

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) के एक अधिकारी को विभागीय जांच से राहत प्रदान की है। कोर्ट ने कहा कि, मामूली जुर्माने को आधार मानकर किसी कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच का आदेश नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने जांच के आदेश को रद्द करते हुए अधिकारी के लंबित भुगतान और वार्षिक वेतन वृद्धि को बहाल करने के निर्देश दिए हैं। मामले की सुनवाई बुधवार को कोर्ट की बेंच ने की।
एसके द्विवेदी भिलाई स्टील प्लांट में डिप्टी जनरल के रूप में तैनात थे। उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि, साल 2007 में राउरकेला, नागपुर और नार्केतपल्ली में फायर ब्रिक्स सामग्री के निरीक्षण के लिए सेल प्रबंधन ने अधिकारियों की नियुक्ति की थी। इसमें वह भी शामिल थे। निरीक्षण और अनुमोदन के बाद बीएसपी को सामग्री की आपूर्ति की जानी थी। उसके नमूने बीएसपी की प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए लाए गए।
इनमें नमूनों में से पांच सैंपल पास हुए और 12 को डिफेक्टिव घोषित कर दिया गया। याचिकाकर्ता ने बताया कि तकनीकी जांच के बाद सेल प्रबंधन ने कदाचरण का आरोप लगाते हुए 9 जून 2008 को उनके खिलाफ आरोप पत्र जारी कर दिया। जवाब पेश किया तो प्रबंधन ने आरोप पत्र दायर कर दिया। याचिकाकर्ता ने इस आरोपपत्र को चुनौती देते हुए कहा कि सामग्री की आपूर्ति के दौरान वह निरीक्षण के लिए मौजूद नहीं था।






