MP में BJP नेता बेटों की करेंगे ताजपोशी ! गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत बिछा रहे सियासी जमीन, जानिए किसका चमकेगा नसीब ?
BJP leaders will crown their sons in MP: मध्य प्रदेश की राजनीति में अगर बुंदेलखंड की बात करें तो भाजपा का गढ़ माने जाने वाले इस इलाके में कई बड़े नेता हुए हैं। इन नेताओं ने प्रदेश की राजनीति में खूब नाम कमाया है और बड़े पद भी हासिल किए हैं।
BJP leaders will crown their sons in MP: इनमें गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत जैसे दिग्गजों के नाम शामिल हैं। खास बात यह है कि इन नेताओं के उत्तराधिकारी भी इनकी राजनीतिक ताजपोशी की तैयारी में जुटे हैं और इनकी राजनीतिक सक्रियता लगातार बढ़ रही है।
अपने पिता की विरासत और नए जमाने की राजनीति के साथ तालमेल बिठाने वाले इन युवा नेताओं से न सिर्फ इनके परिवार के सदस्यों बल्कि बुंदेलखंड के लोगों को भी काफी उम्मीदें हैं।
BJP leaders will crown their sons in MP: इन युवा नेताओं में गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव, भूपेंद्र सिंह के बेटे अभिराज सिंह और गोविंद सिंह राजपूत के बेटे आकाश सिंह राजपूत का नाम शामिल है।
बड़े नेताओं के बेटे अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं
राजनीतिक तौर पर बुंदेलखंड भाजपा का गढ़ माना जाता है। मध्य प्रदेश की राजनीति में यहां के नेताओं ने काफी ऊंचाइयां हासिल की हैं। अब जब नेताओं की विरासत को संभालने के लिए उनकी अगली पीढ़ी मेहनत कर रही है, तो इन दिग्गज नेताओं को लेकर चर्चा जोर पकड़ रही है कि राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी अपने राजकुमारों का राजनीतिक अभिषेक कैसे करेंगे।
सबसे पहले बात गोपाल भार्गव की करें तो रहली विधानसभा से लगातार 9 बार चुनाव जीत रहे गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव लंबे समय से अपनी चुनावी पारी शुरू करने का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद बुंदेलखंड के दिग्गज ठाकुर नेता भूपेंद्र सिंह मध्य प्रदेश की राजनीति में जाना-पहचाना चेहरा हैं।
भूपेंद्र सिंह के बेटे अविराज सिंह ने अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए युवा मोर्चा से अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने की तैयारी शुरू कर दी है। मोहन यादव सरकार के कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बेटे आकाश सिंह भी अपने पिता की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाकर राजनीतिक जमीन तैयार कर रहे हैं।
गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव
पूर्व मंत्री और पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव की राजनीतिक सक्रियता करीब 20 साल पहले बढ़ी थी। जब उनके पिता उमा भारती सरकार में पहली बार कैबिनेट मंत्री बने थे। राजधानी में अपने पिता की सरकार में सक्रिय भूमिका के चलते अभिषेक भार्गव ने रहली विधानसभा की कमान संभाली और जल्द ही अपने पिता की तरह लोगों के दिलों में जगह बना ली।
अपनी सरल और सहज मुलाकातों के अलावा अभिषेक भार्गव अपने पिता की तरह तीखे राजनीतिक अंदाज के कारण काफी लोकप्रिय हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही अभिषेक भार्गव अपनी चुनावी पारी शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन राजनीतिक समीकरण हर बार उनके इंतजार को 5 साल के लिए बढ़ा देते हैं।
पिता के नक्शे कदम पर अविराज सिंह
मध्य प्रदेश की राजनीति में तेजी से उभरे भूपेंद्र सिंह बुंदेलखंड के दिग्गज ठाकुर नेता के तौर पर जाने जाते हैं। उनका नाम पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह के सबसे करीबी लोगों में आता है। उनके बेटे अविराज सिंह की उम्र अभी ज्यादा नहीं है।
पिछले तीन-चार सालों से वे अपने पिता के विधानसभा क्षेत्र खुरई में अपनी सक्रियता बढ़ा रहे हैं। हाल ही में उन्होंने पूरे सागर जिले में युवा सम्मेलनों का आयोजन शुरू किया है। खास बात यह है कि अविराज सिंह अपने पिता की विरासत को संभालने के लिए कड़ी मेहनत से खुद को तैयार कर रहे हैं।
BJP leaders will crown their sons in MP: वे भाजपा की नीतियों के इतिहास से भली-भांति परिचित हैं। महापुरुषों के जीवन और संघर्ष को समझने के लिए किताबें पढ़ना उनका शौक है। छोटी सी उम्र में ही उनके भाषण चर्चा का विषय बन रहे हैं।
गोविंद सिंह राजपूत के बेटे आकाश सिंह राजपूत
मध्य प्रदेश की राजनीति में सिंधिया की परछाई बनकर चलने वाले मोहन यादव सरकार के कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की राजनीतिक निष्ठा सिंधिया परिवार से है। ‘जहां सिंधिया हैं, वहीं मैं हूं’ की तर्ज पर गोविंद सिंह राजपूत भाजपा में हैं।
कांग्रेस में वे मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष जैसे प्रतिष्ठित पद पर रहे और कमल नाथ सरकार में राजस्व और परिवहन मंत्रालय जैसे विभागों को संभाला। जब वे सिंधिया के साथ भाजपा में आए तो उन्हें शिवराज सरकार में भी वही विभाग मिले।
BJP leaders will crown their sons in MP: मोहन यादव सरकार में बुंदेलखंड से एकमात्र कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बेटे आकाश सिंह राजपूत फिल्मी दुनिया में जगह बनाना चाहते थे।
उन्होंने कुछ फिल्मों में काम भी किया। लेकिन जैसे ही उनके पिता मंत्री बने, उन्हें राजनीति में अपने पिता की मदद करने के लिए राजनीति में आना पड़ा। फिलहाल वे अपने पिता के निर्वाचन क्षेत्र सुरखी में काफी सक्रिय हैं।
पिता की विरासत संभालने की चुनौती
देखा जाए तो इन युवा नेताओं को राजनीति में कदम रखने के लिए अपने पिता की राजनीतिक विरासत मिली है। लेकिन राजनीति में विरासत संभालना खुद की राजनीतिक जमीन तैयार करने से ज्यादा मुश्किल है। युवा नेताओं के साथ उनके पिता का नाम जुड़ा है और उनकी बड़ी विरासत को संभालने की चुनौती भी है।
Read More- Landmines, Tanks, Ruins: The Afghanista Taliban Left Behind in 2001 29 IAS-IPS