Bhupesh Baghel Vs Arun Sao; Raipur Budha Talab Project | Sukma Tender: मंगलवार (17 दिसंबर) को विधानसभा के शीतकालीन सत्र का दूसरा दिन है। रायपुर के बूढ़ातालाब परियोजना और सुकमा में बिना टेंडर के पुल निर्माण को लेकर सदन में जमकर हंगामा हुआ। भूपेश ने कहा कि अरुण साव करप्शन को सरंक्षण दे रहे।
Bhupesh Baghel Vs Arun Sao; Raipur Budha Talab Project | Sukma Tender: बस्तर में निर्माण के मुद्दे पर पूर्व सीएम भूपेश बघेल और लोक निर्माण विभाग मंत्री अरुण साव आपस में भिड़ गए। भ्रष्टाचार के आरोप पर जमकर नारेबाजी हुई। हंगामे के बीच प्रश्नकाल खत्म हो गया।
Bhupesh Baghel Vs Arun Sao; Raipur Budha Talab Project | Sukma Tender: पुल निर्माण को लेकर जब कवासी लखमा ने सुकमा का जिक्र किया तो अजय चंद्राकर ने टिप्पणी करते हुए पूछा कि दादी सुकमा कब गए थे। इस पर कवासी लखमा ने कहा कि तो क्या मैं पाकिस्तान में रहता हूं? इस पर वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि आपके बड़े नेताओं के विचार पाकिस्तानियों जैसे हैं।
मंत्री के तंज का जवाब देते हुए लखमा ने कहा कि क्या आपके विचार बांग्लादेशियों जैसे हैं। लखमा ने कहा कि ये लोग समझ रहे हैं कि आज इनका राज खुलने वाला है, इसीलिए ये ऐसा कर रहे हैं। इस पर मुस्कुराते हुए डॉ. रमन सिंह ने कहा- चंद्राकर आज कवासी लखमा को परेशान नहीं करेंगे। स्पीकर रमन सिंह ने कांग्रेस द्वारा लगाए गए नारों को रिकॉर्डिंग से हटाने का आदेश दिया है।
लखमा ने पुल को लेकर उठाए सवाल
दरअसल, कवासी लखमा ने सुकमा जिले के अंतर्गत लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाए गए पुल को लेकर सवाल उठाए थे। इसका काम मई में हुआ था, जब लोकसभा चुनाव के कारण आचार संहिता लगी हुई थी। कवासी लखमा ने इसके निर्माण पर आपत्ति जताई थी।
मंत्री अरुण साव ने कहा था कि जिस जगह पुल बना है, उसके आसपास सुरक्षा बलों के कैंप हैं। सुरक्षा बलों को राशन पहुंचाने और बारिश के दौरान उनकी आवाजाही में होने वाली परेशानियों को ध्यान में रखते हुए लोक निर्माण विभाग ने जिला प्रशासन के निर्देश पर पुल का एक हिस्सा बनाया था, बाद में इसे रोक दिया गया।
इसमें एक भी रुपए का भुगतान नहीं हुआ है। आज टेंडर खोला जा रहा है, जो एजेंसी तय होगी, उसे काम दिया जाएगा।
आप अफसरों और ठेकेदारों के खिलाफ क्या कार्रवाई करेंगे?
डिप्टी सीएम साव का जवाब सुनकर पूर्व सीएम भूपेश बघेल खड़े हो गए और कवासी लखमा का समर्थन किया। बघेल ने कहा कि जब मंत्री मान रहे हैं कि आचार संहिता में काम हुआ है। राज्य सरकार की अनुमति के बिना काम हुआ। बिना टेंडर के काम हुआ, तो फिर आप अफसरों और ठेकेदारों पर क्या कार्रवाई करेंगे? इस पर साव ने भुगतान न होने की बात दोहराई।
इसी बीच कांग्रेस के सभी विधायक हंगामा करते हुए भ्रष्टाचार के नारे लगाने लगे। भूपेश बघेल ने सख्त लहजे में साव से कहा कि जब सब कुछ आपकी जानकारी में है। आप कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, इसका मतलब है कि आपको संरक्षण प्राप्त है। इस मामले पर काफी देर तक नारेबाजी होती रही।
मूणत- चंद्राकर ने स्मार्ट सिटी में अनियमितताओं पर साव से सवाल किए राजेश मूणत ने बूढ़ा तालाब का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि जब स्मार्ट सिटी कह रही है कि काम पूरा हो गया है, तो मैं पूछ रहा हूं कि 6 करोड़ रुपए का फव्वारा आज तक क्यों शुरू नहीं हुआ।
बूढ़ातालाब में पहले पर्यटन बोर्ड ने काम किया, फिर नगर निगम ने काम किया। स्मार्ट सिटी ने भी उसी में काम किया, यानी एक तालाब के अंदर इतनी सारी एजेंसियां काम कर गईं। तीनों एजेंसियों ने क्या काम किए हैं? खास बात यह कि अगर उन अफसरों ने इसमें लीपापोती की तो क्या उन पर कोई कार्रवाई होगी? इसके बाद सुनील सोनी खड़े हुए।
सुनील सोनी ने कहा कि 5 साल से नगर पंचायत, नगर निगम की हालत खराब है, नल लगाने के लिए पैसे नहीं हैं। हमारी सरकार में अनियमितताओं का भंडार है। पिछली सरकार ने स्मार्ट सिटी के सैकड़ों करोड़ रुपए सिर्फ लूटे।
30 में से 29 काम पूरे हो चुके हैं
जवाब में मंत्री साव ने कहा कि 30 काम स्वीकृत हुए थे, 30 में से 29 काम पूरे हो चुके हैं। चंद्राकर ने पूछा कि आप या आपके अफसर, आपके सचिव कह रहे हैं कि काम पूरे हो चुके हैं। मैं आपको नरैया तालाब, मटन मार्केट के बारे में बताऊंगा। ऐसी कई सीरीज के बारे में बताऊंगा जो अधूरी हैं।
आपने जो काम पूरे होने की बात कही है, क्या उसकी जांच करवाएंगे, मेरे साथ आइए। ज्यादातर काम अधूरे हैं, तो क्या आप रायपुर शहर के चारों विधायकों के सामने इसकी जांच करवाएंगे? अरुण साव ने कहा कि वे कामों की जांच करवाएंगे।
कौशिक ने कहा- मंत्री जी ईडी से जांच करवाएं
धरमलाल कौशिक ने जल जीवन मिशन के अधूरे काम, टेंडर लेने वाली एजेंसियों की बड़ी अनियमितताओं को उजागर करने का दावा किया। कौशिक ने कहा कि हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए काम किया जा रहा है, लेकिन छत्तीसगढ़ में पिछली सरकार ने लापरवाही बरती।
मंत्री का जवाब आया है कि 2 साल में 2,918 लोगों को नोटिस दिया गया है। इसका मुख्य कारण काम शुरू न होना, उसमें देरी होना या एजेंसियों द्वारा गुणवत्ता के अनुसार काम न करना है। हमने मंत्री से जानना चाहा कि एफआईआर कब दर्ज होगी, वसूली की कार्रवाई कब होगी और अगर यह बड़ा मामला है तो मामले की जांच ईडी को दी जानी चाहिए।
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