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11 महीने, 96 एनकाउंटर और 189 नक्सली ढेर: 10 करोड़ के थे इनामी, 5 बड़े कैडर भी मारे गए, AK-47, SLR, इंसास जैसे 207 हथियार बरामद

Chhattisgarh Bastar 11 months 96 encounters and 189 Naxalites killed: छत्तीसगढ़ के बस्तर में इस साल 1 जनवरी से 5 नवंबर तक पुलिस और नक्सलियों के बीच कुल 96 मुठभेड़ हुई हैं। इन 309 दिनों में अलग-अलग जिलों में हुई मुठभेड़ों में पुलिस ने 9 करोड़ 72 लाख रुपये के कुल 189 नक्सलियों को मार गिराया है। इनमें 5 डीकेएसजेडसी (दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी) कैडर के नक्सली शामिल हैं।

पुलिस ने मारे गए नक्सलियों के पास से एके-47, एसएलआर और इंसास जैसे कुल 207 हथियार भी बरामद किए हैं। ये हथियार नक्सलियों ने अलग-अलग मुठभेड़ों के बाद जवानों से लूटे थे। राज्य गठन के बाद बस्तर के नक्सल इतिहास में पुलिस के लिए यह सबसे बड़ी सफलता का साल रहा है।

जवानों ने अबूझमाड़ में भी सेंध लगाई

इस साल पुलिस ने नक्सलियों के सबसे सुरक्षित ठिकानों में से एक अबूझमाड़ के जंगलों में कुल 22 नए कैंप खोले हैं, जिनमें नक्सल कमांडर हिडमा का इलाका पूर्वी भी शामिल है। अबूझमाड़ जिसे नक्सलियों की राजधानी और उनका अभेद्य किला कहा जाता है, यहां भी पुलिस की पैठ आखिरी कोने तक बढ़ गई है। नक्सलियों का उनके इलाके में घुसकर एनकाउंटर किया गया है।

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टीसीओसी और ऑपरेशन मानसून में मिली सफलता

बस्तर में नक्सली मार्च से जून तक अपना टीसीओसी (टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैंपेन) मनाते हैं। इस दौरान वे बड़े हमले करते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण ताड़मेटला, रानीबोदली, बुरकापाल में एंबुश में फंसाकर जवानों की हत्या करना और अरनपुर में आईईडी ब्लास्ट कर जवानों से भरे वाहन को उड़ा देना है।

लेकिन इस बार नक्सलियों के टीसीओसी महीने में भी पुलिस बल ने उन पर काबू पा लिया है। पुलिस ने अटैकिंग मोड पर काम किया और संयुक्त ऑपरेशन चलाकर नक्सलियों को घेरकर उन्हें ढेर कर दिया।

इसी तरह मानसून में भी जवानों का ऑपरेशन जारी रहा। जवानों ने अंदरूनी इलाकों में नदी-नालों को पार कर नक्सलियों के ठिकाने में घुसकर कैंप को ध्वस्त कर दिया। हथियार, सामान बरामद किए और नक्सलियों को मार गिराने के बाद उनके शव भी वापस लाए।

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5 डीकेएसजेडसी मारे गए

इस साल नक्सलियों के 5 बड़े कैडर भी मारे गए हैं, जिनमें नीति उर्फ ​​निर्मला, रूपेश, रणधीर और जोगन्ना समेत अन्य शामिल हैं। ये सभी 25-25 लाख रुपये के इनामी नक्सली थे। इसके अलावा डीवीसीएम, एसीएम, एलओएस, प्लाटून कमांडर, पीएलजीए सदस्य जैसे कैडर भी मारे गए हैं।

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