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फीस नहीं भरी तो स्कूल से निकाले गए, बार डांसर्स को पहुंचाए कैसेट, लीक से हटकर फिल्म बनाकर मचाया तहलका

मुंबई: मधुर भंडारकर (Madhur Bhandarkar) बॉलीवुड के मशहूर एक फिल्म डायरेक्टर, स्क्रिप्ट राइटर, प्रोड्यूसर और डायरेक्टर हैं. ‘चांदनी बार’ (Chandni Bar), ‘कॉर्पोरेट’ ‘पेज 3’, ‘ट्रैफिक सिग्नल’, ‘फैशन’ जैसी फिल्में बनाने वाले मधुर भंडारकर ने इन फिल्मों की कहानी अपनी खुद की जिंदगी के अनुभव से खोजी है, शायद इसीलिए इतनी सच्चाई फिल्मों में उतार पाए. बचपन की तंगहाली ने मधुर को कमजोर नहीं किया बल्कि मजबूत बनाया और उन्हें समाज को देखने समझने का एक खास नजरिया पैदा किया जो उनकी फिल्मों में झलकती है.

फिल्म वेबसाइट बिजनेस ऑफ सिनेमा को दिए इंटरव्यू में मधुर भंडारकर ने कहा था ‘हो सकता है कि मेरी फिल्में उजागर नहीं करती, हो सकता वह केवल समाज का दर्पण हो. मेरी फिल्में समाधान नहीं देती, मैं सिर्फ अपने समाज में क्या हो रहा है, उसे दिखाने की कोशिश करता हूं, कभी-कभी हो सकता है उसमें समाधान हो और कभी न भी हो’.

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वीडियो कैसेट पहुंचाते समय करीब से देखी बार गर्ल की जिंदगी
कहते हैं स्कूली दिनों में मधुर भंडारकर के पिता को बिजनेस में भारी नुकसान हुआ. हालात ऐसे हो गए कि फीस भरने के लिए पैसे भी नहीं थे, इसलिए मधुर को स्कूल से निकाल दिया गया था. मधुर घर चलाने के लिए वीडियो कैसेट पार्लर पर काम करने लगे. उन दिनों कैसेट पार्लर का चलन था, लोग घर पर वीसीआर-कैसेट किराए पर मंगाकर फिल्में देखते थे. मधुर डांस बार में काम करने वाली लड़कियों से लेकर  फिल्मों से जुड़े लोगों को भी कैसेट पहुंचाने जाते थे.

ट्रैफिक सिग्नल पर टॉफी-च्यूइंगम भी बेचा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मधुर ने ट्रैफिक सिग्नल पर टॉफी-च्यूइंगम भी बेचा है. कच्ची उम्र में इन्हीं संघर्षों ने मधुर भंडारकर को जिंदगी को करीब से देखने का मौका दिया. किशोर अवस्था के अनुभव का ही नतीजा ‘चांदनी बार’ और ‘ट्रैफिक सिग्नल’ जैसी फिल्में हैं. मधुर भंडारकर जब बड़े हुए तो फिल्म बनाने में दिलचस्पी हुई तो बतौर असिस्टेंट काम करना शुरू किया. राम गोपाल वर्मा के साथ काम करते हुए फिल्ममेकिंग की बारिकियां सीखीं.

मधुर ने ‘रंगीला’ फिल्म में एक्टिंग भी की
1995 में रामगोपाल की फिल्म ‘रंगीला’ में एक छोटा सा रोल भी प्ले किया. कुछ साल बाद अपनी पहली फिल्म ‘त्रिशक्ति’ बनाई. इस फिल्म को सफलता नहीं मिली लेकिन दो साल बाद 2001 में ‘चांदनी बार’ बनाई तो तब्बू और अतुल कुलकर्णी स्टारर फिल्म की बंपर सफलता ने मधुर को बॉलीवुड के बड़े निर्देशकों की कतार में खड़ा कर दिया.

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मधुर भंडारकर के लिए इससे बड़ा सम्मान क्या हो सकता है कि भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया. इसके अलावा सूचना प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले एनएफआई ने मधुर की फिल्मों को यथार्थवादी बताते हुए संरक्षित किया है.

Tags: Entertainment Special, Madhur bhandarkar, Tabu

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