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बेरोजगारी भत्ते पर रार: कांग्रेस ने कहा- युवाओं के लिए विशेष मदद, सुनहरा अवसर; भाजपा ने बताया चुनावी लॉलीपॉप

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छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार के गणतंत्र दिवस पर बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा के बाद राजनीति भी तेज हो गई है। इसे लेकर एक बार फिर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं। दोनों पार्टी के नेता इसे लेकर खींचतान में लगे हुए हैं। बालोद के कांग्रेस नेताओं ने इसे बेरोजगारों के विशेष मदद और सुनहरा अवसर बताया है। वहीं भाजपा इसे चुनावी लॉलीपॉप कह रही है। 

कांग्रेस सरकार एक-एक कर पूरे कर रही वादा

बालोद में कांग्रेस जिलाध्यक्ष और वरिष्ठ नेता चंद्रेश हिरवानी ने कहा कि, कांग्रेस सरकार ने जो भी वादे किए थे, उसे बारी-बारी निभा रही है। कोई भी वादा निभाने में समय लगता है। उसके लिए बेहतर कार्य योजना की जरूरत होती है। धरातल पर उतारने और आम जनता तक ले जाने के लिए गहन अध्ययन करना पड़ता है। मुख्यमंत्री ने जो बेरोजगारी भत्ते की घोषणा की है, उसे जल्द ही अमल में लाया जाएगा। 

कांग्रेस के घोषणापत्र में नहीं था बेरोजगारी भत्ता 

वरिष्ठ नेता चंद्रेश हिरवानी ने कहा कि, राज्य के गोठानो में 13 हजार से अधिक महिला स्वसहायता समूह को जोड़ा गया है। इसमें एक लाख से अधिक युवा महिलाएं काम कर रही हैं। सामाजिक कामों से उन्हें जोड़कर भूपेश बघेल सरकार 2500 स्र्पये से अधिक कमाने का अवसर दे रही है। भाजपा आदतन फ्राड फैलाने वाला दल है। कांग्रेस ने घोषणा पत्र में बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था, उसे पूरा किया।

पिछले चार साल का बकाया भी दे सरकार

वहीं भाजपा जिलाध्यक्ष कृष्णकांत पवार ने कहा कि, कांग्रेस सरकार ने तो अभी बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही है, लेकिन उन्हें के 2500 रुपये के हिसाब से  पिछले चार सालों का बकाया बेरोजगारों को देना चाहिए। क्या यह संभव है कि लगभग 1,30,000 रुपये प्रत्येक बेरोजगारों को दिया जाए। किस हिसाब से इस योजना की शुरुआत कर रही है। इसके लिए क्या मापदंड है। इसे भी सरकार ने अब तक स्पष्ट नहीं किया है।

युवाओं को साधने में लगी है कांग्रेस सरकार

कृष्णकांत पवार ने कहा कि छत्तीसगढ़ में इसी साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में युवाओं को साधने में कांग्रेस जुटी हुई है। उन्होंने कहा कि, इसके बाद यह संभव नहीं है। छत्तीसगढ़ की जनता बेहद समझदार है। उन्हें अब इन बातों को समझना चाहिए। कहा कि जनता अब सरकार के बहकावे में नहीं आएगी। जो भी निर्णय सरकार ले रही है वह एक चुनावी प्रोपेगेंडा मात्र है।

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