DMF scam in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में डीएमएफ घोटाला मामले में ईडी ने 23.79 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति जब्त की है। यह संपत्ति डीएमएफ घोटाले में आरोपी निलंबित आईएएस रानू साहू, माया वारियर, मनोज कुमार द्विवेदी समेत 10 लोगों की है।
इस मामले में 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। वहीं, राधेश्याम मिर्जा, भुवनेश्वर सिंह राज, वीरेंद्र कुमार राठौर, भरोसा राम ठाकुर, संजय शेंडे, हृषभ सोनी और राकेश कुमार शुक्ला पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं।
17 दिसंबर तक न्यायिक रिमांड बढ़ाई गई
मंगलवार को डीएमएफ घोटाले में जेल में बंद निलंबित आईएएस रानू साहू और माया वारियर को कोर्ट में पेश किया गया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने दोनों आरोपियों को 17 दिसंबर तक न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया है। छत्तीसगढ़ पुलिस की एफआईआर के बाद ईडी ने अपनी जांच शुरू की थी।
आरोप था कि राज्य सरकार के अधिकारियों ने ठेकेदारों के साथ मिलकर डीएमएफ हड़पने की साजिश रची थी। डीएमएफ ठेकों को फर्जी तरीके से हासिल करने के लिए ठेकेदारों ने भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को ठेके की दर का 15% से लेकर 42% तक कमीशन दिया।
90 करोड़ का घोटाला
ईडी की जांच में डीएमएफ घोटाले की कार्यप्रणाली का खुलासा हुआ है। पता चला है कि ठेकेदारों के बैंक खातों में जमा पैसे का एक बड़ा हिस्सा ठेकेदारों ने सीधे नकद में निकाल लिया। जांच के दौरान ईडी ने ठेकेदारों और उनके सहयोगियों के अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी की।
कार्रवाई के दौरान 2.32 करोड़ नकद और जेवरात जब्त किए गए। मामले में अब तक कुल 90.35 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। जिसमें से अधिकारियों ने 23.79 करोड़ रुपये की अचल और चल संपत्ति जब्त की है।
42 प्रतिशत तक दिया कमीशन
ईडी की जांच में पता चला है कि मनोज कुमार द्विवेदी ने 2021-22 और 2022-23 में निलंबित आईएएस रानू साहू और अन्य अधिकारियों के साथ मिलीभगत की। उसने अपने एनजीओ उदगम सेवा समिति के नाम पर कई डीएमएफ ठेके हासिल किए थे। टेंडर की राशि का 42% तक कमीशन उसने अधिकारियों को दिया था।
क्या है डीएमएफ घोटाला जिसमें ये नई गिरफ्तारियां हुई हैं
राज्य सरकार की ओर से जारी सूचना के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय की रिपोर्ट के आधार पर ईओडब्ल्यू ने धारा 120बी 420 के तहत मामला दर्ज किया है। मामले में तथ्य सामने आए हैं कि जिला खनिज निधि कोरबा की राशि से अलग-अलग टेंडरों के आवंटन में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं पाई गई हैं। टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया।
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