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Bhopal News: राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मंत्री सखलेचा बोले- सिर्फ अध्यात्म नहीं भारत विज्ञान का केंद्र भी रहा है

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मेपकॉस्ट में मंगलवार को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने कहा कि भारत विश्व में अध्यात्म की राजधानी तो रही है, साथ ही विज्ञान का केंद्र भी रहा है। हमारे ऋषि वैज्ञानिकों महान खोजें की हैं, जिनके बारे में आधुनिक विज्ञान अभी तक पता लगा रहा है। आज हम मोबाईल के माध्यम से दूर एक दूसरे से बातें कर पाते हैं, लेकिन प्राचीन समय में एक कालखंड ऐसा भी रहा है, जब ऋषि मुनि एक दूसरे के दिमाग की बातें पढ़ पाते थे, मॉर्डन भाषा में इसे टेलीपैथी कहते हैं। हमारी विरासत तो मुगलों ने तो नुकसान पहुंचाया ही है। साथ ही अंग्रेजों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। अंग्रेजो ने पहले हमारे गुरुकुलों को बेकार बताकर बंद करवाया। और हमें कॉन्वेंट स्कूलों में स्तरहीन शिक्षा दी। इन स्कूलों में भी बच्चों को अपनी रचनात्मकता के प्रदर्शन का अवसर नहीं मिलता था। आज हम वापस एक ऐसा वातावरण तैयार कर रहे हैं, जहां कल्पनाशीलता, का रचनात्मकता का विकास हो। क्योंकि विज्ञान की शुरुआत विचारों से होती है, जबतक दिमाग में विचार नहीं आएंगे, आप कोई रचना, कोई आविष्कार नहीं कर पाएंगे।

विश्व विज्ञान दिवस पर ग्लोबल साइंस फॉर ग्लोबल वेल बीइंग अर्थात वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान थीम पर पूरे प्रदेश में 120 से ज्यादा स्थानों पर मेपकास्ट के माध्यम से कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में  विशिष्ट अतिथि के रुप में डॉ जेवी याखमी, पूर्व सह निदेशक, भौतिकी समूह, बार्क मुंबई शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता परिषद के महानिदेशक डॉ अनिल कोठारी ने की। इस अवसर पर मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. संजय तिवारी,   विज्ञान भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री प्रवीण रामदास   उपस्थित रहे। 

 

नोबेल की घोषणा के 6 महीने पहले ही टिकट बुक कर लिया था

भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. संजय तिवारी ने कहा की रमन प्रभाव एक ऐसी खोज है, जिसके 95 वर्ष होने के बाद भी आज भी हमारे जीवन में प्रासंगिक है एवं आगे और भी अधिक होती जाएगी। भारत आज फिर विश्वगुरु बनने की ओर बढ़ चला है। हम टेक्नोलॉजी के हर क्षेत्र में प्रगति कर रहे हैं, 75 साल के संघर्ष की बाद एक बार फिर वो समय आ रहा है, जब हम दुनिया को मार्ग दिखाएंगे। उन्होंने सीवी रमन को नोबेल पुरस्कार मिलने की कहानी को बताते हुए कहा कि नोबेल प्राइज की घोषणा नवंबर माह में होना थी। लेकिन सीवी रमन अपने पुरस्कार को लेकर इतने आश्वस्त थे, कि उन्होंने मई में ही अपनी टिकट बुक करवा लीं थीं। उन्हें नोबेल दिलवाने के लिए विश्व के दस वैज्ञानिकों ने नाम सुझाया था। गुलामी के काल में देश की दुर्दशा थी, ऐसे समय में आविष्कार करना एक बहुत बड़ा चैलेंज था, लेकिन हमारे वैज्ञानिकों ने यह कर दिखाय़ा। अब अमृतकाल में आज की पीढ़ी को जरुरत है कि 100 साल बाद कुछ ऐसी ही खोज करें।

 

 भारत सर्वे भवन्तु सुखीना की बात करता है

विज्ञान भारती के राष्ट्रीय सचिव प्रवीण रामदास ने कहा की हम अभी जी 20 के लिया पूरा देश तैयारी कर रहा है, । ग्लोबल वेलबिंग को हमारा देश पहले से निभाता आ रहा है, हम वो देश हैं जो  सर्वे भवन्तु सुखिन की बात करते है। यहां तक कि हम सिर्फ लिविंग ही नहीं नॉन लिविंग थिंग्स के लिए भी सोचते हैं। यही वजह है कि हमारी संस्कृति में नदी और पेड़ो की भी पूजा होती

 

आत्मनिर्भर बनाने में विज्ञान का अहम योगदान रहेगा

मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी ने कहा की भारत को आत्मनिर्भर बनाने में विज्ञान का अहम योगदान रहेगा आज हम ड्रोन टेक्नोलॉजी की बात करते हैं, ये टेक्नोलॉजी हमारे जीवन को किस तरह बदल सकती है, कृषि में इससे क्या विकास हो सकता है, ये सब विज्ञान पर आधारित है। गर्व की बात है की हम भारत की कई संस्थाओं को मैप से संबंधित डाटा उपलब्ध करा रहे हैं।  

 

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