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टीका लगने के बाद 3 दिन के नवजात की मौत: परिवार ने डॉक्टर पर लगाया लापरवाही का आरोप, शादी के 7 साल बाद हुआ था बच्चा

Chhattisgarh Kawardha Death of a three-day-old newborn after vaccination: छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिला अस्पताल में टीकाकरण के कुछ घंटे बाद ही तीन दिन के नवजात की मौत हो गई। बच्चे की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। आपको बता दें कि महिला की शादी को सात साल हो चुके थे और यह उसका पहला बच्चा था।

जन्म के दो दिन बाद ही टीकाकरण हो गया

जानकारी के अनुसार, पंडरिया निवासी आशीष निर्मलकर अपनी पत्नी को बच्चे की डिलीवरी के लिए शुक्रवार को कवर्धा जिला अस्पताल लेकर आए थे। डॉक्टरों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कर लिया। अगले दिन शुक्रवार को पूरा दिन इलाज के बाद दोपहर में डॉक्टरों ने आशीष को बताया कि उनकी पत्नी को सामान्य बच्चा नहीं होगा। ऑपरेशन करना पड़ेगा।

डॉक्टरों की सलाह पर आशीष और उनके परिजन ऑपरेशन से बच्चे की डिलीवरी के लिए राजी हो गए। शनिवार दोपहर 3:09 बजे आशीष की पत्नी ने ऑपरेशन से स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। इसके बाद पत्नी और उसका बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।

टीकाकरण के बाद बच्चे की हालत बिगड़ी

रविवार बीतने के बाद सोमवार सुबह अस्पताल परिसर में बच्चे को नियमित टीका लगाया गया। टीका लगते ही नवजात बेहोश हो गया और उसकी हालत बिगड़ती चली गई। बच्चे का शरीर नीला पड़ गया था।

परिजनों ने तत्काल इसकी सूचना डॉक्टरों को दी, जिसके बाद नवजात को आईसीयू में भर्ती कराया गया, लेकिन महज आधे घंटे बाद डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया।

परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया

नवजात की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, टीका लगने से पहले बच्चा पूरी तरह स्वस्थ था। टीकाकरण के बाद उसके हाथ-पैर नीले पड़ने लगे और वह हरकतें करना बंद कर दिया।

परिजनों का यह भी कहना है कि उन्हें समय रहते सही उपचार नहीं मिला, जिसके कारण बच्चे की जान नहीं बच सकी। नवजात की मां का रो-रोकर बुरा हाल है, क्योंकि उसकी शादी को सात साल हो चुके थे और यह उसका पहला बच्चा था।

प्रशासन से न्याय की मांग

परिवार अब जांच की मांग कर रहा है और इस घटना के लिए जिम्मेदार डॉक्टरों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गुहार लगा रहा है। वे चाहते हैं कि भविष्य में किसी और परिवार के साथ ऐसी लापरवाही न हो।

जब इस मामले में अस्पताल के सिविल सर्जन से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

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