
Chhattisgarh Bastar Naxalites complete ceasefire: छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलियों ने एक सप्ताह के अंदर दूसरी बार शांति वार्ता के लिए सरकार के सामने अपनी बात रखी है। नक्सली नेता रूपेश ने पर्चा जारी कर कहा कि हम पूर्ण युद्ध विराम करेंगे, लेकिन सरकार हमारा साथ दे। सरकार से सकारात्मक संकेत मिलते ही पूर्ण युद्ध विराम लागू हो जाएगा। हमें अपने नेता के साथ बैठकर इस विषय पर बात करनी होगी। इसके बिना बातचीत संभव नहीं है।
आपको बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद को खत्म कर दिया जाएगा। शाह द्वारा डेडलाइन जारी करने के बाद बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन तेज हो गए हैं।
पहले भी शांति वार्ता की बात हुई थी
इससे पहले केंद्रीय कमेटी ने पर्चा जारी कर माना था कि पिछले 15 महीनों में उनके 400 साथी मारे गए हैं। अगर नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन बंद हो जाता है तो हम शांति वार्ता के लिए तैयार हैं। इस पर गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि वह शांति वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए कोई शर्त नहीं होनी चाहिए।
कोई भी नेता युद्ध के मैदान से भागा नहीं
8 अप्रैल को नक्सली नेता ने पर्चा जारी कर कहा कि हमारे कोई भी बड़े नेता डर के मारे बस्तर या युद्ध के मैदान से पड़ोसी राज्य में नहीं भागे। वे संगठन के काम के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य में जाते हैं। उन्होंने पुलिस से कहा कि जनता और नक्सली कैडर उनके अपने हैं। उन पर गोली मत चलाओ।
नक्सलियों के उत्तर-पश्चिम सब जोनल ब्यूरो के प्रभारी रूपेश ने पर्चा जारी किया है। नक्सली नेता रूपेश के पर्चे में लिखा है कि कुछ दिन पहले केंद्रीय समिति ने शांति वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने को कहा था। जिस पर छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने प्रतिक्रिया देते हुए अनुकूल माहौल बनाने की मांग को नकार दिया।
सब जानते हैं कि अनुकूल माहौल के बिना बातचीत संभव नहीं होगी। तो इसका मतलब है कि सरकार जो भी तरीका अपना रही है, उसे जारी रखना चाहती है।
सहयोगियों से मिलकर लेना होगा फैसला
रूपेश ने कहा है कि हम शांति वार्ता की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के बारे में फैसला लेने के लिए नेतृत्व के कुछ साथियों से मिलना चाहते हैं। नेतृत्व की राय लेना भी जरूरी है। चल रहे अभियानों के बीच ऐसा संभव नहीं होगा। अनुकूल माहौल के लिए अभियान को रोकना जरूरी है। बातचीत की प्रक्रिया को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अनुकूल माहौल बनाना जरूरी है।
यह सरकार की जिम्मेदारी है। हम सरकार से शांति वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने की मांग कर रहे हैं। अगर सरकार की ओर से सकारात्मक संकेत मिलता है तो हम इस पर काम करना शुरू कर देंगे। पर्चे में लिखा है कि विजय शर्मा द्वारा उठाए गए विषयों को बातचीत के एजेंडे में तय किया जा सकता है।
नक्सली नेता रूपेश का कहना है कि यह सच नहीं है कि नेतृत्व बस्तर से भागकर दूसरे राज्य में चला गया है। नेतृत्व अपनी जिम्मेदारी के हिसाब से आता-जाता है।
स्कूल-अस्पताल का विरोध नहीं
नक्सली संगठन को विकास विरोधी बताया जा रहा है। हम स्कूल, अस्पताल, आंगनबाड़ी, राशन की दुकान, पेयजल, बिजली का विरोध नहीं करते। हमने सुचारू कामकाज की मांग की थी। हमने कर्मचारियों से बार-बार अपील की थी, उनसे व्यक्तिगत रूप से मिले और उनसे बात की, हम अभी भी बात कर रहे हैं।
संगठन के लिए भी दिया संदेश
नक्सली नेता ने अपनी कमेटी के कमांडरों से कहा है कि हमारी गतिविधियां शांति वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में होनी चाहिए। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि सरकार ने अभी तक हमारी मांग नहीं मानी है। इसलिए सभी नियमों और सावधानियों का सावधानी से पालन किया जाना चाहिए। हमें इसका शिकार नहीं बनना चाहिए।
पर्चे में लिखा है कि सरकार की ओर से सकारात्मक संकेत मिलते ही पूर्ण युद्ध विराम लागू हो जाएगा। सरकार के रुख के आधार पर हम अपना बयान और स्पष्ट रूप से देंगे।
अभय ने भी की थी अपील
करीब एक सप्ताह पहले नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी के सदस्य अभय ने भी एक पर्चा जारी किया था। अभय ने कहा था कि पिछले 15 महीनों में उसके करीब 400 साथी मारे गए हैं। अभय ने भी शांति वार्ता के लिए सरकार के सामने अपनी बात रखी थी और शांति वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने को कहा था।
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