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नारायणपुर हिंसा पर निशाना: अमित जोगी ने बीजेपी-आरएसएस को ठहराया जिम्मेदार, कहा- अंधे बनकर बैठे हैं भूपेश

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नारायणपुर में धर्मांतरण को लेकर मामला गरमाता जा रहा है। राजनीतिक गलियारें  जमकर बयानबाजी हो रही है। भाजपा कांग्रेस एक दूसरे पर लगातार हमला बोल रहे हैं। अब जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी (जेसीसीजे) भी इस लड़ाई में कूद पड़ी है। नारायणपुर हिंसा को लेकर जेसीसीजे के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने प्रेसवार्ता लेकर बीजीप कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। 

उन्होंने कहा कि, जो नारायणपुर में घटना घटी है, वो दुर्भाग्यपूर्ण है। यह घटना साजिश के तहत की गई है। अमित जोगी ने जुबानी हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि भाजपा और आरएसएस नारायणपुर घटना के लिए जिम्मेदार हैं। बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि नारायणपुर की घटना के सबसे बड़ा मास्टरमाइंड भाजपा के पूर्व मंत्री केदार कश्यप हैं। वहीं सीएम भूपेश बघेल पर कहा कि वह मामले में अंधे बनकर बैठे हुए हैं। 

‘…तो अधिकारी पर होती कार्रवाई’

अमित जोगी आगे कहा कि भूपेश बघेल के जगह मैं वहां रहता या मेरे पिताजी रहते तो, वहां पर सीधा अधिकारी पर कार्रवाई की जाती। प्रशासन की बड़ी चूक देखने को मिली है। वहा नक्सल पीड़ित थे, लेकिन अब सांप्रदायिक के नाम  पर वहां घटना घट रही है, लोगो की भावनाओं को भड़काया जाता है। बस्तर के नारायणपुर जिले के अंतर्गत धार्मिक हिंसा एवं उमाद के संबंध में जेसीसीजे की जांच समिति ने अपना रिपोर्ट प्रस्तुत किया है,जिसमें अनेक चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जांच कमेटी ने घटना स्थल पर जाकर जानकारी ली है कि आदिवासियों के बीच में धर्म के नाम पर जहर घोलने और आपस में लड़ाने की साजिश महीनों से चल रही है। इसकी शिकायत पीड़ित आदिवासियों ने जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, थाना प्रभारीयों एवं आदि प्रशासनिक अधिकारियों को दिया गया है। लेकिन शासन उक्त आवेदनों पर कोई कार्रवाई नहीं की है। 

‘हिंसा एक राजनीतिक साजिश’

उन्होंने कहा कि यह लड़ाई धार्मिक नहीं बल्कि सत्ता तक पहुंचने के लिए एक राजनीतिक साजिश है, जिसमें तथाकथित बहरुपिए लोग शामिल हैं, जो दिन में आदिवासी नेता का चोला पहनते हैं और रात को भगवा झंडा लेकर धर्म के नाम पर आदिवासियों को प्रताड़ित करते हैं। घटना मले ही आज घटित हुई है, लेकिन इसकी पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी है, जो पूर्व पुलिस अधिकारी जीपी सिंह की डायरी और सुकमा एसपी के पत्र से स्पष्ट होता है। ठीक चुनाव के पहले बस्तर को धर्म की आग में झोंककर सत्ता हासिल करना चाहते हैं, जिसके लिए दोनों ही राष्ट्रीय दल जिम्मेदार हैं। 

 

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