अनूपपुर। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय (IGNTU) अमरकंटक मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में स्थित है. जहां प्रदेश और देश भर के छात्र-छात्राएं पढ़ने आते हैं. लेकिन यहां की व्यवस्थाओं से वो खासा नाराज हैं, क्योंकि जिस तरीके से व्यवस्था मिलनी चाहिए, वो मिल नहीं रही है. मेस में कभी खाने की गुणवक्ता ठीक नहीं होती, तो कभी फीस अधिक मांगा जाता है. जब सब्र का बांध टूटा तो छात्र-छात्राओं का गुस्सा प्रबंधन पर फूटा है. नाराज और आक्रोशित स्टूडेंट हक की लड़ाई के लिए सड़क पर उतर आए. विरोध प्रदर्शन कर अपनी मांगों को पूरी करवाने की कोशिश की. लेकिन क्या उनकी यह जायज मांगे पूरी होंगी या फिर समस्याएं बदस्तूर जारी रहेंगी.
छात्रों का आरोप है कि छात्रावास के मेस में गुणवत्ताविहीन भोजन दिया जाता है. इस घटिया भोजन के एवज में उनसे अधिक फीस भी वसूली जाती है. एक महीने का फीस पेड किया है और आधा महीने ही खाना खाया, फिर भी पूरे महीने का ही फीस माना जाता है. गरीब घर आए बच्चे-बच्चियां सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने हुए कम खर्चे में अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा ग्रहण करने आती हैं. लेकिन इस तरह के खानपान से इनका स्वास्थ्य ही आए दिन बिगड़ते रहता है. जिससे ना तो वो अच्छे से पढ़ पाती हैं औऱ ना ही अच्छा भोजन कर पाती हैं. विश्वविद्यालय में पहले मेस का फीस 1500 रुपए था, जिसे बढ़ाकर 2700 रुपए कर दिया गया है.
शुक्रवार को जब छात्र-छात्राओं का सब्र का बांध टूटा, तो गुस्सा प्रबंधन पर ही फूटा. मेस में गुणवत्ताविहीन भोजन, अधिक फीस वसूली और छात्रावास में शाम के प्रवेश का समय 8 बजे तक करने की मांग लेकर सड़क पर उतर आए. बड़ी संख्या में आक्रोशित छात्रों ने इसके विरोध में जमकर प्रदर्शन किया. छात्रावास की वार्डन को शिकायती आवेदन सौंपा है. जल्द ही समस्या का समाधान करने की मांग की गई है. मांगों को पूरा करने आश्वासन मिला है, लेकिन वो कब पूरा होगा भगवान भरोसे हैं.
छात्राओं का ये भी कहना हैं कि खाने की गुणवत्ता दिन-ब-दिन गिरते ही जा रही हैं. आए दिन किसी न किसी को सही इलाज के लिए एंबुलेंस से पेंड्रा रेफर करना पड़ता हैं. खाने की गुणवत्ता में लगातार गिरावट होने के कारण आए दिन लूज मोशन, उल्टी, कमजोरी, फूड पॉइजनिंग जैसी गंभीर बीमारी देखने को मिल रही हैं. पहले छात्राओं ने प्रशासन से अपनी बाते रखी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई हैं.
इस मामले में IGNTU के जनसंपर्क अधिकारी विजय दीक्षित का कहना है कि मीडिया के माध्यम से विश्वविद्यालय में छात्राओं ने भोजन को लेकर हंगामा किया है. जो कि पूरी तरह से निराधार है. विश्वविद्यालय में उच्च क्वालिटी और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराई जाती है. लेकिन जनाब कभी खाने की गुणवत्ता आप खुद जाकर देखें और खाए तो समझ आएगा कि वाकई में भोजन कैसा है. बच्चों को किस तरह का भोजन परोसा जाता है. अब देखना यह होगा कि विश्वविद्यालय प्रबंधन इस मांग पर क्या कुछ एक्शन लेता है ?
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