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5 साल से जेल में बंद रेप आरोपी को जमानत: हाईकोर्ट बोला- लड़की मर्जी से गई, उसे पता था उसके साथ क्या हो रहा है

Bail to rape accused jailed for 5 years High Court: बॉम्बे हाईकोर्ट ने POCSO एक्ट के तहत 5 साल से जेल में बंद 24 वर्षीय आरोपी को जमानत दे दी। कोर्ट ने कहा कि लड़की को पूरी जानकारी थी कि उसके साथ क्या हुआ। वह अपनी मर्जी से आरोपी के पास गई थी।

जस्टिस मिलिंद जाधव की बेंच ने कहा- भले ही मामला POCSO एक्ट के तहत था और पीड़िता नाबालिग थी। लेकिन लड़की अपने माता-पिता को बताए बिना घर से चली गई और चार दिनों तक आरोपी के साथ रही।

मामले के तथ्यों को देखते हुए समझ में आया कि उसे पूरी जानकारी थी कि वह क्या कर रही है, उसने अपनी मर्जी से आरोपी के साथ चार दिन बिताए।

जानिए क्या है पूरा मामला

मामला साल 2019 का है। मुंबई के डीएन नगर पुलिस स्टेशन में उत्तर प्रदेश के एक शख्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। यह एफआईआर 14 साल की नाबालिग लड़की के पिता ने दर्ज कराई थी।

पिता के मुताबिक उनकी बेटी 19 नवंबर 2019 से लापता थी। मामला दर्ज होने के बाद 25 नवंबर को वह आरोपी और उसके दोस्त से जुहू चौपाटी के पास मिली, जिसके बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।

आरोपी के मुताबिक घटना के वक्त उसकी उम्र 19 साल थी। वह लड़की को करीब दो साल से जानता था। आरोपी ने कई बार जमानत के लिए आवेदन किया, लेकिन निचली अदालतों ने लड़की की उम्र के आधार पर इसे खारिज कर दिया।

बॉम्बे हाईकोर्ट से उसे जमानत कैसे मिली, 2 बिंदु…

बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान बेंच ने पुलिस रिपोर्ट और लड़की के बाद के बयानों में अंतर देखा, जो मेडिकल जांच के दौरान भी बदल गया।

लड़की ने कहा कि वह आरोपी के साथ रिलेशनशिप में थी। होटल मालिक के बयान से यह भी पता चला कि लड़की के पिता को उनके रिश्ते के बारे में पता था।

आरोपी ने कहा- लड़की की सहमति कानूनी तौर पर मान्य नहीं कोर्ट में आरोपी ने दलील दी कि चूंकि लड़की नाबालिग है, इसलिए उसकी सहमति कानूनी तौर पर मान्य नहीं हो सकती।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि आरोपी का कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और वह पहले ही पांच साल से अधिक समय जेल में बिता चुका है।

कोर्ट ने कहा- जमानत देते समय अन्य पहलुओं पर भी विचार किया गया। कोर्ट ने कहा कि जमानत पर फैसला करते समय यह देखना जरूरी है कि आरोपी ट्रायल के लिए पेश होगा या नहीं।

इसके अलावा अपराध की गंभीरता, आरोपी द्वारा दोबारा अपराध करने की संभावना, गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों से छेड़छाड़ करने की संभावना और आरोपी के आपराधिक इतिहास को भी ध्यान में रखना जरूरी है।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जमानत के दौरान आरोपी को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह कानून का पालन करे और ट्रायल में बाधा डालने का कोई प्रयास न करे।

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