Chhattisgarh liquor scam case Anil Tuteja bail plea rejected: छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाला मामले में फंसे पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा की नियमित जमानत याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है।
Chhattisgarh liquor scam case Anil Tuteja bail plea rejected: जस्टिस अरविंद वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए सख्त टिप्पणी में कहा कि भ्रष्टाचार राष्ट्र के लिए खतरा है। यह गंभीर अपराध है। जिसके आरोपियों को सजा मिलनी ही चाहिए।
दरअसल, हाईकोर्ट ने पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा की जमानत याचिका पर 26 नवंबर को सुनवाई के बाद आदेश के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिस पर बुधवार को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।
Chhattisgarh liquor scam case Anil Tuteja bail plea rejected: इससे पहले सुनवाई के दौरान टुटेजा के वकील ने दलील दी थी कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत झूठे मामले में फंसाया गया है।
प्रशासनिक अधिकारी सिंडिकेट के मुख्य सूत्रधार रहे हैं
Chhattisgarh liquor scam case Anil Tuteja bail plea rejected: राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि अब तक की जांच से पता चलता है कि याचिकाकर्ता अनिल टुटेजा अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर के साथ सिंडिकेट का मुख्य हिस्सा रहे हैं।
यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता शराब घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक था। उसने सरकारी अधिकारी के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया। वह अन्य आरोपियों के साथ मिलकर शराब की अवैध बिक्री में शामिल था।
जहां तक चिकित्सा संबंधी मुद्दों के मामले में समानता के आधार का सवाल है, तो कहा गया है कि वह ऑस्टियोआर्थराइटिस, लीवर विकार, जीजीटीपी (लीवर क्षति), हाइपोनेट्रेमिया, उच्च रक्तचाप, हाइपोथायरायडिज्म और चिंता से पीड़ित है।
ऐसी कोई गंभीर चिकित्सा समस्या नहीं है। इसलिए, वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता समानता के आधार पर जमानत का दावा नहीं कर सकता।
हाईकोर्ट ने आरोपों की गंभीरता पर अपना फैसला सुनाया
हाईकोर्ट ने आरोपों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए फैसला सुनाया कि अनिल टुटेजा को जमानत पर रिहा करना उचित नहीं है। आरोप पत्र दायर किया जा चुका है और अपराध की प्रकृति बहुत गंभीर है। इसलिए, उसे जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया गया।
Chhattisgarh liquor scam case Anil Tuteja bail plea rejected: कोर्ट ने यह भी कहा कि भ्रष्टाचार मानवाधिकारों का उल्लंघन है। क्योंकि यह जीवन, स्वतंत्रता, समानता और गैर-भेदभाव के अधिकारों का उल्लंघन करता है।
कई सरकारी अधिकारियों की भूमिका उजागर
सिंगल बेंच ने अपने फैसले में लिखा है कि याचिकाकर्ता समेत कई सरकारी अधिकारियों की भूमिका उजागर हुई है। अपराध में उनकी भूमिका साबित हो चुकी है। जांच में पता चला है कि याचिकाकर्ता ने अन्य सह-आरोपियों के साथ मिलकर सिंडिकेट को रिश्वत देने में अहम भूमिका निभाई।
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