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MP News: बड़वानी में सीने और पेट से जुड़ी जुड़वां बच्चियों का जन्म, स्टेबल कर इलाज के लिए इंदौर भेजा गया

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मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले में एक महिला ने जुड़वां बच्चियों को जन्म दिया है। यह बच्चियां सीने और पेट से जुड़ी हुई है। दोनों बच्चियां स्वस्थ है और बड़वानी में उन्हें स्टेबल कर आगे के इलाज के लिए इंदौर भेज दिया गया है। 

मामला बड़वानी जिले के सिलावद के पास रेहगुन गांव का है। गुजरात में मजदूरी करने वाली अनिता पति आशु को प्रसव पीड़ा होने पर मेणीमाता स्वास्थ्य केंद्र लाया गया था। वहां से उसे बड़वानी के जिला अस्पताल ले जाया गया। देर रात ऑपरेशन कर सिविल सर्जन डॉक्टर मनोज खन्ना ने बच्चों को बचा लिया। जन्म के समय दोनों बच्चियों का वजन 3,600 ग्राम था। बड़वानी में यह अपनी तरह का पहला मामला है। 

डॉ. खन्ना ने बताया कि आधी रात को ऑपरेशन किया गया। बच्चियों के जन्म के बाद उन्हें स्टेबल कर एडमिट किया गया। बच्चियों को सांस लेने में दिक्कत आ रही थी, इस वजह से आगे के इलाज के लिए इंदौर भेज दिया गया है। ऐसे जुड़वां बच्चों को ऑपरेशन से अलग किया जाता है। आगे की जांच और इलाज अब इंदौर में होगा। वहां के डॉक्टर ही कह सकेंगे कि क्या किया जाना चाहिए या क्या किया जा सकता है। 

बिहार में भी हुआ था ऐसा जन्म
इससे पहले बिहार के दरबंगा में भी जुड़वां बच्चों का जन्म हुआ था। वहां भी दो सिर थे और शेष शरीर के अंग चिपके हुए थे। भागलपुर के कजरौली में भी एक महिला ने जुड़वां बच्चियों को जन्म दिया था, जो पेट और सीने से चिपकी हुई थी।

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मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले में एक महिला ने जुड़वां बच्चियों को जन्म दिया है। यह बच्चियां सीने और पेट से जुड़ी हुई है। दोनों बच्चियां स्वस्थ है और बड़वानी में उन्हें स्टेबल कर आगे के इलाज के लिए इंदौर भेज दिया गया है। 

मामला बड़वानी जिले के सिलावद के पास रेहगुन गांव का है। गुजरात में मजदूरी करने वाली अनिता पति आशु को प्रसव पीड़ा होने पर मेणीमाता स्वास्थ्य केंद्र लाया गया था। वहां से उसे बड़वानी के जिला अस्पताल ले जाया गया। देर रात ऑपरेशन कर सिविल सर्जन डॉक्टर मनोज खन्ना ने बच्चों को बचा लिया। जन्म के समय दोनों बच्चियों का वजन 3,600 ग्राम था। बड़वानी में यह अपनी तरह का पहला मामला है। 

डॉ. खन्ना ने बताया कि आधी रात को ऑपरेशन किया गया। बच्चियों के जन्म के बाद उन्हें स्टेबल कर एडमिट किया गया। बच्चियों को सांस लेने में दिक्कत आ रही थी, इस वजह से आगे के इलाज के लिए इंदौर भेज दिया गया है। ऐसे जुड़वां बच्चों को ऑपरेशन से अलग किया जाता है। आगे की जांच और इलाज अब इंदौर में होगा। वहां के डॉक्टर ही कह सकेंगे कि क्या किया जाना चाहिए या क्या किया जा सकता है। 

बिहार में भी हुआ था ऐसा जन्म

इससे पहले बिहार के दरबंगा में भी जुड़वां बच्चों का जन्म हुआ था। वहां भी दो सिर थे और शेष शरीर के अंग चिपके हुए थे। भागलपुर के कजरौली में भी एक महिला ने जुड़वां बच्चियों को जन्म दिया था, जो पेट और सीने से चिपकी हुई थी।

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