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ये गरियाबंद है साहब: यहां नेता, माफिया और सिस्टम मिलकर चला रहे अवैध रेत खदान! राजस्व वाली खदानें बंद, सेटिंग वाले ने पकड़ी रफ्तार, पढ़िए रसूखदार का करप्शन फॉर्मूला

गिरीश,गरियाबंद। ये छत्तीसगढ़ का गरियाबंद है साहब. यहां माफिया का राज है. नेताओं का राज है. सिस्टम बौना पड़ गया है. सरकार की नीति माफिया और सिस्टम के पैरों तले जमीन चाट रही है. अवैध खनन, परिवहन आम बात हैं. लेकिन खनिज विभाग, माफिया और राजनीतिक रसूख के चलते सांठगांठ का खेल चल रहा है. गरियाबंद को खोखला बनाया जा है. हर कोने, हर इलाके में माफिया ने रेत निकाल रहे हैं. जहां हाथ डालो वहीं से धरती सोना उगल रही है. जिसका फायदा माफिया बेहिसाब उठा रहे है, लेकिन मजाल है कि विभाग इन पर कभी एक्शन लें. अक्सर जिम्मेदार नींद में ही रहते हैं. जिससे माफिया सरकार को जीभर के चूना लगाता है. कहा तो ये भी जाता है कि माफिया लिफाफे की चढ़ावा देता है, जिससे सिर्फ जांच ही होती है, कार्रवाई के लिए सरकारी कलम की स्याही सूख जाती है.

गरियाबंद जिले में राजनीतिक रसूख वाले नेता बेखौफ अवैध रेत खदान चला रहे है. एक दिन में 200 से ज्यादा हाईवा रेत का परिवहन इन्ही खदानों से होता है. दबंगई ऐसे की वैध खदानों को बंद करना पड़ गया. लाखों के राजस्व का नुकसान हुआ और मुनाफा नेता अफसर के जेब में जा रहा है. भाजपा का कहना है कि कांग्रेस के करप्शन मैनेजमेंट फार्मूला के आगे प्रशासन भी नतमस्तक है.

गरियाबंद जिले में रेत खदान के लिए पैरी नदी में 11 घाट को अधिकृत किया गया है, लेकिन इससे ज्यादा प्रशासन की मौन स्वीकृति से अनाधिकृत खदाने चल रही हैं. इनमें से तर्रा, कूकदा (कुटैना), चौबेबांधा, सिंधौरी, पितईबंद, लचकेरा का खदान है, जहां से रोजाना 80 से 100 ट्रिप हाईवा रेत का अवैध परिवहन हो रहा है. माइनिंग व नेशनल ग्रीन ट्यूबरी के सारे नियम को ठेंगा दिखाते हुए पैरी का सीना छलनी किया जा रहा है. सभी खदानों में फोकलेन व चेन माउंटेन मौजूद है, जो दिन रात रेत का दोहन कर रही है.

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कांग्रेस का करप्शन मैनेजमेंट का फार्मूला- बीजेपी

भाजपा के आरटीआई प्रकोष्ठ के नेता प्रीतम सिन्हा ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस का करप्शन मैनेजमेंट का फार्मूला है. बड़े नेता सरकारी योजनाओं में सीधा दखल है. इसलिए कांग्रेस के कुछ नेताओं को खुश करने रेत खदान को नियम विरूद्ध दोहन करने दिया गया है. अवैध चल रहे सभी खदानों में प्रत्यक्ष रूप से कांग्रेसी नेताओं का हाथ है.

जबाव देने से बच रहे अधिकारी

इस मामले में पक्ष जानने जिला खनिज अधिकारी फागुलाल नागेश से बात की गई, तो उन्होंने पहले फोन रिसीव नहीं किया. दूसरे माध्यम से संपर्क करने पर उन्होंने तबीयत खराब का हवाला देकर इस मामले में बाद में बात करने की बात कही.

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तर्रा में दबंगों का कब्जा

सबसे ज्यादा रेत की निकासी तर्रा के अवैध रेत घाट से हो रही है. यहां जब हम पहुंचे तो, यहां का नजारा भयानक था. दो किमी तक नदी में ही मिट्टी व बेशरम डाल कर निकासी के लिए सड़के बनाई गई थी. दूर-दूर तक खनन की बड़ी नालिया मौजूद थी. एक चैन माउंटेन दुर्ग जिले में भेजने के लिए रेत भर रहा था. दूसरा फोकलेन 100 मीटर दूर पर खड़ा था. हाईवा के ड्राइवर ने कहा कि 10 चक्के भरने के लिए 2500 रुपए दिया गया है. गाड़ी बड़ी होने पर कीमत 4 हजार तक जाता है.

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कांग्रेसी नेता संचालक, कलेक्टर ने भी नहीं की कार्रवाई

संचालक का नाम पूछने पर मौजूद लोगों ने जिले के एक कांग्रेसी नेता का नाम बताया. इस खदान से नेशनल हाइवे तक पहुंचने सुरसाबांधा बस्ती के बीचों बीच वाहन गुजरती है. भारी वाहनों से गली दब गई है. उपसरपंच गौतम साहू ने बताया कि गांव की सीमा पर चल रहे अवैध रेत घांट गांव की दुर्दशा और भारी वाहन गुजरने से भयभीत होने की शिकायत करने 28 अप्रैल को कलेक्ट्रेट गए थे. कलेक्टर प्रभात मालिक से इसकी शिकायत भी किए, लेकिन अब तक मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई. उल्टे राजनीतिक रसूख वाले कथित ठेकेदार ग्रामीणों को धमका रहे है.

राजस्व देने वाली खदान बंद, सेटिंग वाले बेधड़क चल रहे

सरकड़ा घाट में दो रेत खदान की मंजूरी दी गई थी, लगभग 3 माह तक खदान से लाखों का राजस्व मिला. ग्रामीणों को मजदूरी भी मिल रही थी, लेकिन अब दोनों बंद है. इसके 5 किमी की दूरी में मौजूद तर्रा के अवैध खदान के अलावा, राजिम से कम दूरी पर सुगम जगह पर मौजूद कुकदा (कुटैना), चौबेबांधा, सिंधोरी, पितईबंध जैसे घाटों पर खदान के अवैध संचालन की छूट देना. इन खदानों में मशीन जल्द लोड कर देती है. रॉयल्टी व मजदूरी नहीं देना होता. इसलिए वैध खदान की तुलना में 1000 रुपए कम कीमत पर मिल जाता है. संचालक दूसरे जिले का है, स्थानीय रसूखदारों के आगे नियम कायदे नहीं चली, ऐसे में सरकड़ा को बंद करना पड़ा.

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सब कुछ सांठगांठ से चल रहा

अधिकृत खदान परसदा जोशी से एक हाइवा रेत भर कर निकली. राजिम से पहले कोमा के पास राजिम पुलिस के एक सिपाही ने वाहन को रूकवाया, कुछ बातचीत किया फिर आगे बढ़ गया. रोके गए वाहन चालक से हमने बात किया, तो उसने रेत के रॉयल्टी पेपर नहीं दिखाया. पूछने पर वाहन मालिक से बात कराया. जिसने बताया कि नए रायपुर के यातायात प्रभारी के लिए यह रेत जा रही है. अब सवाल उठता है कि वाहन रोकने वाला जवान ने कार्रवाई क्यों नहीं की. इसके पीछे दूसरी हाईवा के पास सुबह 11 बजे की रॉयल्टी पर्ची था, लेकिन वह मार्ग से साढ़े 4 बजे गुजर रहा था. आशंका है कि लीगल खदान में भी एक पर्ची काटकर दिन भर बगैर रॉयल्टी काटे रेत परिवहन करवा रहे होंगे.

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