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धान खरीदी केंद्र को लेकर किसानों का फूटा गुस्सा: गरियाबंद में नेशनल हाईवे जाम, सरकार और प्रशासन की वादाखिलाफी पर भड़के ग्रामीण

गिरीश जगत, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव सरकार के खिलाफ किसानों का गुस्सा अब सड़कों पर उतर आया है। लगातार अनदेखी और वादाखिलाफी से आक्रोशित किसानों ने सोमवार सुबह गरियाबंद जिले के पारागांव डीह में धान खरीदी केंद्र की मांग को लेकर नेशनल हाइवे 130सी पर चक्काजाम कर दिया। धवलपुर के पहले शिकासेर जीरो चैन के पास किए गए इस जाम में 15 से अधिक गांवों के किसान शामिल हुए। सुबह से ही हाइवे पर यातायात पूरी तरह ठप रहा।


किसानों का आरोप: विष्णुदेव सरकार सिर्फ घोषणाओं की सरकार

ग्राम पंचायत घटौद, बेगरपाला और जंगल धवलपुर के सैकड़ों किसानों ने कहा कि विष्णुदेव सिंह की सरकार केवल घोषणा करती है, अमल नहीं करती। किसानों का कहना है कि पिछले एक वर्ष से पारागांव डीह में नया खरीदी केंद्र खोलने की मांग शासन से की जा रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

नेशनल हाइवे जाम करने पहुंचे जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम ने कहा —

“सरकार किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें करती है, लेकिन जमीन पर सच्चाई बिल्कुल उलट है। हमारे गांवों में किसान अपनी उपज बेचने तक के लिए भटक रहे हैं, और प्रशासन आंख मूंदे बैठा है।”


15 गांवों के किसानों की एकजुटता, प्रशासन के पसीने छूटे

सुबह 8 बजे से शुरू हुआ जाम दोपहर तक जारी रहा। ग्रामीण महिलाएं, बुजुर्ग और युवा किसान सड़कों पर डटे रहे।
आंदोलन की सूचना मिलते ही एसडीएम तुलसीदास मरकाम, थाना प्रभारी शिवशंकर हुर्रा पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने किसानों को समझाने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीणों का स्पष्ट कहना था —

“जब तक खरीदी केंद्र की मंजूरी नहीं मिलेगी, सड़क नहीं खुलेगी।”

हाईवे जाम से रायपुर–गरियाबंद मार्ग पर कई किलोमीटर लंबा ट्रैफिक जाम लग गया। यात्री बसें, ट्रक और निजी वाहन फंसे रहे।


धान खरीदी केंद्र की जरूरत क्यों?

किसानों ने बताया कि वर्तमान में उन्हें अपनी उपज ग्राम धवलपुर के खरीदी केंद्र में बेचनी पड़ती है, जहाँ—

  • जगह की भारी कमी,
  • लंबी कतारें,
  • और खुलेआम भेदभाव जैसी समस्याएं हैं।

महिलाओं और बुजुर्ग किसानों को पूरी रात अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। किसानों का कहना है कि धान खरीदी सीजन में 15 गांवों के किसान एक ही केंद्र पर निर्भर रहते हैं, जिससे अव्यवस्था बढ़ जाती है।


ज्ञापन, जनदर्शन और झूठे आश्वासन

संजय नेताम ने बताया कि समिति का प्रस्ताव शासन को कई बार सौंपा जा चुका है। सितंबर में कलेक्टर जनदर्शन में भी ज्ञापन दिया गया, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। अब धान खरीदी शुरू होने में मात्र 20 दिन शेष हैं, और प्रशासन अब भी फाइलें दबाए बैठा है। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर केंद्र की स्वीकृति नहीं दी गई, तो यह आंदोलन ब्लॉक से जिला स्तर तक फैलाया जाएगा।


विष्णुदेव सरकार पर बरसा किसानों का गुस्सा

किसानों का कहना है कि विष्णुदेव सरकार के सत्ता में आने के बाद से कृषि नीतियों पर केवल दिखावा किया जा रहा है।

  • न धान खरीदी केंद्र बढ़ाए गए,
  • न मुआवजा समय पर मिला,
  • न ही सिंचाई योजनाओं पर कोई प्रगति।

एक ग्रामीण किसान ने कहा —

“जब वोट चाहिए था, तब नेता गांव-गांव घूमे। अब जब धान बिकाने की बारी आई, तो सब गायब हैं। सरकार किसानों के भरोसे के साथ खिलवाड़ कर रही है।”


प्रशासन के लिए चुनौती बनी स्थिति

हाइवे जाम के चलते रायपुर, धमतरी और गरियाबंद के बीच आवागमन घंटों बाधित रहा। मौके पर पहुंची पुलिस प्रशासनिक टीम किसानों से बातचीत कर रही है, लेकिन किसानों का साफ कहना है कि

“अब आश्वासन नहीं, आदेश चाहिए।”


छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव सरकार के खिलाफ यह किसान आंदोलन एक चेतावनी की तरह है। अगर जल्द ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो यह विरोध गरियाबंद से निकलकर पूरे प्रदेश में फैल सकता है। किसानों ने साफ कहा है —

“हम खेती करते हैं, भीख नहीं मांगते। खरीदी केंद्र हमारा अधिकार है, कृपा नहीं।”

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