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Naxali Leader Hidma की LOVE स्टोरी: कौन था हिड़मा, कलेक्टर को किया था किडनैप, टीचर को दे बैठा था दिल, जानिए आखिरी सेल्फी की सीक्रेट कहानी ?

Chhattisgarh Naxali Leader Hidma Love Story: CG Naxalite Commander Madvi Hidma Encounter | Amit Shah: देश के सबसे खतरनाक नक्सल कमांडरों में शामिल माड़वी हिड़मा छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश बॉर्डर पर मरेडमिल्ली जंगल में मंगलवार सुबह हुए एनकाउंटर में मारा गया है। उसकी पत्नी राजे उर्फ रजक्का और 4 अन्य नक्सलियों को भी ढेर कर दिया गया है। बस्तर रेंज IG सुन्दरराज पी ने पुष्टि की है।

Chhattisgarh Naxali Leader Hidma Love Story

CG Naxalite Commander Madvi Hidma Encounter | Amit Shah: न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, गृहमंत्री अमित शाह ने सुरक्षाबलों को हिड़मा को खत्म करने के लिए 30 नवंबर तक की डेडलाइन दी थी। इसके बाद आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर स्थित मरेडमिल्ली के घने जंगलों में सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया था। इसी ऑपरेशन में हिड़मा डेडलाइन से 12 दिन पहले ही मारा गया।

CG Naxalite Commander Madvi Hidma Encounter | Amit Shah: हिड़मा पिछले 2 दशक में हुए 26 से ज्यादा बड़े नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड रहा है। इनमें 2010 दंतेवाड़ा हमला भी शामिल है, जिसमें 76 CRPF जवान शहीद हुए थे। इसके अलावा 2013 में झीरम घाटी हमले, 2021 सुकमा-बीजापुर हमले में भी हिड़मा की भूमिका रही है।

हिड़मा कौन है, जानिए पूरी डिटेल ? Naxali Leader Hidma Love Story

 हिड़मा का जन्म साल 1981 में सुकमा जिले के जेगुरुगोंडा थाना क्षेत्र के पुवर्ती गांव में हुआ था. वह मुरिया अनुसूचित जनजाति से था. उसने दसवीं कक्षा तक पढ़ाई की थी. वह भाकपा (माओवादी) के केंद्रीय समिति सदस्य (सीसीएम) के रूप में कार्यरत था और संगठन के दक्षिणी क्षेत्र में पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) बटालियन का प्रभारी था. उसे देवा, संतोष और विलास जैसे उपनामों से जाना जाता था.

टीचर से हुआ था LOVE, रचा ली थी शादी Hidma Love Story

हिड़मा की शादी डिवीजनल कमेटी सदस्य (डीवीसीएम) (Naxali Leader Hidma Love Story ) राजे उर्फ ​​राजक्का से हुई थी, जो बटालियन में शिक्षक के रूप में भी काम करती थी. सीआरपीएफ के पास उपलब्ध एक डोजियर के अनुसार, हिडमा 5 फीट 6 इंच लंबा और मध्यम कद काठी का था. सुरक्षा बलों के पास उसकी तब की तस्वीर उपलब्ध थी, जब वो काफी यंग था.

माओवादी आंदोलन में शामिल होना और प्रसिद्धि पाना

 ऐसा माना जाता है कि हिड़मा 2001 की शुरुआत में नक्सल संगठन में शामिल हुआ था. वह एक कमांडर के रूप में प्रसिद्धि में आया, क्योंकि वह चतुर, तेज और क्रूर था. हिड़मा सुरक्षा बलों के खिलाफ अपने अभियानों के लिए जाना जाता रहा है.

बस्तर में नक्सल अभियान का चेहरा था हिड़मा:

 हिड़मा बस्तर में माओवादी अभियानों का चेहरा बन गया था. हिड़मा ने पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी बटालियन नंबर 1 का नेतृत्व किया और सीपीआई माओवादी की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था, केंद्रीय समिति का सबसे कम उम्र का सदस्य बन गया. हिड़मा दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सक्रिय सदस्य था. वह सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर में सक्रिय था.

नक्सलियों के सुरक्षा घेरे में घूमता था हिड़मा: 

हिड़मा केंद्रीय समिति में बस्तर क्षेत्र से एकमात्र आदिवासी सदस्य था. हिडमा ज़्यादातर दक्षिण सुकमा क्षेत्र में ही रहता था, जो उसका गढ़ था. वह हमेशा चार-स्तरीय सुरक्षा घेरे में रहता था. हिड़मा के अधीन 150 से ज़्यादा कमांडर थे, जो बहुत अच्छी तरह ट्रेंड थे.

1 करोड़ का इनाम, एनआईए की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल था हिड़मा: हिडमा पर एक करोड़ रुपये से ज़्यादा का इनाम था और वह राष्ट्रीय जांच एजेंसी की मोस्ट वांटेड सूची में था.

5 किलोमीटर का सुरक्षा घेरा, मजबूत नेटवर्क:

हिड़मा रावुला श्रीनिवास उर्फ ​​रमन्ना का करीबी विश्वासपात्र था, जिस पर 1989 से 2015 के बीच बस्तर में 150 से ज़्यादा सुरक्षाकर्मियों की हत्या का आरोप था. 2019 में हृदय गति रुकने से उसकी मौत हो गई थी. बताया जाता है कि रमन्ना की मौत के बाद हिड़मा ने सीपीआई (माओवादी) संगठन की मिलिशिया कार्रवाइयों, खासकर सुरक्षा बलों पर हमलों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने के प्रभारी के रूप में उनकी जगह ले ली.

हिड़मा दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) का प्रमुख भी था, जो सीपीआई (माओवादी) की एक शाखा है. यह शाखा नीतियां बनाने और माओवादी विचारधारा के प्रचार-प्रसार की योजना बनाती थी. हिड़मा के चारों ओर 5 किलोमीटर का सुरक्षा घेरा रहता था. स्थानीय निवासियों के बीच “मजबूत नेटवर्क” भी उसे ढूंढना चुनौतीपूर्ण बनाता था.

हिड़मा के पास बहु-स्तरीय सुरक्षा घेरा था, जिसमें ऐसे कमांडो शामिल थे, जो बहुत अच्छी तरह से प्रशिक्षित और आधुनिक हथियारों और ग्रेनेड से लैस थे. इसके अलावा सभी गांवों में उसके मुखबिर थे, जो सुरक्षा बलों की आवाजाही की जानकारी उसके सहयोगियों को देते थे. वह आमतौर पर गांवों में नहीं आते थे और सुरक्षित दूरी बनाए रखते थे.

हिड़मा की व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए एक अलग टीम भी थी, जो उनके सुरक्षा घेरे में शामिल कमांडो के अलावा सबसे अंदरूनी परत है. हिड़मा जंगल युद्ध में प्रशिक्षित था और एक “कठोर मिलिशिया मास्टर” के रूप में जाना जाता था. गहन अभियानों के बावजूद हिड़मा सुरक्षा बलों से बचता रहा. अप्रैल 2025 में सुरक्षा बलों ने दावा किया कि वह कर्रेगुट्टा पहाड़ियों में एक लंबी मुठभेड़ में बाल-बाल बच गया, जहां 31 माओवादी मारे गए थे.

हिड़मा इन प्रमुख हमलों में रहा शामिल: 

लगभग तीन दशक तक हिड़मा का आतंक रहा. साल 2004 से वह सुरक्षाकर्मियों पर 27 से ज्यादा हमलों में शामिल रहा, जिसके परिणामस्वरूप 150 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी और नागरिक मारे गए. उसके द्वारा किए गए कुछ सबसे घातक हमलों में शामिल है.

2010 दंतेवाड़ा हमला: 76 सीआरपीएफ जवान हुए थे शहीद

2013 झीरम घाटी नरसंहार: 

2013 का झीरम घाटी नरसंहार, जिसमें तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्या चरण शुक्ल और पूर्व विधायक उदय मुदलियार सहित 27 लोग मारे गए थे.

2017 का बुर्कापाल नक्सली हमला: 

हिड़मा पर अप्रैल 2017 में बुर्कापाल में हुए घात हमले का भी मास्टरमाइंड होने का आरोप है, जिसमें 24 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे.

साल 2021 का सुकमा-बीजापुर हमला: 

इस नक्सल अटैक में 22 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए.

माओवादी संगठन के लिए हिड़मा का महत्व क्या था:

 हिड़मा हमलों का कमांडर और मास्टरमाइंड था, जिसने पुलिस को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने की वजह से नक्सल संगठन में अपनी अलग जगह बनाई. कई आत्मसमर्पण कर चुके माओवादी न केवल हमलों की योजना बनाने में उसकी विशेषज्ञता की बात करते हैं, बल्कि तकनीक की बढ़ती समझ और सुरक्षा बलों की गतिविधियों का अंदाजा लगाने की क्षमता की भी बात करते हैं. वे गोलीबारी के दौरान उसके शांत स्वभाव की भी चर्चा करते हैं. वह ऑपरेशन के दौरान मौजूद रहता और अपने कार्यकर्ताओं से बराबरी से बात करता था.

छत्तीसगढ़ में माओवादियों के ज़्यादातर शीर्ष कैडर, केंद्रीय समिति से लेकर डीकेएसजेडसी की सचिव सुजाता तक, तेलंगाना से रहे हैं, लेकिन इन हमलों में असल में शामिल माओवादी कैडर स्थानीय आदिवासी थे और हिडमा उनमें से एक था, जिसने नक्सल संगठन में धीरे धीरे अपनी मजबूत पकड़ और पहचान बनाई थी.

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