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वाह सांसद-विधायक जी ! पुष्पराजगढ़ के बैगा जनजाति को अब तक बिजली, सड़क और पानी से रखा है महरूम, हताश आदिवासी और NSUI ने बुलंद की आवाज

अनूपपुर। जिले में आज भी ऐसे कई बैगा जनजाति गांव हैं, जहां के ग्रामीणों को हैंडपंप का स्वच्छ पेयजल तक नसीब नहीं हो पा रहा है. यहां रहने वाले ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए मोहताज हैं. यहां के ग्रामीण आज भी बिजली, सड़क और पेयजल की व्यवस्था के लिए तरस रहे हैं. अब हताश होकर बैगा आदिवासी सड़क पर उतर आए हैं. अपने नेताओं के किए वादे को याद कर कोस रहे हैं. ग्रामीण गंदा पानी पीकर रह रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार और नेता बेजुबान बने हुए हैं. राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र सड़क पर आकर हक की लड़ाई लड़ने पर मजबूर हैं.

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हम बात कर रहे हैं राजेंद्रग्राम के गिरारी इलाके के डूबर टोला गांव, ग्राम कालाडाही, गर्जनबीजा, संचरा, हिरनाछापर समेत कई गांव की. जहां आजादी के सात दशक बाद भी ग्रामीणों को स्वच्छ पानी नहीं मिल पा रहा है. न तो इस गांव में पहुंचने के लिए पहुंचमार्ग है और न ही रोशनी के लिए बिजली की व्यवस्था और न ही पीने के लिए साफ पेयजल. उजाले के लिए यहां के ग्रामीण चिमनी और आवागमन के लिए पथरीली और पगडंडी रास्ते के भरोसे हैं. ग्रामीण गंदा पानी पीते हैं. पानी से बीमारियों का खतरा हमेशा बना रहता है, लेकिन प्रशासन को इन ग्रामीणों की सुध नहीं है.

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बैगा आदिवासी समाज के लोगों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन ब्लॉक अध्यक्ष रोहित सिंह मरावी की अगुवाई में राज्यपाल के नाम पुष्पराजगढ़ अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के माध्यम से नायब तहसीलदार आदित्य द्ववेदी को ज्ञापन सौंपा गया. 10 दिन के अंदर उचित कार्रवाई नहीं होती तो अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन की चेतावनी दी है.

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पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र के सैकड़ों बैगा जनजाति समुदाय के लोगों के पास वन अधिकार पट्टा, और मूलभूत सुविधाओं की कमी है. इससे नाराज आदिवासियों ने आने वाले पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है. इस वक्त अनिरुद्ध सिंह, किशन किशोर यादव, आत्माराम, राकेश लाल, मनमोहन सिंह, और सैकड़ों बैगा जनजाति समुदाय कि लोग मौजूद थे.

नायब तहसीलदार आदित्य द्ववेदी का कहना है कि एनएसयूआई ने बैगा जनजाति वर्ग को वन पट्टा, पानी और बिजली समेत कई समस्याओं को लेकर ज्ञापन राज्यपाल के नाम सौंपा है. इनकी मांगों को ऊपर तक भेजा जाएगा. जो भी कार्रवाई होगी आगे बता दिया जाएगा.

दरअसल, पुष्पराजगढ़ में आदिवासियों को सांसद-विधायक वोट बैंक बना लिए हैं. प्रदेश में सरकार चाहे कांग्रेस की रहे या बीजेपी की. पुष्पराजगढ़ के आदिवासी हमेशा से वोट बैंक बने हैं. बैगा जनजाति के मुद्दे समेत स्थानीय समस्याओं को MP-CG टाइम्स हमेशा से उठाया और जनप्रतिनिधियों तक पहुंचाया, लेकिन कुर्सी में बैठ कर मलाई छानने वाले नेता भलाई के लिए नहीं सोचे. इसका हम ताजा उदाहरण बैगा जनजाति की समस्याओं को देखकर लगा सकते हैं कि विधानसभा में कैसी हालत होगी.

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