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मदरसों के सर्वे के बीच मौला अरशद मदनी ने जारी की ये अहम गाइडलाइन

देवबंद:  

उत्तर प्रदेश में जारी मदरसों के सर्वे और उस पर मचे सियासी घमासान के बीच मदरसा दारुल उलूम, देवबंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने मदरसों के लिए अहम गाइडलाइन जारी की है. मौलाना की ओर से जारी गाइडलाइन में मदरसों की साफ-सफाई से लेकर सिलेबस तक की जानकारी दी गई है. इसके साथ ही कहा गया है कि सरकार के साथ हर मुमकिन सहयोग का रवैया रखा जाए. किसी भी सूरत में सरकार से टकराव का रास्ता न अपनाया जाए.

ये है गाइडलाइन की मुख्य बातें
1. बच्चों के अधिकारों को ध्यान में रखते हुए आज से ही छात्रों को पीटने के तरीकों को ‘तलाक’ दे दे, नहीं तो मदरसों को सुरक्षित नहीं रख पाएंगे.

2. मदरसों में स्वस्थ वातावरण का ध्यान रखना चाहिए, स्नानघर (स्नान घर) और शौचालयों को साफ रखना चाहिए और यदि आवश्यक हो तो इसके लिए एक स्थायी स्टाफ को काम पर रखा जाना चाहिए.

3. सभी मदरसों में हाई स्कूल तक की आधुनिक शिक्षा अनिवार्य की जाए, दारुल उलूम देवबंद भी अगले साल से इसे शुरू कर देगा, इंशाअल्लाह.

4. उन्होंने कहा है कि दीनी तालीम देने वाले सभी मदरसों में वित्तीय लेखांकन में पारदर्शिता को ध्यान में रखा जाना चाहिए. इसके साथ ही कहा गया है कि मदरसों को खुद ही सालाना ऑडिट कराना चाहिए. उन्होंने साफ कर दिया है कि इस मामले में कोई ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी. आने वाले वर्षों में, मदरसा इस्लामिया अरबिया दारुल उलूम देवबंद के प्रतिनिधि भी विभिन्न अवसरों पर अपने से संबद्ध मदरसों में खातों की समीक्षा कर सकते हैं.

5. जमीन-जायदाद के कागजातों को पूरा रखें और इस संबंध में जरा भी लापरवाही न करें.

6. हाल के सर्वेक्षण से चिंतित न हों, लेकिन सर्वेक्षण टीम के साथ विनम्र रहें और आवश्यक जानकारी प्रदान करें.

7. जिस तरह देश को आधुनिक शिक्षित लोगों की जरूरत है, उसी तरह मुस्लिम समाज को भी एक अच्छे विद्वान और मुफ्ती, एक अच्छे हाफिज और कारी, एक अच्छे इमाम और मुअज्जिन और एक अच्छे धार्मिक नेता की जरूरत है. लिहाजा, हम देश के दूसरे समाज के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ-साथ चलते रहेंगे, इंशा अल्लाह.

8. उन्होंने देशभर के मदरसा संचालकों से कहा है कि शरीयत की सीमा में रहकर जायज मामलों में सरकार का सहयोग करें, टकराव का माहौल न बनने दें.

9. इस्लामी मदरसों के अधिकारियों और संबंधित लोगों को एक दूसरे का साहस बढ़ाना चाहिए और आपसी सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए.

10. इसके साथ ही कहा गया है कि मदरसा-ए-इस्लामिया से जुड़े सभी लोगों को खास तौर से अल्लाह की तरफ रुजू (रुख) करना चाहिए.






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