
Chhattisgarh’s budget is prepared in 180 days: छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी सोमवार 3 मार्च को बजट पेश करेंगे। 2024-25 के बजट में सरकार ने कहा था कि सरकार की आय का 75 प्रतिशत हिस्सा लोगों को छूट देने और सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने में खर्च होता है। 25 प्रतिशत हिस्से से ही विकास होता है।
बजट का नाम सुनते ही लोगों के मन में ये सवाल आते हैं कि आखिर ये बजट बनता कैसे है, इसके लिए होने वाली बैठकों में क्या होता है। सरकार के पास पैसा कहां से आता है, वो पैसा कहां जाता है? इन सवालों के जवाब के लिए हमने छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आईएएस रिटायर्ड प्रिंसिपल सेक्रेटरी गणेश शंकर मिश्रा से बात की।
किस क्षेत्र में कितना पैसा खर्च होगा, ये बजट में पहले से तय होता है
रिटायर्ड आईएएस गणेश शंकर मिश्रा कहते हैं कि 2008 से 2017 तक अपनी सेवा में करीब 10 साल तक वो बजट बनाने की प्रक्रिया से सीधे तौर पर जुड़े रहे। बजट केंद्र का हो या राज्य सरकार का, ये एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें तय समय में कितना खर्च करना है, ये तय होता है। सरकारें वित्तीय वर्ष में बजट लाती हैं, जो अगले साल के मार्च से अप्रैल तक चलता है। कितना पैसा कहां से आएगा, किस सेक्टर में कितना पैसा खर्च होगा, यह सब बजट में दर्ज होता है।
बजट तैयार करने में 180 दिन और 40 से ज्यादा बैठकें
गणेश शंकर मिश्रा बताते हैं कि आमतौर पर छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र फरवरी के अंत या मार्च में होता है। इसमें मुख्य काम बजट पारित करना होता है। इसे तैयार करने का काम इससे 6 महीने पहले यानी करीब 180 दिन पहले शुरू हो जाता है। साथ ही 40 से ज्यादा बैठकें होती हैं।
बजट तैयार करने में 23 सरकारी विभागों के 500 से ज्यादा लोग शामिल होते हैं। इनमें सचिव, निदेशक और दूसरे अधिकारी-कर्मचारी शामिल होते हैं। मंत्री भी अपनी सिफारिशें भेजते हैं। अलग-अलग संगठनों के लोगों से भी सुझाव आते हैं। इस तरह करीब 1 हजार लोगों की टीम इनपुट जुटाने और खर्च के लिए जरूरी सेक्टर चुनने का काम करती है।
सरकार को कहां से मिलता है पैसा?
रिटायर्ड आईएएस मिश्रा कहते हैं कि छत्तीसगढ़ खनिज आधारित राज्य है, इसलिए कोयला, लौह अयस्क से नियमित आय होती है। टैक्स रेवेन्यू भी सरकार को मिलता है। इसका 80 फीसदी जीएसटी, सीएसटी, एक्साइज, रजिस्ट्रेशन विभाग से आता है। इसके साथ ही संपत्ति कर, राज्य को लोन, पेनाल्टी वसूली, केंद्रीय कर में राज्य की हिस्सेदारी से पैसा आता है।
सरकार का पैसा कहां जाता है?
सरकारी पैसा योजनाओं पर खर्च होता है, जैसे सड़क, बांध, जलाशय, भवन बनाने की योजना। किसानों को अनुदान जैसी सब्सिडी देने, महतारी वंदन जैसी योजनाओं में पैसा देने और सेटअप खर्च यानी सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने में होने वाला खर्च। पिछली बजट रिपोर्ट 2024-25 के अनुसार 75 फीसदी खर्च वेतन, सब्सिडी और छूट देने में हुआ है।
क्या बजट तैयार करने के समय मंत्रियों और अफसरों के बीच खींचतान होती है?
रिटायर्ड आईएएस मिश्रा कहते हैं कि जब कोई सचिव या मंत्री अपने विजन के साथ कोई योजना लेकर आता है तो वह इस बात पर जोर देता है कि इसके लिए अच्छा बजट दिया जाए। सरकार का स्वरूप मंत्रियों और सचिवों से बनता है। हर विभाग की अपनी महत्वाकांक्षी योजनाएं होती हैं, इसलिए मंत्री चाहते हैं कि बजट में उन्हें मंजूरी मिले।
मैं किसी का नाम नहीं ले रहा, लेकिन ऐसा होता है कि वित्त मंत्री या मुख्य सचिव के स्तर पर अगर कुछ मंत्रियों की योजनाओं को बजट नहीं मिलता है तो नाराजगी होती है। कई बार बाधाओं के बावजूद अधिकारी या मंत्री योजनाओं के लिए बजट आवंटित करवा लेते हैं, इससे जनता को फायदा होता है।
छत्तीसगढ़ पर कितना कर्ज
वर्ष 2024-25 का बजट पेश करते हुए छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा था कि राज्य सरकार पर 91 हजार 520 करोड़ का कर्ज है। 2018 में सरकार पर 41 हजार करोड़ का कर्ज था। इसके बाद कांग्रेस की सरकार बनी।
ओपी ने बताया कि कांग्रेस ने अपने 5 साल के कार्यकाल में 18 साल में सरकार पर जितना कर्ज लिया था, उसके बराबर कर्ज ले लिया है। फिलहाल सरकार पर 91 हजार 520 करोड़ का कर्ज है। यानी छत्तीसगढ़ में प्रति व्यक्ति अनुमानित कर्ज 3 हजार 584 रुपए है।
जानिए क्यों है बैग की परंपरा और बजट शब्द का इतिहास
बजट शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच शब्द बैगेट से हुई है, जिसका मतलब चमड़े का थैला होता है। चमड़े के ब्रीफकेस में बजट लाने की परंपरा ब्रिटेन से शुरू हुई। 1860 में ब्रिटेन के चांसलर ऑफ द एक्सचेकर चीफ विलियम इवर्ट ग्लैडस्टोन चमड़े के थैले में वित्तीय कागजात का बंडल लेकर आए थे।
इस पर ब्रिटिश महारानी का मोनोग्राम भी बना था। इसका नाम ग्लैडस्टोन बॉक्स रखा गया, तभी से यह परंपरा शुरू हुई। इसके बाद से यह पूरी दुनिया में चलन बन गया।
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