
शैलेंद्र विश्वकर्मा, अनूपपुर। मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले में झोलाछाप डॉक्टर और अवैध क्लीनिक दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं. इनका जमात बड़ी तादाद में ग्रामीण इलाकों में पैर पसार रहा है, लेकिन जिम्मेदार आंख में पट्टी और कान दाब कर बैठे हैं, जिससे लोग मौत की आगोश में जा रहे हैं. इसी कड़ी में भालूमाड़ा में एक मरीज की मौत ने जिला स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल कर रख दी है. अवैध क्लीनिक की चौखट पर एक बेबस मरीज ने दम तोड़ दिया. इस मौत से विभाग के जिम्मेदार सवालों के कटघरे में हैं, जबकि मृतक के परिजनों की आंखें खून की आंसू बहा रहे हैं.
दरअसल, ये मामला भालूमाडा थाना अंतर्गत पसान नगर पालिका के वार्ड क्रमांक 8 कुशलाबहरा में निवासरत बबलू की झोलाछाप डॉक्टर मजूमदार के अवैध क्लीनिक का है, जहां क्लीनिक के बाहर मरीज की तड़प-तड़पकर मौत हो गई. आश्चर्य की बात तो यह है कि क्लीनिक ब्यूटी पार्लर के अंदर अवैध रूप से संचालित हो रहा था. युवक की मौत के बाद डॉ मजूमदार क्लीनिक में ताला लगाकर रफूचक्कर हो गया.
वहीं परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग को सूचना दी, जिसके बाद पुलिस द्वारा पंचनामा कर क्लीनिक के बाहर से शव को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए कोतमा स्वास्थ्य केंद्र भेज दिया गया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही बबलू की मौत का खुलासा हो सकेगा.
परिजनों का आरोप है कि बबलू कई दिनों से बीमार चल रहा था, जो कि अपने इलाज के लिए मजूमदार के क्लीनिक में आया हुआ था. जहां क्लीनिक में पहुंचकर डॉक्टर से इलाज के बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई. वहीं दरवाजे में बबलू ने दम तोड़ दिया.
मृतक के परिजनों ने बताया कि जब पुलिस पंचनामा के दौरान मृतक के कपड़े निकाले गए तो कमर पर सुई लगाने का निशान था. उस पर रुई लगी हुई थी. फिलहाल मामला स्वास्थ्य विभाग और पुलिस विभाग के बीच जांच का केंद्र बना हुआ है.
ब्यूटी पार्लर का बोर्ड लगाकर अवैध क्लीनिक का संचालन
झोलाछाप डॉक्टर मजूमदार द्वारा अपने निवास स्थान पर डायमंड ब्यूटी पार्लर का बोर्ड लगा कर अंदर अवैध रूप से क्लीनिक का संचालन बेखौफ हो कर किया जा रहा था. जहां अक्सर मरीज इलाज करवाने के लिए आया करते थे. वहीं बुधवार की दोपहर बबलू भी झोलाछाप डॉक्टर मजूमदार के पास अपने इलाज के लिए पहुंचा. जहां डॉक्टर द्वारा उसका इलाज किया गया. वह क्लीनिक के बाहर ही अपना दम तोड़ दिया, जिसके बाद परिजनों और करीबियों ने डॉ मजूमदार के ऊपर गलत इलाज करने का आरोप लगाया है.
नहीं है रजिस्ट्रेशन तो अवैध ही समझो
घटना के बाद जब मीडिया कर्मी मामले को संज्ञान में लेने पहुंचे तो डॉक्टर के द्वारा रौब झाड़ते हुए कहा कि वर्षों से मैंने रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है. अब चाहे इसे अवैध समझो या वैध मेरा क्लीनिक मेरे घर में संचालित होता था. वहीं मजूमदार का कहना है कि मेरे द्वारा किसी भी प्रकार का इलाज मरीज का नहीं किया गया है.
क्या कमीशन में चल रहे अवैध क्लीनिक ?
बहरहाल, अनूपपुर जिले में कई ऐसे अवैध क्लीनिक हैं, जो बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में सैंकड़ों की तादाद में झोलाछाप डॉक्टर हैं, जो इलाज के नाम पर भोले भाले ग्रामीणों को लूट रहे हैं. यूं कहें कि बेखौफ होकर सरेराह लोगों को मौत बांट रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग इन पर कार्रवाई करने से खौफ खा रहा है. ऐसे में कई सवाल उठते हैं क्या विभाग को इस तरह के अवैध क्लीनिक से कमीशन आता है, जिससे के सह पर बेखौफ खेल खेला जा रहा है.
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ने आज एक परिवार से उसका बबलू छीन लिया. अगर जल्द ही जिले भर के अवैध क्लीनकों पर कार्रवाई नहीं होती तो इसी प्रकार अन्य क्लीनकों पर भी किसी ना किसी परिवार का बबलू अवैध झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा छीन लिया जाएगा, जिसका जिम्मेदार स्वास्थ्य विभाग होगा.