![इंडियन आर्मी करेगी नक्सलियों का सफाया: पहली बार बस्तर के अबूझमाड़ में कैंप खोलने की तैयारी, सरकार ने जमीन सर्वे रिपोर्ट मांगी इंडियन आर्मी करेगी नक्सलियों का सफाया: पहली बार बस्तर के अबूझमाड़ में कैंप खोलने की तैयारी, सरकार ने जमीन सर्वे रिपोर्ट मांगी](https://i0.wp.com/mpcgtimes.com/wp-content/uploads/2024/09/indian-army-career.jpg?fit=1200%2C675&ssl=1)
Chhattisgarh Bastar Indian Army camp will open: छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में भारतीय सेना का कैंप खोलने की तैयारी चल रही है। यह पहली बार होगा जब सेना बस्तर में अपना बेस कैंप खोलेगी। इसके लिए जमीन का सर्वे भी हो चुका है। अबूझमाड़ इलाका नक्सलियों का सबसे मजबूत ठिकाना माना जाता है। करीब 10 साल पहले कोंडागांव में सेना के जवानों की ट्रेनिंग हुई थी।
एक पत्र मिला है। यह पत्र अवर सचिव उमेश कुमार पटेल ने नारायणपुर कलेक्टर को लिखा है। पत्र में सेना कैंप से जुड़ी जमीन की जानकारी मांगी गई है। लिखा है, नारायणपुर जिले के माड़ क्षेत्र में भू-राजस्व सर्वे से जुड़ी कार्रवाई की तथ्यात्मक जानकारी दी जाए।
बस्तर में अब तक पैरा मिलिट्री फोर्स के जवान
बस्तर में अलग-अलग फोर्स के 60 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं। इनमें कांकेर में एसएसबी, बीएसएफ, आईटीबीपी, नारायणपुर में बीएसएफ, एसटीएफ, कोंडागांव में आईटीबीपी, सीआरपीएफ, दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा में एसटीएफ, कोबरा, सीआरपीएफ शामिल हैं। इसके अलावा डीआरजी, जिला बल, बस्तर फाइटर्स, बस्तरिया बटालियन भी सभी जिलों में नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई लड़ती है।
पहले जानें सेना और पैरा मिलिट्री फोर्स में क्या अंतर
- सेना, देश की रक्षा के लिए बाहरी खतरों से निपटती है, जबकि पैरामिलिट्री फ़ोर्स, देश के अंदर के खतरों से निपटती है।
- सेना, रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करती है, जबकि पैरामिलिट्री फ़ोर्स, गृह मंत्रालय के अधीन काम करती है.
- सेना को आंतरिक मोर्चों पर तैनात नहीं किया जाता, जबकि पैरामिलिट्री फ़ोर्स को देश के अंदर के खतरों से निपटने के लिए तैनात किया जाता है.
- सेना में तीन उप-सेनाएं हैं – भारतीय सेना, नौसेना, और वायु सेना. वहीं, पैरामिलिट्री फ़ोर्स में कई तरह के फ़ोर्स के जवान शामिल होते हैं, जैसे कि CRPF, BSF, ITBP, CISF, Assam Rifles, और SSB.
अब जानें शाह ने क्या कहा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 24 अगस्त को छत्तीसगढ़ के दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने रायपुर में कहा- ‘मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद का खात्मा हो जाएगा। अब वामपंथी उग्रवाद की समस्या पर मजबूत और निर्मम रणनीति के साथ अंतिम प्रहार करने का समय आ गया है।’
शाह ने छत्तीसगढ़, ओडिशा और अन्य पड़ोसी राज्यों के पुलिस अधिकारियों की बैठक लेकर रणनीति भी बनाई थी। बस्तर छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद से सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका है।
छत्तीसगढ़ पुलिस अब झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र पुलिस के साथ मिलकर पहले से ज्यादा आक्रामक तरीके से नक्सल ऑपरेशन चलाएगी। केंद्रीय गृह मंत्री ने इसके निर्देश दिए हैं। साथ ही कहा है कि ज्वाइंट टास्क फोर्स (जेटीएफ) का गठन किया जाए। इसमें राज्य के अनुभवी अधिकारी और जवान होंगे।
आर्मी कैंप क्यों?
बस्तर के अबूझमाड़ को नक्सलियों का अभेद्य किला कहा जाता है। यहां आर्मी का बेस कैंप खोला जाएगा। नक्सलगढ़ में बेस कैंप बनाने का मकसद क्या है? क्या बस्तर को नक्सलवाद से मुक्त कराने के लिए आर्मी की मदद ली जाएगी? इस बेस कैंप से आर्मी कैसे काम करेगी? यहां क्या काम करेगी? अब ये सारे सवाल भी उठ रहे हैं।
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