बॉक्स ऑफिस की कालाबाजारी का सच ? मोबाइल ऐप पर हाउसफुल, लेकिन सिनेमाघर खाली, पढ़िए फिल्म इंडस्ट्री में कॉर्पोरेट बुकिंग का गोरखधंधा
Bollywood Movies Corporate Booking; Shah Rukh Khan Pathaan | Jawan: मुंबई के मशहूर मराठा मंदिर समेत कई सिनेमाघरों के मालिक मनोज देसाई ने हमें यह बात बताई। आप सोच रहे होंगे कि इसमें सच्चाई क्या है। दरअसल, यह सीधे तौर पर बॉक्स ऑफिस की कालाबाजारी की ओर इशारा करता है।
Bollywood Movies Corporate Booking; Shah Rukh Khan Pathaan | Jawan: बड़े एक्टर और प्रोड्यूसर अपनी फिल्म की रिलीज के पहले दिन ही थोक में टिकट खरीद लेते हैं या पूरा थिएटर बुक कर लेते हैं। इसे कॉरपोरेट बुकिंग कहते हैं। ऐसा करके वे अपनी फिल्म के लिए माहौल बनाते हैं, जो बाद में फिल्म का फैसला तय करता है।
Bollywood Movies Corporate Booking; Shah Rukh Khan Pathaan | Jawan: फिल्म इंडस्ट्री में यह अवैध धंधा आज से नहीं, बल्कि 70-80 के दशक से आम है। फिल्म समीक्षक तरण आदर्श ने कहा कि आज सफलता का पैमाना बॉक्स ऑफिस नंबर है। कलाकार इतनी फीस ले रहे हैं कि उन्हें अपनी कीमत दिखाने के लिए ऐसे हथकंडे अपनाने पड़ रहे हैं।
Bollywood Movies Corporate Booking; Shah Rukh Khan Pathaan | Jawan:अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इससे दर्शक ठगा हुआ महसूस करते हैं, क्योंकि इसके चलते उन्हें पहले दिन फिल्म देखने के लिए टिकट नहीं मिल पाते।
Bollywood Movies Corporate Booking; Shah Rukh Khan Pathaan | Jawan: आज इस खास स्टोरी के जरिए हम फिल्म इंडस्ट्री में बॉक्स ऑफिस नंबरों की ब्लैक मार्केटिंग के बारे में बात करेंगे। इसके अलावा पेड और नेगेटिव रिव्यू के जरिए इंडस्ट्री और दर्शकों में बनाए गए गलत माहौल के बारे में भी बात करेंगे।
कॉरपोरेट बुकिंग का चलन कब और कहां से शुरू हुआ?
Bollywood Movies Corporate Booking; Shah Rukh Khan Pathaan | Jawan:तरण आदर्श ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि यह चलन कुछ साल पहले ही शुरू हुआ है। 70, 80 और 90 के दशक में भी ऐसा होता था। 70-80 के दशक का एक बहुत बड़ा एक्टर हुआ करता था। उसका करियर ग्राफ थोड़ा नीचे जा रहा था। अचानक उसकी एक कमबैक फिल्म रिलीज हुई।
पहले दिन सिनेमाघरों के बाहर हाउसफुल के बोर्ड लगे दिखे, हालांकि अंदर दर्शक बहुत कम थे। जब मैंने कुछ साल बाद उसी स्टार से इस बारे में सवाल किया तो वह भड़क गया।
Bollywood Movies Corporate Booking; Shah Rukh Khan Pathaan | Jawan:उन्होंने कहा, आप यह सवाल मुझसे ही क्यों पूछ रहे हैं, लोगों से क्यों नहीं पूछते? उनकी झल्लाहट देखकर समझ में आ गया कि गलती उन्हीं की है। तरण आदर्श ने कहा कि 70-80 के दशक में इसे कॉरपोरेट बुकिंग नहीं, बल्कि ‘फीडिंग’ कहा जाता था।
पठान और जवान के दौरान शाहरुख खान के फैन क्लब ने थिएटर बुक कर लिया
हमने मराठा मंदिर और गेयटी गैलेक्सी थिएटर के मालिक मनोज देसाई से पूछा कि क्या कभी ऐसा होता है कि कोई ग्रुप आकर पूरा थिएटर बुक कर ले? मनोज देसाई ने कहा, ‘ऐसा कई बार होता है। पठान और जवान के दौरान शाहरुख खान के फैन क्लब ने पूरा थिएटर बुक कर लिया था।’
कॉरपोरेट बुकिंग की स्थिति क्यों पैदा हो रही है?
तरण आदर्श ने कहा, ‘करोड़ों में फीस लेने वाले एक्टर्स को बदले में नंबर दिखाने पड़ते हैं। इसके अलावा एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ भी होती है। आज सफलता का पैमाना एक्टिंग से ज्यादा बॉक्स नंबर से मापा जाता है। अगर कोई फिल्म अच्छी है लेकिन अच्छी कमाई नहीं करती है तो उसे फ्लॉप फिल्म माना जाता है।
फीस के बदले थिएटर बुक करने के लिए कहते हैं एक्टर
प्रदर्शक अक्षय राठी ने कॉरपोरेट बुकिंग के बारे में अलग बात बताई। उन्होंने कहा, ‘आप जानते ही होंगे कि एक्टर कई ब्रांड का प्रचार करते हैं। कई बार वे उन ब्रांड कंपनियों से आधी फीस लेते हैं, बदले में जब उनकी फिल्म रिलीज होती है तो वे उन कंपनियों से पहले दिन की टिकट खरीदने के लिए कहते हैं। फिर एक्टर कंपनी के लोगों से कहते हैं कि वे सभी टिकट अपने कर्मचारियों में बांट दें।’
किराए के लोगों को बुलाकर उनसे थिएटर में हंगामा करवाया जाता है
मनोज देसाई ने कहा कि इंडस्ट्री में ऐसे लोग हैं, जो खुद को आगे दिखाने के लिए दूसरों को नीचे गिराने की फिराक में रहते हैं। उन्होंने कहा, ‘आप यकीन नहीं करेंगे, ऐसे कई फिल्म मेकर और एक्टर हैं जो 300-500 रुपये में लोगों को लाते हैं और उन्हें थिएटर के अंदर भेजकर उन्हें नेगेटिव हूटिंग करने के लिए मजबूर करते हैं।
शाहरुख और प्रभास के फैन्स में भिड़ंत
Bollywood Movies Corporate Booking; Shah Rukh Khan Pathaan | Jawan:दिसंबर 2023 में प्रभास की फिल्म सालार और शाहरुख खान की फिल्म डोंकी एक साथ रिलीज हुई थी। दोनों फिल्मों के कलेक्शन को लेकर सोशल मीडिया पर खूब बहस हुई थी। शाहरुख के फैन्स कहते थे कि डोंकी आगे है, जबकि प्रभास के फैन्स सालार को आगे दिखा रहे थे।
अब इस जद्दोजहद में दर्शक असमंजस में थे कि उन्हें इनमें से कौन सी फिल्म देखने जाना चाहिए। दोनों फिल्मों के क्लैश की वजह से बॉक्स ऑफिस के नंबर बंट गए। दोनों फिल्मों को नुकसान हुआ। बात यह है कि इस खींचतान में सिनेमा प्रेमी परेशान हो जाते हैं, उन्हें समझ नहीं आता कि किस फिल्म पर पैसा खर्च करना बेहतर रहेगा।
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