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‘मजिस्ट्रेट के बाद पुलिस का बयान लेना अनावश्यक’: हाईकोर्ट ने बहू की मौत मामले में सास-ससुर और पति को किया रिहा

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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बहू की प्रताड़ना और हत्या के एक मामले में उसके पति, ननद और सास-ससुर को रिहा कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि मृत्यु पूर्व मजिस्ट्रेट के बयान लेने के बाद पुलिस का फिर से बयान दर्ज करना अनावश्यक है। अपने बयान में महिला ने खाना बनाते समय जलने की बात कही थी। फिर उसके परिजनों ने मिट्टी का तेल डालकर हत्या करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। इस मामले में निचली अदालत ने सभी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 

रमा के परिजनों ने दर्ज कराया हत्या का मामला

दरअसल, दुर्ग निवासी रमा का विवाह दिलीप बंधे के साथ 16 मई 2005 को हुआ। विवाह के बाद उनका एक बेटा हुआ, जो घटना की तारीख पर तीन साल का था। 19 जुलाई 2012 को रात लगभग 10 बजे रमा अपने घर में जल गई। उसे गंभीर हालत में सेक्टर-9 स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। इसके बाद रमा के परिजनों ने उसके ससुराल वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। इसमें उनके ऊपर प्रताड़ना और हत्या का आरोप लगाया। 

आरोप लगाया कि पति, सास और ननद ने मिलकर मारा

पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत में आरोप लगाया कि दिलीप बंधे शराब के नशे में धुत आया और पत्नी रमा के साथ गाली-गलौज करने लगा। उसने उसका गला घोंटने की कोशिश की और उसके बाद शरीर पर मिट्टी का तेल डाल दिया। महिला की सास सुमित्रा बंधे व ननद ममता ने माचिस की तीली से आग लगा दी। उसे उसके जीजा ने बचाया और कुछ लोगों की मदद से अस्पताल लाकर भर्ती कराया। इलाज के दौरान 25 जुलाई 2012 को उसकी मृत्यु हो गई। 

जिला कोर्ट ने सुनाई थी उम्रकैद

इस मामले में सुनवाई के दौरान जिला सत्र न्यायाधीश ने 27 जनवरी 2014 को फैसला सुनाया था। कोर्ट ने ससुर फागू को बरी कर दिया गया। बाकी तीनों आरोपियों को आजीवन कारावास और अर्थदंड सहित अन्य सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर दी। इसमें बताया गया कि मृत्यु पूर्व मजिस्ट्रेट को दिए बयान में उसने खाना बनाते समय जलने की बात कही थी। मृतक के पिता और परिजन की ओर से मिट्टी तेल डालकर आग लगाने की शिकायत थाने में दर्ज कराई। बाद में महिला का एक हेड कांस्टेबल ने बयान लिया, जिसमें उसने ससुराल वालों पर जलाने का आरोप लगाया।

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