जुर्म

CEO साहब…पंचायतों में घोटालों की बाढ़: चहेते ठेकेदारों को टेंडर, घटिया निर्माण, बरसते पानी में पुल तैयार, कभी दफ्तर से निकली नहीं इंजीनियर, पंचों ने पूछा सवाल तो भड़क गई मैडम…

पुष्पराजगढ़। अनूपपुर का पुष्पराजगढ़ अब करप्शन ‘गढ़’ बनता जा रहा है. यहां के कारनामे और अधिकारी सुर्खियों में रहते हैं. कभी काम होने के बाद भी जानकारी नहीं होती है, तो कभी जानकारी होने के बावजूद कार्रवाई नहीं होती है. ठीक ऐसा ही मामला मौहारी ग्राम पंचायत के परसेल खुर्द से सामने आया है, जहां 4 दिन में पुल का निर्माण हो गया और इंजीनियर मैडम को इसकी जानकारी तक नहीं है. ऐसे में बगैर इंजीनियर की जानकारी पुल कैसे निर्माण हो गया. उल्टा पंचों की तरफ से सवाल पूछने पर मैडम भड़क गई. आखिर करप्शन को किसका सह मिल रहा है ?

दरअसल ग्राम पंचायत मौहारी के परसेल खुर्द में 1 लाख 48 हजार रुपए की लागत से पुल निर्माण हुआ है. चहेते ठेकेदारों को टेंडर देकर बरसते पानी में घटिया निर्माण कार्य कराया गया है. जब गांव के चार से पांच पंच इसकी जांच करने पहुंचे, तो उन्हें घटिया निर्माणकार्य दिखा. इतना ही नहीं लेबर भी बाहर से लाया गया था. स्थानीय मजबूरों को मजदूरी पर नहीं रखा गया. जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश देखने को मिला.

बरसते पानी में घटिया निर्माण

ऐसे में सवाल उठा कि बगैर इंजीनियर की जानकारी के पुल का निर्माण कैसे हो गया. मिस्त्री ने कहा कि 5/1 यानी 5 तगाड़ी रेत और एक तगाड़ी सीमेंट मिलाकर मसाला बनाया जा रहा है. जबकि ढाई/एक में काम किया जाना चाहिए था. ऐसे में अंदाजा लगा सकते हैं कि पुल कितना मजबूत बना होगा. वो भी बरसते पानी के बीच. इस तरह चार दिन में पुल बनकर तैयार हो गया है.

थोड़ा लिमिट में बात किया करो – इंजीनियर

मौहारी पंचायत के पंच शुभम जायसवाल ने इंजीनियर रितु शर्मा फोन किया गया, तो उन्होंने कहा कि मुझे निर्माणकार्य की जानकारी ही नहीं है. मैं एक पंचायत की इंजीनियर नहीं हूं, मैं 12 पंचायत की इजीनियर हूं. मुझे यह सब पता नहीं रहा है, वो जब आकर बताते हैं, तब पता चलता है. पंच ने जब कहा कि आपको इसका नॉलेज नहीं था, जिस पर इंजीनियर ने कहा कि थोड़ा लिमिट में बात किया करो और फोन काट दिया. बातचीत का ऑडियो MP CG टाइम्स के पास मौजूद है.

क्या एक्शन लेंगे साहब

इंजीनियर मैडम कभी दफ्तर से बाहर निकलेंगी तभी तो उन्हें इसकी जानकारी होगी. दफ्तर में बैठकर फील्ड का काम कैसे पता चल सकता है. पूछने पर उल्टा लिमिट में बात करने की नसीहत दे रही हैं. अब इसे लेकर पंचों में आक्रोश देखने को मिल रहा है. अगर निर्माण कार्य की जांच नहीं होती है, तो ऊपर अधिकारियों से शिकायत करने की बात कही है. अब देखना यह होगा कि CEO साहब क्या इसे संज्ञान में लेते हैं. कुछ कार्रवाई करते या फिर भ्रष्टाचार ऐसे चलता रहेगा ?

मौहारी पंचायत में घोटालों की कुंडली बहुत गहरी

मौहारी पंचायत में करप्शन लीला अगर देखने है, तो पंचायत का कभी दौरा करिए. करोड़ों के घोटाले की फाइलें दफन है. यहां न इंजीनियर न ही CEO कभी निरीक्षण में आते हैं. बताया जा रहा है कि कमीशन में सब खेला हो रहा है. कमीशन देकर राशि स्वीकृत करा ली जाती है, जिससे गांव का विकास घटिया कामों से हो रहा है. सरकारी जिम्मेदार यहां झांकने नहीं आते. तालाब से लेकर कचरा डंप यार्ड से लेकर तमाम कामों में लाखों का झोलझाल है, लेकिन मजाल है कि कोई यहां आकर जांच कर ले.

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