MP की मोहन सरकार पर कर्ज का पहाड़: फिर 5200 करोड़ का नया लोन, कहां बहाया जा रहा पैसा, कब तक चलेगा उधारी वाला ऑक्सीजन सिलेंडर ?

MP Government Debt Loan 2025 Debt Crisis MP Foundation Day Loan: मध्य प्रदेश की गवर्नमेंट अब “विकास” के नाम पर कर्ज की ऐसी लकीरें खींच रही है, जो राज्य के भविष्य के माथे पर स्थायी बोझ बन चुकी हैं। हर त्योहार के पहले कर्ज, हर स्कीम के लिए कर्ज, और हर जश्न से पहले फिर कर्ज — मानो प्रदेश की आर्थिक नीति अब रिज़र्व बैंक के कर्ज ऑक्शन से ही तय हो रही हो। स्थापना दिवस की तैयारियों के बीच मोहन सरकार अब एक बार फिर 5200 करोड़ का नया कर्ज लेने जा रही है, ताकि योजनाओं की गाड़ी चलती दिखे — भले ही पहिए अब ब्याज की दलदल में फंसते जा रहे हों।
MP Government Debt Loan 2025 Debt Crisis MP Foundation Day Loan: प्रदेश के वित्तीय आंकड़ों पर नज़र डालें तो तस्वीर चौंकाने वाली है। चालू वित्त वर्ष में यह सरकार पहले ही 42,600 करोड़ रुपये का उधार ले चुकी है, और आज का नया कर्ज इस आंकड़े को और भारी बना देगा। 20 से 22 साल की अवधि वाले इन लोन का ब्याज आने वाली पीढ़ियां चुकाएंगी — लेकिन फिलहाल सरकार को बस एक नवंबर के समारोह और “लाड़ली बहना” के नाम पर वोट बैंक की सजावट करनी है। सवाल यह है कि जब हर महीने कर्ज का पहाड़ बढ़ रहा है, तब सरकार किस हद तक इसे “विकास का निवेश” कह सकती है?
MP Government Debt Loan 2025 Debt Crisis MP Foundation Day Loan: कहा जा रहा है कि यह रकम “कैपिटल एक्सपेंडिचर ऑन प्रोडक्टिव स्कीम्स” यानी सिंचाई, ऊर्जा और सामुदायिक परियोजनाओं में लगेगी। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि इन योजनाओं की प्रगति कछुए की चाल में है और ब्याज का बोझ घोड़े की रफ्तार से बढ़ रहा है। विडंबना यह है कि सरकार हर बार लोन की लिमिट का हवाला देकर खुद को सही ठहराती है, जबकि सच्चाई यह है कि मध्य प्रदेश अब “राजस्व सरप्लस राज्य” से “कर्ज पर पलता प्रदेश” बनता जा रहा है।

स्थापना दिवस से पहले 5200 करोड़ का नया लोन, कब रुकेगा ‘उधारी वाला विकास’?
MP Government Debt Loan 2025 Debt Crisis MP Foundation Day Loan: मध्य प्रदेश सरकार एक बार फिर कर्ज के सहारे अपनी गाड़ी चला रही है। स्थापना दिवस से ठीक पहले मोहन सरकार ने 5200 करोड़ रुपए के नए कर्ज का ऐलान कर दिया है। यह इस वित्तीय वर्ष का 21वां कर्ज होगा। और इसके साथ ही राज्य पर कुल कर्ज का बोझ बढ़कर 4.64 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा।
MP Government Debt Loan 2025 Debt Crisis MP Foundation Day Loan: राज्य की वित्तीय हालत पर नज़र डालें तो तस्वीर साफ दिखती है— खजाना खाली है, योजनाएं अधूरी हैं, और सरकार कर्ज लेकर विकास का दिखावा कर रही है।
स्थापना दिवस के पहले कर्ज की तैयारी
MP Government Debt Loan 2025 Debt Crisis MP Foundation Day Loan: 1 नवंबर को मध्य प्रदेश अपना स्थापना दिवस मनाने जा रहा है, लेकिन इससे पहले, यानी 29 अक्टूबर को सरकार ने 5200 करोड़ रुपए का भारी-भरकम कर्ज लेने की प्रक्रिया पूरी कर ली। यह राशि आरबीआई के माध्यम से दो हिस्सों में ली जाएगी— पहली किश्त 2700 करोड़ की और दूसरी 2500 करोड़ की।
MP Government Debt Loan 2025 Debt Crisis MP Foundation Day Loan: पहली किश्त 21 साल के लिए होगी, जिसका ब्याज अक्टूबर 2046 तक चुकाना होगा, जबकि दूसरी किश्त 22 साल के लिए है, जिसका ब्याज अक्टूबर 2047 तक देना होगा। यानि यह बोझ सिर्फ आज की सरकार पर नहीं, आने वाली दो पीढ़ियों तक रहेगा।
कर्ज का बहाना — “विकास योजनाएं
MP Government Debt Loan 2025 Debt Crisis MP Foundation Day Loan: सरकार की ओर से दावा किया जा रहा है कि यह कर्ज “कैपिटल एक्सपेंडिचर ऑन प्रोडक्टिव स्कीम्स” यानी उत्पादक परियोजनाओं पर खर्च के लिए लिया जा रहा है। इन स्कीम्स में सिंचाई परियोजनाएं, पावर प्रोजेक्ट्स, और सामुदायिक विकास योजनाएं शामिल हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और कहती है।
MP Government Debt Loan 2025 Debt Crisis MP Foundation Day Loan: लाड़ली बहना योजना की किश्त, स्थापना दिवस के आयोजन, और सरकारी बकाया भुगतान जैसे “नॉन-प्रोडक्टिव हेड” पर भी यह राशि खर्च की जाएगी। दरअसल, भाईदूज के दिन 1.27 करोड़ बहनों के खाते में 250-250 रुपए की राशि नहीं डाल पाने के बाद सरकार पर जनदबाव बढ़ गया था। अब उसी को संभालने के लिए यह उधारी ली जा रही है।

6 महीने में 40 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज
मोहन सरकार की यह कर्ज लेने की नीति कोई नई नहीं है। बीते छह महीनों में सरकार ने लगभग 40,000 करोड़ रुपए से अधिक का लोन उठाया है। सिर्फ अक्टूबर महीने की बात करें तो 1 अक्टूबर को 3000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया था।सितंबर में तीन बार लोन की नीलामी हुई—9 सितंबर को 4000 करोड़, 23 सितंबर को 3000 करोड़ और 30 सितंबर को फिर 3000 करोड़ के दो हिस्सों में उधारी बढ़ी। अब इस 5200 करोड़ के ताज़ा कर्ज के साथ वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक का कुल कर्ज 42,600 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।
कर्ज का ब्याज—जनता के सिर पर बोझ
MP Government Debt Loan 2025 Debt Crisis MP Foundation Day Loan: कर्ज का मतलब सिर्फ उधारी नहीं, बल्कि आने वाले सालों तक उस पर ब्याज का भारी बोझ भी। सरकार द्वारा लिए गए इन सभी कर्जों की औसत अवधि 17 से 23 साल के बीच है। और ब्याज दर करीब 7 से 8 प्रतिशत सालाना।
MP Government Debt Loan 2025 Debt Crisis MP Foundation Day Loan: इसका मतलब यह कि हर एक हजार करोड़ के लोन पर सरकार को हर साल 70 से 80 करोड़ रुपए सिर्फ ब्याज के रूप में चुकाने होंगे। यानी आने वाले दो दशकों तक जनता के टैक्स का बड़ा हिस्सा सिर्फ ब्याज चुकाने में झोंका जाएगा।

कर्ज की लिमिट — आंकड़ों की बाजीगरी
MP Government Debt Loan 2025 Debt Crisis MP Foundation Day Loan: सरकार यह कहकर बचाव कर रही है कि यह उधारी “लोन लिमिट के भीतर” है। वित्त विभाग के मुताबिक 2023-24 में प्रदेश को ₹12,487 करोड़ का रेवेन्यू सरप्लस मिला था। लेकिन यह सरप्लस कागज़ी गणना से ज़्यादा कुछ नहीं।
MP Government Debt Loan 2025 Debt Crisis MP Foundation Day Loan: राज्य की आय ₹2,34,026 करोड़ और खर्च ₹2,21,538 करोड़ बताया गया, जबकि अगले वित्त वर्ष में खर्च और आय का अंतर मात्र ₹1025 करोड़ बताया जा रहा है। यानि सरकार खुद मान रही है कि खजाने में जो भी बचत है, वह कर्ज के सहारे है।वास्तव में यह “डेब्ट मैनेजमेंट” नहीं बल्कि “डेब्ट डेपेंडेंसी” है।
कब-कब लिया गया कर्ज — एक झलक
- 5 अगस्त: 4000 करोड़ (तीन हिस्सों में, 18 से 23 साल की अवधि)
- 26 अगस्त: 4800 करोड़ (दो हिस्सों में, 18 और 20 साल की अवधि)
- 8 जुलाई: 4800 करोड़ (16 और 18 साल की अवधि)
- 4 जून: 4500 करोड़ (16 और 18 साल की अवधि)
- 7 मई: 5000 करोड़ (12 और 14 साल की अवधि)
हर महीने एक या दो बार कर्ज लेकर सरकार राज्य की अर्थव्यवस्था को “ऑक्सीजन” दे रही है। पर सवाल है — कब तक चलेगा यह ऑक्सीजन सिलेंडर?
पैसा कहां बहाया जा रहा है?
सरकारी कर्ज का बड़ा हिस्सा पोस्ट-पेमेंट्स, इवेंट मैनेजमेंट और सोशल स्कीम्स के नाम पर जा रहा है।
- लाड़ली बहना योजना – हर महीने किश्त जारी हो रहे।
- बिजली सब्सिडी – जो लगातार घाटे में जा रही है।
- नए जिलों और ब्लॉकों में घोषणाएं – जिनकी परियोजनाएं अधूरी हैं।
- स्थापना दिवस जैसे आयोजन – जिन पर करोड़ों की लाइटिंग और प्रचार।
राज्य में वास्तविक पूंजीगत निवेश (Capital Expenditure) वित्तीय वर्ष 2024-25 के पहले छमाही में 30% से नीचे आ गया है। यानि, विकास की रफ्तार नहीं, बल्कि “विकास का दिखावा” तेज़ है।
अर्थशास्त्रियों की राय
राज्य के वित्त विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति आने वाले वर्षों में खतरनाक हो सकती है। भोपाल के अर्थशास्त्री प्रो. एस. एन. सिंह के मुताबिक —
“सरकार लगातार कर्ज लेकर ब्याज पर ब्याज चुका रही है। यह नीति टिकाऊ नहीं है। पांच साल बाद राज्य का ब्याज भुगतान ही सालाना खर्च का 25% तक पहुंच सकता है।”
वहीं, अर्थशास्त्री डॉ. भावना गुप्ता का कहना है —“कर्ज लेना बुरा नहीं, अगर वह उत्पादन पर खर्च हो। लेकिन वर्तमान लोन का बड़ा हिस्सा ‘रेवेन्यू खर्च’ में जा रहा है। यानी भविष्य की कमाई पर पहले से ही बंधक डाल दिया गया है।”
कर्ज की दलदल में विकास की बातें
मोहन सरकार हर मंच से कहती है —“राज्य विकास की रफ्तार पकड़ चुका है।” लेकिन जब आंकड़े खोले जाते हैं, तो सामने आता है कि राज्य विकास की नहीं, उधारी की रफ्तार पकड़ चुका है। हर त्यौहार से पहले कर्ज, हर योजना के पहले कर्ज, हर भुगतान के लिए कर्ज, यह चक्र अब सामान्य बन चुका है। राज्य के भविष्य को गिरवी रखकर वर्तमान का उत्सव मनाया जा रहा है।
मध्य प्रदेश में पैदा होने वाले हर बच्चे पर 50 हजार का कर्ज?
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बार-बार कर्ज लिए जाने पर विपक्ष इसका कड़ा विरोध कर रहा है. हाल ही में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान कांग्रेस ने मध्य प्रदेश सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन के आरोप लगाए थे। हेमंत कटारे ने इस दौरान कहा था कि, ” सरकार सिर्फ कर्ज पर कर्ज लेकर योजनाओं के नाम भ्रष्टाचार कर रही है.
हेमंत कटारे ने कहा था कि कर्ज कैसे कम हो इसे लेकर कोई प्लानिंग नहीं है. प्रदेश में पैदा होने वाले हर बच्चे पर 50 हजार रुपए का कर्ज हो जाता है.” बता दें कि इससे पहले विपक्ष ने सरकार द्वारा लिए गए कर्ज की जानकारी विधानसभा में मांगी थी.
| कर्ज के मामले में टॉप-10 राज्य | |
| राज्य | कर्ज | 
| तमिलनाडु | 9 लाख 55 हजार 690 करोड़ | 
| उत्तरप्रदेश | 8 लाख 57 हजार 844 करोड़ | 
| महाराष्ट्र | 8 लाख 12 हजार 68 करोड़ | 
| कर्नाटक | 7 लाख 25 हजार 455 करोड़ | 
| पश्चिम बंगाल | 7 लाख 14 हजार 195 करोड़ | 
| राजस्थान | 6 लाख 37 हजार 35 करोड़ | 
| आंध्र प्रदेश | 5 लाख 62 हजार 557 करोड़ | 
| गुजरात | 4 लाख 94 हजार 435 करोड़ | 
| मध्य प्रदेश | 4 लाख 80 हजार 976 करोड़ | 
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