट में 350 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं। यहां लोहे से कच्चा लोहा बनाने का काम होता है।
हादसे के बाद कलेक्टर के निर्देश पर उद्योग विभाग के अफसरों ने प्रारंभिक जांच की, जिसमें मैनेजर और प्रबंधन की लापरवाही सामने आई है। यहां साइलो में क्षमता से अधिक लोड था, जिसके कारण यह हादसा हुआ और जोखिम उठाना पड़ा।
जांच रिपोर्ट के आधार पर सरगांव पुलिस ने प्लांट के ऑपरेशन मैनेजर अनिल प्रसाद, इंचार्ज अमित केडिया और प्लांट प्रबंधकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। कलेक्टर राहुल देव ने बताया कि जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
क्या है पूरा मामला
बताया जा रहा है कि एक साल पहले शुरू हुए प्लांट में प्रबंधन ने उत्पादन शुरू करने में जल्दबाजी की है। साइलो को बिना ट्रायल के 20 दिन पहले ही लगा दिया गया। यह भी सामने आया है कि इसे कमजोर स्ट्रक्चर पर लगाया गया था।
साइलो लगाने के बाद बताया गया कि इसमें खराबी है, लेकिन फिर भी गंभीरता नहीं दिखाई गई। ओवरलोड होने के कारण साइलो का स्ट्रक्चर हिलने लगा। गुरुवार दोपहर क्रेन से इसकी मरम्मत की जा रही थी, तभी हादसा हो गया। सुपरवाइजर समेत कुछ कर्मचारी इसके नीचे दब गए।
दो बार प्रयास विफल, तीसरा प्रयास सफल
इस हादसे के बाद कलेक्टर राहुल देव और एसपी भोजराम पटेल की मौजूदगी में बचाव कार्य जारी रहा। एसडीआरएफ के साथ ही एनडीआरएफ की टीम को भी बुलाया गया। कंटेनर का वजन अधिक होने के कारण मशीनों के साथ जवान भी बेबस नजर आए।
इसके बाद भिलाई और बिलासपुर से 400 और 250 टन क्षमता की दो क्रेन बुलाई गईं। इन्हें असेंबल और ऑपरेट करने में 8 घंटे लगे, लेकिन कुछ ही देर में ये फेल हो गईं। हुकिंग वायर दो बार टूट गया। फिर गैस कटर से कंटेनर को काटा गया और उसके अंदर जमा राख को बाहर निकाला गया। वजन कम होने के बाद रात करीब 11 बजे तीसरा प्रयास सफल रहा और कंटेनर को निकाला गया।
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