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बम, गोली और बारूद पर भारी पड़ा विकास: बस्तर में बदले हालात, सौर ऊर्जा से हो रही पढ़ाई, जानिए साय सरकार कैसे बदल रही तस्वीर ?

Chhattisgarh Bastar Development in Sukma Solar energy details: सुकमा में एक समय था जब बस्तर बम धमाकों की आवाज और बारूद की गंध के लिए जाना जाता था। पिछले एक दशक से बस्तर के लोगों की जिंदगी नई करवट ले रही है। बस्तर विकास की राह पर चल पड़ा है। बस्तर संभाग के सभी नक्सल प्रभावित जिले अब विकास की दौड़ में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

Chhattisgarh Bastar Development in Sukma Solar energy details: अब अबूझमाड़ से लेकर घोर नक्सल प्रभावित टेकलगुडेम तक मोबाइल नेटवर्क कभी आपका साथ नहीं छोड़ता। बस्तर के जिन घरों में कभी रेडियो पर आकाशवाणी की खबरें सुनाई देती थीं, आज वहां टीवी पहुंच गया है। लोग दूरदर्शन के जरिए न सिर्फ देश-दुनिया की खबरें जान रहे हैं, बल्कि अपने जिले के मौसम का हाल भी जान रहे हैं।

बदल रहा बस्तर

बदलते बस्तर की तस्वीर यहां के लोगों के चेहरों पर भी साफ दिखाई दे रही है। बच्चे अब सौर ऊर्जा से चलने वाले बल्बों की रोशनी में अपना भविष्य संवार रहे हैं। युवा सेना की भर्ती में शामिल हो रहे हैं। वे खेल के क्षेत्र में बस्तर और आदिम जनजातियों का नाम रोशन कर रहे हैं। महिलाएं घर और खेती का काम निपटाने के बाद घर में टीवी सेट पर फिल्में और सीरियल देख रही हैं।

Chhattisgarh Bastar Development in Sukma Solar energy details: विकास के जो रास्ते नक्सलियों ने ग्रामीणों के लिए बंद कर दिए थे, वे अब एक-एक करके खुल रहे हैं। ग्रामीणों को पता चल गया है कि विकास के दुश्मन सरकारी व्यवस्था और उसके नुमाइंदे नहीं बल्कि ये माओवादी हैं।

इन माओवादियों ने उनकी जिंदगी बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। विकास अंतिम मुकाम पर पहुंचा कभी माओवादियों का गढ़ माने जाने वाले पुर्वर्ती, सिलगेर और टेकलगुडेम जैसे इलाकों में बच्चे सूरज उगते ही अपना स्कूल बैग उठाकर स्कूल के लिए निकल पड़ते हैं।

Chhattisgarh Bastar Development in Sukma Solar energy details: गांव के बुजुर्ग इलाज के लिए इन इलाकों में पुलिस द्वारा लगाए गए कैंपों में पहुंचते हैं और डॉक्टर से अपनी बीमारी की दवा लेकर लौटते हैं। जहां पहले लोग छोटी-मोटी बीमारियों से मर जाते थे।

Chhattisgarh Bastar Development in Sukma Solar energy details: वहीं अब केंद्र और राज्य की मदद से आयुष्मान कार्ड के जरिए गंभीर बीमारियों का भी आसानी से इलाज हो रहा है। यहां के युवा अब नक्सल हिंसा की चर्चा नहीं करते बल्कि विकास की बात करते हैं। बदलते बस्तर की इस तस्वीर से सरकार भी खुश है।

नियाद नेलनार और लोन वर्राटू से बदली तस्वीर

सरकार ने नक्सलवाद के खात्मे और नक्सलियों के पुनर्वास के लिए योजनाएं शुरू कीं। नियाद नेलनार और लोन वर्राटू दो ऐसी योजनाएं हैं, जिन्होंने न सिर्फ बस्तर की तस्वीर बदली, बल्कि माओवादियों की कमर भी तोड़ दी। सैकड़ों माओवादियों ने हथियार डालकर समाज की मुख्यधारा में रहने का संकल्प लिया।

योजनाओं से आया बदलाव

शिविर लगने से ग्रामीणों को पीडीएस सिस्टम का लाभ उनके गांव में ही मिलने लगा। छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी के माध्यम से घोर नक्सल क्षेत्रों में सोलर लाइट की व्यवस्था की गई है। गांवों में सोलर लाइट और पंखे भी बांटे गए हैं।

Chhattisgarh Bastar Development in Sukma Solar energy details: पहले ग्रामीण रात होते ही घरों में बंद हो जाते थे। अब माहौल बदल गया है। रात में लोग एक साथ बैठकर टीवी देखते हैं। बच्चे सौर ऊर्जा की रोशनी में पढ़ाई करते हैं। महिलाएं खाली समय में सिलाई-कढ़ाई का काम भी करती हैं।

सौर ऊर्जा बनेगी बेहतर विकल्प

Chhattisgarh Bastar Development in Sukma Solar energy details: सुकमा जिला लंबे समय से वन और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम कर रहा है। सौर ऊर्जा के आने से इस दिशा में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। पारंपरिक बिजली पर हमारी निर्भरता भी कम होगी।

Chhattisgarh Bastar Development in Sukma Solar energy details: पर्यावरण को भी राहत मिलेगी। सौर ऊर्जा से प्रदूषण भी कम होगा। जल, जंगल और जमीन की भी सुरक्षा होगी। आदिवासी हमेशा से जल, जंगल और जमीन की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं।

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