Chhattisgarh Navratri 2023 Durg Thanod Durga Idol Prostitutes: नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू हो रही है। आज हम आपको छत्तीसगढ़ के दुर्ग में मूर्तियों के गांव थनौद के बारे में बताएंगे, जहां हर घर में मिट्टी से मूर्तियां बनाई जाती हैं। यहां बनी मूर्तियों की देशभर में मांग है।
Durg Thanod Durga Idol Prostitutes Story
थनौद गांव में 200 रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक (Durg Thanod Durga Idol Prostitutes) की मूर्तियां बनाई जाती हैं। मूर्तिकार पहले मूर्तियों के लिए वेश्यालय से मिट्टी लाते हैं, फिर माता रानी की मूर्तियों को आकार देते हैं। हर साल 5 हजार से ज्यादा मूर्तियां बनाई जाती हैं।
Chhattisgarh Navratri 2023 Durg Thanod Durga Idol Prostitutes: नवरात्रि शुरू होने से पहले हमारी टीम भिलाई से 20 किलोमीटर दूर थनौद गांव (Durg Thanod Durga Idol Prostitutes) पहुंची। थनौद गांव में करीब 10 हजार लोग रहते हैं, जिनमें से 70 घर कुम्हार जाति के हैं।
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Chhattisgarh Navratri 2023 Durg Thanod Durga Idol Prostitutes: इनमें से करीब 60 घरों के कुम्हार मूर्तियां बनाने का (Durg Thanod Durga Idol Prostitutes) काम करते हैं। गांव में तीन से चार बड़े मूर्तिकार हैं, जिनमें सबसे पुराना नाम बालम चक्रधारी का है।
Chhattisgarh Navratri 2023 Durg Thanod Durga Idol Prostitutes: इसके साथ ही (Durg Thanod Durga Idol Prostitutes) दूसरा बड़ा नाम राधे और गिरधर चक्रधारी का है। यहां के लोग करीब 100 सालों से मूर्तियां बना रहे हैं।
वे वेश्याओं और किन्नरों के पैरों के नीचे की मिट्टी लाते हैं
राधे चक्रधारी के मुताबिक मां दुर्गा की मूर्ति के लिए वेश्याओं और किन्नरों के पैरों के नीचे की मिट्टी लाकर मिलानी पड़ती है। माता रानी अर्धनारीश्वर (Durg Thanod Durga Idol Prostitutes) का रूप हैं।
साल में एक बार वे वेश्या को पैसे देकर उनके पैरों के नीचे की मिट्टी खोदकर निकालते हैं। किन्नर उनके पंडाल में मूर्ति देखने आते हैं, फिर उनके पैरों के नीचे की मिट्टी खोदकर रख ली जाती है।
बची हुई मिट्टी को दूसरी मूर्तियों से अलग रखा जाता है
इसके बाद उस मिट्टी को बड़ी शुद्धता से रखा जाता है। बाद में उसमें ढेर सारी मिट्टी का घोल मिला दिया जाता है। फिर उससे मूर्ति तैयार की जाती है। बची हुई मिट्टी को गणेश, शंकर, विष्णु और किसी भी दूसरे भगवान की मूर्ति (Durg Thanod Durga Idol Prostitutes) से अलग रखा जाता है।
धातु और अन्य प्रकार की मूर्तियां भी बनाते हैं
Chhattisgarh Navratri 2023 Durg Thanod Durga Idol Prostitutes: थनौद गांव में कुम्हार जाति के लोग ऑर्डर मिलने पर देवी-देवताओं सहित धातु और अन्य प्रकार की मूर्तियां भी तैयार करते हैं।
पूर्वजों से मिला मूर्तिकला का ज्ञान
राधे चक्रधारी से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें मूर्तिकला का यह ज्ञान अपने पूर्वजों से मिला है। वे बचपन से ही मूर्तियां बनाते (Durg Thanod Durga Idol Prostitutes) आ रहे हैं। राधे गांव की चौथी पीढ़ी हैं, जो मूर्तियां बनाने का काम कर रहे हैं। इसके बाद पांचवीं पीढ़ी में उनका बेटा यह काम कर रहा है।
थनौद की मूर्तियों की देशभर में मांग राधे चक्रधारी बताते हैं कि थनौद गांव में बनी मूर्तियों की देशभर में मांग है। वे छत्तीसगढ़ और आसपास के राज्यों, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश और अन्य जगहों पर मूर्तियां भेजते हैं। अन्य राज्यों में मूर्तियों की कीमत अधिक होती है।
बारिश के दिनों में भी लोगों को मिलता है रोजगार
राधे कहते हैं कि मूर्तिकला के इस ज्ञान से उनके गांव के हर व्यक्ति को बारिश के दिनों में भी रोजगार मिलता है। गांव में 50 से अधिक (Durg Thanod Durga Idol Prostitutes) पंडाल हैं, जिनमें मूर्ति बनाने का काम होता है।
मूर्तिकार बिना घाटे-नुकसान का ख्याल किए काम करते हैं
Chhattisgarh Navratri 2023 Durg Thanod Durga Idol Prostitutes: राधे कहते हैं कि मूर्ति बनाने में सभी खर्च निकालने के बाद उन्हें 10 प्रतिशत मुनाफा होता है। यह काफी समय (Durg Thanod Durga Idol Prostitutes) लेने वाला काम है। इसमें काफी लोगों की जरूरत होती है।
मूर्ति के अलग-अलग हिस्सों को अलग-अलग हिस्सों में बनाया जाता है और फिर आपस में जोड़ दिया जाता है। उनकी मेहनत का नतीजा है कि उनके हाथों से बनी मूर्तियां प्रदेश और देश में पूजी जाती हैं।
15 फीट ऊंची मां की मूर्ति तैयार कर रहे हैं
राधे चक्रधारी ने बताया कि वे गांव की सबसे बड़ी यानी करीब 15 फीट ऊंची मूर्ति तैयार कर रहे हैं। मां की यह मूर्ति भिलाई महापौर नीरज पाल के पंडाल में रखी जाएगी। राधे कहते हैं कि वे हर साल सेक्टर-6 भिलाई के लिए भी बड़ी मूर्ति तैयार करके भेजते हैं।
छत्तीसगढ़ के बाहर ऑर्डर पर जाती हैं मूर्तियां
मूर्तिकार दिलीप यादव कहते हैं कि वे ग्राहक (Durg Thanod Durga Idol Prostitutes) की डिमांड पर मूर्तियां बनाते हैं। इस बार फाइबर के रथ पर बैठी माता की प्रतिमा बनाई गई है।
उनके यहां बनी मूर्तियां ओडिशा, गोंदिया, महाराष्ट्र के मेयर अशोक इंगले, रायपुर में केदार गुप्ता और भिलाई में मेयर नीरज पाल जैसे बड़े लोगों के पास जाती हैं।
मूर्तिकला सीखने के लिए रोजाना दुर्ग आते हैं, नहीं मिलती तय आय
मूर्तिकला सीखने दुर्ग से थनौद आए राजा देवांगन ने (Durg Thanod Durga Idol Prostitutes) बताया कि अभी मैं मूर्ति पर लेप लगाना सीख रहा हूं। धीरे-धीरे मैं भी मूर्ति बनाना सीख जाऊंगा।
Chhattisgarh Navratri 2023 Durg Thanod Durga Idol Prostitutes: थनौद की मूर्ति के बारे में काफी सुना था, इसलिए यहां सीखने आया हूं। मूर्तिकार उन्हें अपनी आजीविका और आने-जाने (Durg Thanod Durga Idol Prostitutes) का खर्च खुद देता है। कोई तय आय नहीं दी जाती।
वे कवर्धा जिले से मूर्ति बनाना सीखने आ रहे हैं
कवर्धा के विसर्जन कुंभकार कहते हैं कि वे यहां मूर्तिकला सीखने आए हैं। बचपन से ही उन्हें मूर्तियां बनाने का मन था, इसलिए वे थनौद आए हैं। वे मूर्ति बनाने का काम सीख रहे हैं। काम के बदले में मूर्तिकार उन्हें काम देखकर पैसे देते हैं।
मां दुर्गा की प्रतिमा के लिए वेश्यालय की मिट्टी का क्यों होता इस्तेमाल ?
देवी दुर्गा को दुर्गतिनाशिनी, दुष्टों का नाश करने वाली और भक्तों की रक्षा करने वाली के रूप में पूजा जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दुर्गा माता की मूर्ति किस मिट्टी से बनाई जाती है। दुर्गा की मूर्ति कोलकाता के सोनागाछी से खरीदी गई मिट्टी से बनाई जाती है।
सोनागाछी कोलकाता का रेड लाइट एरिया है जहां वेश्याएं रहती हैं। मान्यता है कि जब तक इस जगह की मिट्टी नहीं मिलती, दुर्गा की मूर्ति अधूरी मानी जाती है। यह भी माना जाता है कि इस मिट्टी के बिना दुर्गा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो सकती और उसकी पूजा मां स्वीकार नहीं करती।
किस चीज से बनती हैं दुर्गा की मूर्ति?
हिंदू मान्यताओं के अनुसार दुर्गा पूजा के लिए बनाई जाने वाली देवी दुर्गा की मूर्ति के लिए 4 चीजें बहुत जरूरी होती हैं। पहली, गंगा किनारे की मिट्टी, दूसरी, गोमूत्र, गोबर और वेश्यालय या किसी ऐसी जगह की मिट्टी जहां जाना वर्जित हो।
Chhattisgarh Navratri 2023 Durg Thanod Durga Idol Prostitutes: इन सभी को मिलाकर बनाई गई मूर्ति ही पूरी मानी जाती है। यह अनुष्ठान सालों से चला आ रहा है। हैरान करने वाली बात यह है कि मां दुर्गा की मूर्ति वेश्यालय की मिट्टी से बनाई जाती है जिसे अपवित्र माना जाता है।
वेश्यालय से भीख मांगकर लाई जाती है मिट्टी
मान्यता है कि मंदिर का पुजारी या मूर्तिकार वेश्यालय के बाहर जाकर वेश्याओं के आंगन की मिट्टी मांगता है। मूर्तिकार तब तक मिट्टी मांगता है जब तक उसे मिट्टी नहीं मिल जाती।
Chhattisgarh Navratri 2023 Durg Thanod Durga Idol Prostitutes: प्राचीन काल में सिर्फ मंदिर का पुजारी ही इस प्रथा का हिस्सा होता था, लेकिन जैसे-जैसे समय बदला पुजारी के अलावा मूर्तिकार भी वेश्यालय से मिट्टी लाने लगे। यह प्रथा आज भी जारी है।
इस प्रथा की मान्यताएं
इस प्रथा के पीछे कारण यह है कि जैसे ही कोई व्यक्ति वेश्यालय में जाता है तो वह अपनी पवित्रता दरवाजे पर ही छोड़ जाता है। ऐसा माना जाता है कि वेश्यालय के अंदर जाने से पहले व्यक्ति के अच्छे कर्म और पवित्रता बाहर ही छोड़ दी जाती है। वेश्यालय के आंगन की मिट्टी सबसे पवित्र होती है। इसीलिए इसका इस्तेमाल दुर्गा प्रतिमा बनाने में किया जाता है।
इससे जुड़ी एक और कहानी यह है कि एक वेश्या मां दुर्गा की भक्त थी। सामाजिक अपमान से बचाने के लिए देवी दुर्गा ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि उनके आंगन की मिट्टी से बनी दुर्गा प्रतिमा पवित्र मानी जाएगी। तीसरी मान्यता यह है कि वेश्यावृत्ति करने वाली महिलाओं को समाज से बहिष्कृत माना जाता है।
उन्हें सम्मानजनक दर्जा दिलाने के लिए यह प्रथा शुरू की गई थी। यह सब इसलिए हुआ ताकि यह वर्ग समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सके। लेकिन सालों की कोशिशों के बावजूद इस वर्ग को वह सम्मान नहीं मिल पाया है।
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