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1400 हत्याएं, किडनैपिंग-टॉर्चर, क्या Sheikh Hasina को होगी सजा-ए-मौत: छात्र बोले-हमें इंसाफ चाहिए, बदला नहीं; Bangladesh तख्तापलट के बाद फैसले का इंतजार

Bangladesh Sheikh Hasina Case; Death Penalty | Student Protest: ‘शेख हसीना ने हम छात्रों पर जो जुल्म किए, साथियों की हत्याएं कराईं। इसके बदले में उन्हें भी सजा-ए-मौत मिलनी चाहिए। 2024 के जुलाई-अगस्त में सरकार ने बांग्लादेश के इतिहास में सबसे क्रूरतम हत्याएं कराईं। हमारे कई साथी सिर्फ इसलिए मार दिए गए क्योंकि वो सरकार के कोटा सिस्टम के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। ये सब शेख हसीना के इशारे पर साजिश के तहत किया गया।‘

Bangladesh Sheikh Hasina Case; Death Penalty | Student Protest: ढाका यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे मोहम्मद महीन सरकार बांग्लादेश की पूर्व PM शेख हसीना पर चल रहे केस की जांच का हिस्सा रहे हैं। हसीना पर जुलाई-अगस्त 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हिंसा और हत्याएं कराने का आरोप है। इस मामले में महीन ने कोर्ट में गवाही भी दी है। बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने हसीना के खिलाफ इस मामले में सुनवाई पूरी कर ली है।

Bangladesh Sheikh Hasina Case; Death Penalty | Student Protest: सोर्सेज से पता चला है कि सरकार अभी वेट एंड वॉच की स्थिति में है। इंटेलिजेंस इनपुट के मुताबिक अगर माहौल सही रहा तो कोर्ट 13 नवंबर को मामले में फैसला सुना सकता है। हिंसा की आशंका होने पर फैसले की तारीख आगे भी बढ़ाई जा सकती है।

Bangladesh Sheikh Hasina Case; Death Penalty | Student Protest: 5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में हुए स्टूडेंट्स प्रोटेस्ट के बाद शेख हसीना ने पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया था। तब से उन्होंने भारत में शरण ले रखी है। दैनिक भास्कर की टीम ने फैसले के पहले केस की डिटेल्ड स्टडी की। इसमें शामिल गवाहों, आंदोलनकारी स्टूडेंट्स, शेख हसीना के करीबियों और केस से जुड़े वकीलों से बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

सबसे पहले केस के बारे में जानिए… हसीना के लिए मौत की सजा की मांग

5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में हसीना सरकार का तख्तापलट हुआ। इससे पहले और बाद में हसीना के खिलाफ हुए प्रदर्शन में आगजनी और हिंसक घटनाएं हुईं। हसीना सरकार पर आरोप लगा कि प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स को टॉर्चर किया गया और उन पर फायरिंग की गई। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 2024 के जुलाई-अगस्त में बांग्लादेश में 1400 से ज्यादा लोगों की मौत हुई।

इन सबके बीच शेख हसीना ने देश छोड़ दिया और भारत में शरण ली। बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल में हसीना पर ‘मानवता के खिलाफ अपराध‘ के आरोप में केस शुरू हुआ। कोर्ट ने शेख हसीना को बांग्लादेश लौटकर केस में शामिल होने के लिए कहा। हालांकि उन्होंने कोर्ट का आदेश नहीं माना। केस की सुनवाई 1 जून को शुरू हुई और अब फैसले का इंतजार है।

सोर्स बताते हैं,

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शेख हसीना के खिलाफ केस में प्रॉसिक्यूटर की तरफ से 5 आरोप लगाए गए थे, जिसमें हत्या, अपराध रोकने में नाकामी और मानवता के खिलाफ अपराध सबसे अहम हैं। प्रॉसिक्यूटर ने हसीना के लिए मौत की सजा की मांग की है।QuoteImage

वहीं शेख हसीना की तरफ से पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए और सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया कर दिया गया।

वहीं, बांग्लादेश इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल के प्रॉसिक्यूटर गाजी मुनव्वर हुसैन तमीम ने बताया, ‘13 नवंबर को फैसले की तारीख का ऐलान किया जाएगा। हमारे पुराने अनुभव के हिसाब से कोर्ट फैसला सुनाने में करीब एक हफ्ते का वक्त और लगाएगा। हम साफ करना चाहते हैं कि 13 नवंबर को कोर्ट सिर्फ फैसले की तारीख का ऐलान करेगा।’

अब केस के गवाह की बात… हसीना के खिलाफ ईमानदारी से जांच हुई, हम न्याय चाहते हैं, बदला नहीं

ढाका यूनिवर्सिटी से बांग्ला भाषा में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे मोहम्मद महीन हसीना सरकार के खिलाफ हुए स्टूडेंट प्रोटेस्ट का हिस्सा थे। इसकी वजह से उन्हें काफी दिनों तक अंडरग्राउंड रहना पड़ा था। अब महीन छात्रों की बनाई नेशनल सिटिजन पार्टी के मेंबर हैं। साथ ही वो स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन, स्टूडेंट अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन बैनर के भी ढाका यूनिवर्सिटी के संयोजक हैं।

आंदोलन को लेकर महीन बताते हैं, ‘जुलाई 2024 में कोटा के खिलाफ आंदोलन में अंडरग्राउंड होने की नौबत आ गई थी। मैं ढाका केंटोनमेंट इलाके में अपने दोस्त इफ्तिकार आलम के घर कई दिनों तक छिपा रहा। इसी दौरान इफ्तिकार एक दिन घर से निकला और गायब हो गया। वो 6 जुलाई को मीरपुर के पास मिला।‘

महीन सरकार और फोर्सेज पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि इफ्तिकार को काफी टॉर्चर करने के बाद छोड़ा गया था। उसका पैर भी टूट गया था। बांग्लादेश की एजेंसियों ने उसे बहुत परेशान किया।

मोहम्मद महीन, शेख हसीना के खिलाफ चल रहे केस की जांच का हिस्सा हैं और उन्होंने कोर्ट में गवाही भी दी है। महीन बताते हैं, ‘शेख हसीना के खिलाफ जांच पूरी ईमानदारी और तथ्यों के साथ की गई है। हमने कोटा आंदोलन किया और शेख हसीना को झुकने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान हमारे कई साथियों की मौत भी हुई। हमारे दिमाग में एक बात साफ थी कि हम न्याय चाहते हैं, बदला नहीं।‘

डेढ़ साल से न्याय का इंतजार था, अब फैसले की घड़ी

बांग्लादेश में छात्रों के आंदोलन से जुड़े स्टूडेंट अलाउद्दीन मोहम्मद कहते हैं, ‘प्रदर्शन के दौरान हमारे जिन साथियों की मौत हुई, हम सब डेढ़ साल से उनके लिए न्याय का इंतजार कर रहे थे। हमने केस की सुनवाई को करीब से देखा और अब फैसले की घड़ी आ गई है। बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से अब शेख हसीना के खिलाफ पहले केस में फैसला आना है। ये आंदोलन करने वाले हम स्टूडेंट्स के लिए बहुत अहम वक्त है।‘

केस की सुनवाई को लेकर अलाउद्दीन बताते हैं, ‘केस का पूरा ट्रायल बांग्लादेश में टीवी पर प्रसारित किया गया। केस में दी गईं दलीलें लोगों ने घर बैठकर लाइव देखीं औऱ सुनीं। केस की सुनवाई ट्रांसपेरेंसी के साथ हुई है ताकि लोगों की मन में कोई संशय ना रहे। शेख हसीना पर क्या आरोप थे, उनके समर्थन में गवाह और सबूत क्या पेश किए गए, केस के दौरान किसने क्या दलील रखी ये सबने देखा।’

वे आगे कहते हैं, ’हमने आंखों के सामने अपने जानने वालों और दोस्तों को फायरिंग में मरते देखा है। हालांकि ये किसी दोस्त या रिश्तेदार के मारे जाने की बात नहीं है। बल्कि ये मानवता के खिलाफ पूरे सरकारी सिस्टम के अपराध की बात है। अब शहीद छात्रों और उनके परिवारों के लिए न्याय का दिन आ चुका है।’

अलाउद्दीन मोहम्मद छात्रों की बनाई नेशनल सिटिजन पार्टी में जॉइंट मेंबर सेक्रेटरी हैं और इंटरनेशनल सेल का भी हिस्सा हैं। वे आगे कहते हैं कि हमारी लड़ाई सिर्फ यहीं तक खत्म नहीं होती कि शेख हसीना को सजा हो जाए। बल्कि अब हम एक ऐसा सिस्टम बना रहे हैं कि कोई भी सरकार इतनी ताकतवर ना हो पाए कि इतने बड़े पैमाने पर हत्याएं करवाा सके।

जांच एजेंसी और वकीलों ने साथ मिलकर मजबूत केस बनाया

प्रॉसिक्यूशन की तरफ से केस देख रही वकीलों की टीम के मेंबर ने नाम ना लिखने की शर्त पर हमें पूरी प्रक्रिया बताई, जिसके तहत केस की जांच और कार्रवाई आगे बढ़ी। डॉ यूनुस ने सरकार में आते ही एक टास्क फोर्स बनाई थी और उसे शेख हसीना के खिलाफ जांच का जिम्मा सौंपा था।

तब से प्रॉसिक्यूशन और जांच टीम मिलकर इस केस पर काम कर रही थीं ताकि कोर्ट में केस कमजोर ना पड़े। वकील ने बताया कि हमने हर वो जरूरी सबूत और गवाह शामिल किया है, जिससे केस मजबूत हो।

प्रॉसिक्यूशन ने कोर्ट में क्या मुख्य दलीलें रखीं-

छात्र आंदोलन के दौरान हुई सरकारी कार्रवाई एक संगठित और योजनाबद्ध हमला था। ये सब अचानक नहीं हुआ बल्कि तय फैसले के तहत किया गया था। – छात्रों पर हमला सिर्फ कुछ लोकल स्तर पर हुई कुछ घटनाएं भर नहीं थीं। बल्कि ये राज्य शासन, सरकारी एजेंसियों, इंटेलिजेंस और फोर्स के जरिए लिया गया फैसला था।

प्रॉसिक्यूशन ने 5 मुख्य आरोप तय किए हैं:

1. हत्या

2. अपराध की साजिश

3. अपराध के लिए छूट देना

4. कार्रवाई में मदद करना

5. अपराध रोकने में नाकामी

अवामी लीग फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगी

कोर्ट का फैसला शेख हसीना के खिलाफ आने की संभावना जताई जा रही है। अगर ऐसा होता है तो बांग्लादेश अवामी लीग का क्या रुख होगा। इसे लेकर हमने शेख हसीना की पार्टी के टॉप लीडर सुजीत रॉय नंदी से बात की।

नंदी कहते हैं, ‘केस की जांच और ट्रायल राजनीतिक से प्रेरित है। सब बदले की भावना से हुआ है। न्यायिक प्रक्रिया शुरू से ही गैर-कानूनी रही है, इसलिए हम इसे वैध केस नहीं मानते। अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण मूल रूप से युद्ध अपराधियों की सुनवाई के लिए बनाया गया था, राजनीतिक उत्पीड़न के लिए नहीं।‘

‘पिछले 16 महीनों में बांग्लादेश के लोगों ने समझ लिया है कि अवामी लीग सरकार को प्लानिंग के साथ उग्रवादी हमलों और साजिशों के जरिए कैसे उखाड़ फेंका गया। इसलिए हमें डर है कि ये फैसला न्यायसंगत नहीं होगा बल्कि बदले की भावना से लिया गया होगा और हम इसका खुलकर विरोध करेंगे।‘

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