
गिरीश जगत, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना जैसे महत्वाकांक्षी अभियान की साख को चंद अफसरों की लापरवाही ने दांव पर लगा दिया है। योजना को जमीन पर उतारने की बजाय कागजों में खेल रचा गया, जिसकी भनक लगते ही कलेक्टर बी.एस. उइके ने तीन जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों (सीईओ) को नोटिस थमा दिया।
देवभोग के सीईओ रवि सोनवानी की ‘बोगस जीओ टैगिंग’
देवभोग जनपद पंचायत में पीएम आवास योजना के अंतर्गत बोगस जीओ टैगिंग और मॉनिटरिंग में ढिलाई के गंभीर आरोप सामने आए हैं। सीईओ रवि सोनवानी ने निगरानी की बजाय आँखें मूँद लीं। ज़मीनी हकीकत जाने बिना, सिस्टम में फर्जी लोकेशन टैग कर आवास की स्वीकृति दे दी गई।
छुरा में सर्वे लापरवाही और अवैध वसूली का संगीन मामला
छुरा सीईओ सतीश चंद्रवंशी पर पीएम आवास 2.0 के सर्वेक्षण में घोर लापरवाही और ग्राम पंचायत सोरिदखुर्द में अवैध वसूली की शिकायतें हैं। एक ओर गरीबों को घर के सपने दिखाए गए, दूसरी ओर उनसे रुपए ऐंठने का कच्चा कारोबार चल रहा था — और अधिकारी चुपचाप तमाशा देख रहे थे।
फिंगेश्वर में कूटरचना और आदेशों की अवहेलना
फिंगेश्वर जनपद के सीईओ स्वप्निल ध्रुव तो और दो कदम आगे निकले। इन पर कूटरचना युक्त प्रतिवेदन सौंपने, शिकायतों की अधूरी जांच, और वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना के गंभीर आरोप हैं। इनकी कार्यशैली को ‘उदासीन और स्वेच्छाचारी’ बताया गया है।
बरभाठा पंचायत में नामों की हेराफेरी, कार्रवाई अधूरी
ग्राम पंचायत बरभाठा में सचिव चेमन साहू और रोजगार सहायक हेमंत निषाद पर आरोप है कि उन्होंने जॉब कार्ड में गड़बड़ी कर फर्जी लोगों के नाम पर आवास स्वीकृत करवा दिए। शिकायतों की जांच अधूरी छोड़ी गई। अब इन दोनों के स्थानांतरण की सिफारिश की गई है।
कलेक्टर का कड़ा संदेश: बर्दाश्त नहीं होगी गड़बड़ी
जिले में पीएम आवास योजना की प्रगति पहले से ही बेहद खराब है। कलेक्टर उइके की बार-बार चेतावनी के बावजूद जब हालात नहीं सुधरे, तो उन्होंने सख्ती दिखाते हुए सीधे नोटिस जारी किए। यह प्रशासनिक व्यवस्था के लिए स्पष्ट संदेश है — कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।